भोपाल। जिस सिंधिया राजपरिवार में राजमाता विजयाराजे सिंधिया से लेकर उनकी बेटी यशोधरा और वसुंधरा राजे सिंधिया तक राजनीति के मैदान में मजबूती से कदम बढ़ाती रहीं. बावजूद इसके माधवी राजे सिंधिया अपनी सास विजयाराजे सिंधिया की राह पर नहीं चलीं और राजनीति से दूर ही रहीं. बता दें कि ज्योतिरादित्य सिंधिया की मां माधवी राजे सिंधिया इस समय अस्वस्थ हैं और एम्स दिल्ली में भर्ती हैं.
क्यों माधवी राजे ने राजनीति को कहा ना
सिंधिया राजपरिवार में माधवी राजे की सास विजयाराजे सिंधिया ने 1957 में राजनीति में कदम बढ़ा दिये थे. पहली बार कांग्रेस से सांसद बनी थी हांलाकि फिर दस साल बाद ही वे कांग्रेस छोड़कर जनसंघ में शामिल हुई और संस्थापक सदस्यों में रहीं. सास के दिए सिंधिया परिवार के संस्कार, रीति रिवाज माधवी राजे सिंधिया ने सब सिर माथे रखे लेकिन राजनीति की तरफ उनके कदम नहीं बढ़े. जबकि परिवार में ही उनकी ननद वसुंधरा राजे राजनीति में आने के बाद राजस्थान की मुख्यमंत्री रहीं. आखिर ऐसी क्या वजह रही कि माधवी राजे को राजनीति रास नहीं आई.
वरिष्ठ पत्रकार केशव पाण्डे कहते हैं कि "हर व्यक्ति का अपना टेम्परामेंट होता है. फिर माधवराव सिंधिया नहीं रहे उसके बाद जिस तरह ज्योतिरादित्य सिंधिया राजनीति में आए और उन्होंने सब अच्छी तरह संभाला, तो फिर परिवार से एक ही सदस्य को आगे आना था. ऐसे में ज्योतिरादित्य सिंधिया आए भी और उन्होंने बखूबी सब संभाला भी".
जनता ने केवल उन्हें प्रचार में देखा
माधवी राजे माधवराव सिंधिया से लेकर ज्योतिरादित्य सिंधिया तक परिवार का संबल बनी रहीं. यहां तक की वैसे भले उनकी राजनीति में कोई सक्रियता ना रही हो. वैसे भले उन्होंने सियासत में कदम ना बढ़ाए हों लेकिन माधवराव सिंधिया से लेकर ज्योतिरादित्य सिंधिया तक जनता के बीच जब जाने की जरुरत प़ड़ी माधवी राजे पीछे नहीं हटीं.