कोटा.राज्य में कांग्रेस और भाजपा दोनों की ही सरकारों ने ईस्टर्न राजस्थान कैनल प्रोजेक्ट (ईआरसीपी) के मुद्दे को लेकर जमकर राजनीति की थी. वहीं, अब इसका नाम पार्वती कालीसिंध इंटरलिंक-ईस्टर्न राजस्थान कैनाल प्रोजेक्ट (पीकेसी-ईआरसीपी) हो गया है. साथ ही इसके पहले फेज के तीन पैकेज का काम भी तय कर लिया गया है, जिनमें से पहले पैकेज के टेंडर भी जारी कर दिए गए हैं और स्वीकृत होने के बाद इसका एग्रीमेंट भी हो गया है. इसके तहत 2266 करोड़ की लागत से दो डैम और एक पंप हाउस का निर्माण होगा.
वहीं, यह टेंडर हैदराबाद की कंपनी मेघा इंजीनियरिंग एंड इंफ्रास्ट्रक्चर लिमिटेड (MEIL) को मिला है. सबसे खास बात यह है कि सरकार इस प्रोजेक्ट को हाइब्रिड एन्युटी मॉडल (HAM) के आधार पर करवाने जा रही है. इस टेंडर की स्वीकृति और एग्रीमेंट होने के बाद अब यह साफ हो गया है कि राजस्थान में जल संसाधन विभाग पहली बार HAM फार्मूले के तहत निर्माण कार्य करवाने जा रहा है.
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पीकेसी-ईआरसीपी के कार्यवाहक महानिदेशक व मुख्य महाप्रबंधक राकेश गुप्ता ने बताया कि पीकेसी-ईआरसीपी के पहले पैकेज के टेंडर हो गए थे और अब वर्क ऑर्डर हो गए हैं. वहीं, निर्माण करने वाली कंपनी मेघा इंजीनियरिंग एंड इंफ्रास्ट्रक्चर लिमिटेड से एग्रीमेंट भी जून माह में हो गया है.
इसके बाद डेवलपमेंट पीरियड में सर्वे, डिजाइन और इन्वेस्टिगेशन का काम चल रहा है. यह कार्य करीब 3 माह में पूरा हो जाएगा, क्योंकि फर्म अपना सर्वे का काम लगभग पूरा कर चुकी है. HAM मॉडल पर राजस्थान में वॉटर रिसोर्स सेक्टर का यह पहला प्रोजेक्ट है, जिसमें निर्माण पूरा होने तक फर्म को केवल 40 फीसदी पैसा ही मिलेगा. शेष 60 प्रतिशत पैसा उसे 20 साल तक तीन फीसदी प्रति साल के हिसाब से मिलेगा.
पहले फेज में होंगे 7778 करोड़ के काम :पीकेसी-ईआरसीपी के पहले फेज के काम को तीन पैकेज में बांटा गया है. इस पूरे काम की लागत 7788 करोड़ है. इनमें 2266 करोड़ की लागत से रामगढ़ के करीब कूल नदी और सात किलोमीटर दूर कालीसिंध नदी पर महलपुर के नजदीक बांध बनाया जाएगा. साथ ही कोटा के नोनेरा बैराज पर पंप हाउस स्थापित किया जाएगा.
हो सकते हैं कुछ और बदलाव : इस पहले पैकेज के टेंडर भी एक्सेप्ट कर लिए गए हैं और संवेदक को लायबिलिटी पूरी करने का समय दिया गया है. यह टेंडर 2266 करोड़ के थे. हालांकि, राज्य सरकार ने पीकेसी-ईआरसीपी के तहत होने वाले निर्माण की फाइनल डीपीआर बनवा रही है. ये कार्य भी दिल्ली में नेशनल वाटर डेवलपमेंट अथॉरिटी करवा रही है, जिसमें कुछ बदलाव और हो सकते हैं.