गोरखपुर:देश में अब शिक्षा के क्षेत्र में एक और बोर्ड काम करेगा, जिसका नाम होगा "भारतीय शिक्षा बोर्ड". अभी तक सीबीएसई, आईसीएसई समेत जो बोर्ड संचालित हो रहे हैं. उनके साथ मिलकर यह बोर्ड भी, शिक्षा के क्षेत्र में काम करता दिखेगा. देश के करीब 110 स्कूल विभिन्न प्रांतों के इस बोर्ड से जुड़ भी चुके हैं. नई शिक्षा नीति के तहत इस बोर्ड का संचालन होगा. इसके गठन की अनुमति प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वर्ष 2019 में दी थी.
योग गुरु बाबा रामदेव ने इस तरह के बोर्ड के गठन का प्रस्ताव वर्ष 2012 में भारत सरकार को दिया था, जो अब जाकर धरातल पर मूर्त रूप ले चुका है. आधुनिक शिक्षा पद्धति के हिसाब से इसके कुछ सिलेबस भी तैयार जा रहे हैं. इस बोर्ड के संचालन में बाबा रामदेव की अहम भूमिका होगी. जिनकी तरफ से देश में कई स्कूल भी खोले जाने का प्रावधान है.
इससे भारत के नौनिहालों को आधुनिक शिक्षा के साथ तकनीकी और भारतीय ज्ञान परंपरा की शिक्षा से भी जोड़ा जा सकेगा. वह सिर्फ रोजगार पाने के लिए नहीं बल्कि रोजगार देने की भी स्थिति में खुद को तैयार कर सकेंगे. ऐसी संकल्पना के साथ भारतीय शिक्षा बोर्ड का गठन किया गया है. इस बात की जानकारी रविवार को गोरखपुर में भारतीय शिक्षा बोर्ड के कार्यकारी अध्यक्ष रिटायर्ड आईएएस डॉक्टर एन पी सिंह ने प्रेस वार्ता के दौरान दी. वह गोरखपुर में इस बोर्ड की खासियत और शिक्षा की जरूरत को लेकर आयोजित एक शिक्षा गोष्ठी को संबोधित करने आए थे. उनके साथ भारतीय शिक्षा बोर्ड के सलाहकार श्रवण कुमार शुक्ला भी मौजूद थे, जिन्होंने दिल्ली में हैप्पीनेस स्कूल का कॉन्सेप्ट लॉन्च किया था जो खूब सराहा गया था.
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डॉ. सिंह ने बताया कि भारतीय शिक्षा बोर्ड (BSB) की स्थापना का मुख्य उद्देश्य स्वदेशी शिक्षा पद्धति को पुनर्जीवित करना है. उन्होंने स्वामी विवेकानंद, स्वामी दयानंद सरस्वती, महर्षि अरविंद, रविंद्रनाथ टैगोर, महात्मा गांधी जैसे भारतीय विचारकों की शिक्षा संबंधी दृष्टिकोण को अपनाने की आवश्यकता पर बल दिया. उनका कहना था कि इस शिक्षा प्रणाली का उद्देश्य विद्यार्थियों में आत्मगौरव, भारतीयता, पवित्र चरित्र और वैश्विक नागरिक के गुणों का विकास करना है. उन्होंने बताया कि भारतीय शिक्षा बोर्ड एक राष्ट्रीय शिक्षा बोर्ड है. इसका संचालन पतंजलि योगपीठ द्वारा किया जा रहा है. उन्होंने जानकारी दी कि 3 अगस्त 2022 को AIU (Association of Indian Universities) ने इस बोर्ड को सभी राष्ट्रीय और राज्य बोर्डों के समकक्ष मान्यता प्रदान की.
यह बोर्ड आधुनिक और पारंपरिक शिक्षा का समन्वय करते हुए छात्रों के सर्वांगीण विकास पर केंद्रित है. इसके पाठ्यक्रम में वेद, उपनिषद, गीता, जैन और बौद्ध तथा अन्य भारतीय विचारधाराओं के ग्रंथों के साथ संवैधानिक मूल्यों को भी शामिल किया गया है. साथ ही, इसमें गुरुकुलीय शिक्षा पद्धति और आधुनिक तकनीक का संयोजन किया गया है.
डॉ. सिंह ने बताया कि भारतीय शिक्षा बोर्ड द्वारा तैयार किए गए पाठ्यक्रम में छोटे बच्चों के लिए कहानियों और कविताओं के माध्यम से सभी दर्शनों के तत्त्वों को समझाने का प्रयास किया गया है. आठवीं कक्षा से आगे इन दर्शनों और ग्रंथों को पूरे अध्याय के रूप में शामिल किया गया है. उन्होंने उदाहरण के तौर पर बताया कि नवमीं कक्षा में वेदांत दर्शन का अध्याय दिया गया है. उन्होंने यह भी बताया कि BSB के पाठ्यक्रम में दूसरी भारतीय भाषाओं की कविताओं और कहानियों का अनुवाद कर समायोजन किया गया है.
साथ ही, भारत के लगभग 120 महान नायक एवं नायिकाओं की शौर्य गाथाओं को भी पाठ्यक्रम में सम्मिलित किया गया है. डॉ. सिंह ने जोर देकर कहा कि भारतीय शिक्षा बोर्ड की नई प्रणाली नैतिक मूल्यों, स्त्री-सम्मान, श्रम के प्रति आदर और प्रकृति के साथ संतुलन को बढ़ावा देने पर केंद्रित है. यह प्रणाली आर्थिक समृद्धि और न्यायपूर्ण सामाजिक संरचना का निर्माण करने के साथ-साथ वैश्विक लक्ष्यों (SDG) को ध्यान में रखते हुए विद्यार्थियों में नेतृत्व क्षमता विकसित करेगी. उन्होंने पंचकोश एवं अंतःकरण चतुष्टय अवधारणाओं पर आधारित शिक्षा प्रणाली से विद्यार्थियों के समग्र विकास की आवश्यकता पर भी बल दिया. BSB का लक्ष्य केवल भारतीय मूल्यों को विद्यार्थियों तक पहुंचाना ही नहीं है, बल्कि उन्हें वैश्विक प्रतिस्पर्धा के लिए भी तैयार करना है. BSB से पढ़ा छात्र न केवल भारतीय मूल्यों से परिचित होगा, बल्कि UPSC, JEE, NEET जैसी प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए भी तैयार होगा.
मूल्यांकन पद्धति पर चर्चा करते हुए डॉ. सिंह ने कहा कि नई प्रणाली विद्यार्थियों पर अनावश्यक तनाव न डालते हुए उन्हें वैश्विक प्रतिस्पर्धा के लिए तैयार करेगी. उन्होंने "एंटी-कम्पटीटिव, एंजॉयेबल और होलिस्टिक असेसमेंट" को बढ़ावा देने की बात कही. उन्होंने बताया कि एक विशेषज्ञ समिति बनाई जा रही है जो मूल्यांकन प्रणाली को इस प्रकार विकसित करेगी कि बौद्धिक आकलन के साथ-साथ विद्यार्थियों का सामाजिक और भावनात्मक मूल्यांकन भी किया जा सके. यह शिक्षा प्रणाली विद्यार्थियों में विश्लेषणात्मक सोच, अनुशासन और एकाग्रता जैसे गुणों का विकास करेगी, जिससे वे एक समर्थ नेतृत्वकर्ता के रूप में उभर सकेंगे.
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