भोपाल:मुनाफा कमाने के लिए किसान कभी आलू की खेती करता है, तो कभी मशरूम उगाता है, लेकिन क्या आपने कभी फफूंद की खेती के बारे में सुना है. इस खेती से पैदा होने वाली फफूंद का उपयोग बेचकर दाम कमाने में नहीं होता, बल्कि इसको पैदा कर फसलों में लगने वाले रोगों को भगाने में उपयोग किया जाता है. ऐसी ही फफूंद की खेती भोपाल के प्रगतिशील किसान कर रहे हैं.
पौधों के लिए जीवनदायक साबित होती है यह फफूंद
राजधानी भोपाल के खजूरी निवासी किसान मिश्रीलाल राजपूत कहते हैं कि "अंधेरे कमरे में रखकर तैयार होने वाली यह फफूंद पौधों और फसलों के लिए जीवनदायक होते हैं. दरअसल, यह फफूंद एक तरह के पौधों के मित्र वैक्टीरिया होते हैं, जो पौधों को नुकसान पहुंचाने वाले रोगों को खत्म कर देती है. इसे पानी में डालकर छिड़काव करने पर यह पौधों में लगने वाले रोग ब्लाइट, उकटा, शीत गलन, पौध गलन, शीत ब्लाइट को ठीक कर देती है. इस फफूंद से पैदा होने वाले वैक्टीरिया पौधों और फसलों को नुकसान पहुंचाने वाले वैक्टीरिया को खा लेते हैं."
भोपाल में किसान ने फफूंद की खेती की (ETV Bharat) इस तरह तैयार की जाती है यह फफूंद
किसान मिश्रीलाल राजपूत बताते हैं कि "घर के अंधेरे कमरे में पैदा होने वाली यह फफूंद ट्राइकोडर्मा की हरर्जेनियम की प्रजाती है. इसे चावल, ज्वार, बाजरा, मक्का से तैयार किया जा सकता है. इसके लिए उबलते हुए पानी में सबसे पहले चावल, ज्वार, बाजरा या फिर मक्के के दलिए डाला जाता है. फिर कुछ समय बाद इसे निकाल लिया जाता है. इसके बाद इसे एक चौड़ी तस्तरी या थाल में फैला दिया जाता है. इसके बाद इसमें चार-पांच जगह ट्राइकोडर्मा को लगाकर इसको ऊपर से पॉलीथिन से ढंक दिया जाता है. इसके बाद इसे 5 से 6 दिन के लिए अंधेरे कमरे में बंद करके रख दिया जाता है. इस दौरान इसमें हरे रंग की परत छा जाती है. इसके बाद यह फसलों पर उपयोग करने लायक हो जाता है."
भोपाल किसान ने की फफूंद की खेती (ETV Bharat) 30 रुपए में तैयार हो जाती है डेढ़ एकड़ के लिए दवा
किसान मिश्रीलाल राजपूत कहते हैं कि "आमतौर पर बाजार में मिलने वाले ट्राइकोडर्मा की गुणवत्ता अच्छी नहीं होती और यह रोगों को दूर करने में मददगार नहीं होते. ऐसे में इसे आसानी से घर पर ही तैयार किया जा सकता है. घर पर तैयार करने में यह किफायती भी होता है. डेढ़ एकड़ खेत के लिए यह फफूंद दवा सिर्फ 30 रुपए में ही तैयार हो जाती है, जबकि बाजार में यही दवा करीब 800 रुपए में मिलती है, लेकिन उसकी भी गारंटी नहीं होती. किसान ने जैविक खेती में उपयोगी कई तरह की देशी दवाएं भी तैयार की है, जो खेतों की उत्पादकता को बढ़ाने और फसलों को रोगों को बचाने में मदद करती है.