भागलपुर: बिहार के भागलपुर जिले में नवगछिया के इस्माइलपुर के बिंदटोली में बांध टूटने से बड़ी आफतआ गई है. यहां बिंदटोली तटबंध बुद्धू चक गांव के साथ कई गांव गंगा नदी के पानी में समा गया है. बुद्धूचक इलाके के दर्जनों घर नदी में बह गए हैं. कई ग्रामीण गांव छोड़कर सुरक्षित स्थानों पर चले गये हैं.
नदी में बह गया घर:बाढ़ में लोगों की जान आफत में फंसी है. पानी के बहाव तेज होने के कारण लोग अपने सामान को भी नहीं बचा पाए हैं. लोग किसी तरह पानी में चलते हुए ऊंचे स्थानों पर पहुंचे हैं. तटबंध टूटने से बांध पर घर बनाकर रहे हे बुद्धुचक के कई लोगों का घर नदी में बह गया. बांध के टूटने से गंगा का पानी पानी सैदपुर, पचगछिया, लत्तरा, गोपालपुर, अभिया, डिमाहा सहित दो दर्जन गांवों में फैलने लगा है.
पिछले एक सप्ताह से हो रहा था कटाव: भागलपुर जिला के नवगछिया अनुमंडल के गोपालपुर थाना क्षेत्र में रिंग बांध स्पर संख्या आठ के पास गंगा नदी के पानी के दवाब के कारण ध्वस्त हो गया है. रिंग बांध टूटने से अफरा-तफरी मच गई. गंगा नदी का पानी कम होने के बाद पिछले एक सप्ताह से यहां पर कटाव हो रहा था. रिंग बांध को बचाने का कार्य किया जा रहा था.
डीएम खुद रख रहे बाढ़ पर नजर: बता दें कि दोपहर में रिंग बांध पूरी तरह ध्वस्त हो गया. घटना की जानकारी मिलते ही भागलपुर के डीएम डॉ. नवल किशोर चौधरी, अनुमंडल पदाधिकारी उत्तम कुमार, सीओ, बीडीओ बाढ़ नियंत्रण प्रमंडल के अभियंता कैंप कर रहे हैं. वहीं गोपालपुर प्रखंड के लोगों को बाढ़ के पानी से बचाने के लिए बीस वर्ष पूर्व रिंग बांध का निर्माण करवाया गया था. रिंग बांध के मरम्मती के नाम पर अब तक एक अरब से अधिक की राशि खर्च हो चुकी है.
मरम्मती के नाम पर करोड़ों रुपए हुए थे खर्च: बता दें कि हर साल रिंग बांध के मरम्मती के नाम पर पांच से छह करोड़ रुपये की राशि खर्च की जाती थी. इस वर्ष भी स्पर संख्या आठ और नौ के बीच मरम्मती के नाम पर छह करोड़ रूपये खर्च किए गए थे. कटाव निरोधी कार्य हुए अभी तीन महीना भी नहीं बीता कि रिंग बांध ध्वस्त गया.
गंगा नदी के दबाब से बांध टूटा: तटबंध कैंप कार्यालय के पास ही कटा है. बांध के कटते ही अफरातफरी मच गई. नदी के निचले हिस्से में रह रहे लोग अपना समान लेकर सुरक्षित जगहों पर भाग रहे हैं. हालांकि पीड़ितों की सहायता के लिए एम्बुलेंस और स्थानीय पुलिस प्रशासन वहां मौजूद हैं. रिंग बांध कटने से बुद्धुचक के लोग सबसे ज्यादा प्रभावित हुए हैं और अपने अपने समान के साथ सूखे स्थान पर शरण ले रहे है.