बैतूल।बैतूल लोकसभा सीट पर बसपा प्रत्याशी भलावी के निधन के कारण 26 मई को होने वाला मतदान अब 7 मई को होगा. बैतूल में बीजेपी और कांग्रेस के बीच सीधी टक्कर है. यहां पर तीसरा विकल्प दूर-दूर तक दिखाई नहीं देता. बता दें कि 2019 लोकसभा चुनाव में बैतूल से 9 प्रत्याशी मैदान में थे. 2019 में 60.76 फीसदी वोट भाजपा और कांग्रेस 33.78 फीसदी वोट को मिले थे. वहीं बसपा को 1.77 फीसदी वोट मिले थे. भाजपा के डीडी उइके ने कांग्रेस प्रत्याशी रामू टेकाम को 3.50 लाख से अधिक हराया था.
उइके को फिर टिकट, बीजेपी कार्यकर्ताओं में नाराजगी
डीडी उइके को दोबारा टिकट देने से कार्यकर्ताओं में नाराजगी है. इस कारण संभावना है कि बीजेपी बड़े मार्जिन से जीतने की स्थिति में नहीं हो. बीजेपी प्रत्याशी उइके को कार्यकर्ताओं एवं ग्रामीणों की नाराजगी का सामना करना पड़ रहा है. जिससे इस बार बीजेपी की लीड कम होती नजर आ रही है. वहीं कांग्रेस द्वारा पुराने चेहरे रामू टेकाम को ही प्रत्याशी पर बनाए जाने कांग्रेस में कुछ खास बदलाव देखने को नहीं मिल रहा है.
बैतूल में लोकल मुद्दे पर भारी रहते हैं राष्ट्रीय मुद्दे
सांसद डीडी उइके के कार्यकाल में बैतूल जिले के चार रेलवे स्टेशनों बैतूल, घोड़ाडोंगरी, आमला और मुलताई रेलवे स्टेशन को अमृत भारत के स्टेशन योजना का लाभ मिला है लेकिन ट्रेनों के स्टॉपेज नहीं मिलने से लोगों में नाराजगी है. मुलताई और बरबतपुर रेलवे स्टेशन पर ट्रेनों के स्टॉपेज के लिए स्थानीय लोगों ने आंदोलन तक किए, लेकिन इसके बावजूद यहां पर ट्रेनों का स्टॉपेज नहीं मिला. बैतूल लोकसभा चुनाव में लोकन मुद्दों पर हमेशा राष्ट्रीय मुद्दे भारी रहते हैं. यहां लोग लोकल मुद्दे से अधिक राष्ट्रीय मुद्दे को देखकर लोग वोट देते हैं. स्थानीय कार्यकर्ताओं एवं लोगों में सांसद डीडी उइके का विरोध दिखाई दे रहा है लेकिन मोदी लहर इस बार भी कांग्रेस पर भारी नजर आ रही है. इससे इस बार मोदी के सहारे बैतूल में भाजपा की नैया पार लग सकती है.