मोतिहारीःएक तरफ बिहार सरकार बेतिया राज की जमीन को खोजकर उसे अतिक्रमणमुक्त करने में लगी है, वहीं पूर्वी चंपारण जिला में ब्रिटिश काल में बेतिया राज की मिली जमीन के रैयतों का आन्दोलन एकबार फिर से शुरु हो गया है. चंपारण किसान-मजदूर संघर्ष समिति के बैनर तले सैकड़ों किसानों ने तुरकौलिया अंचल कार्यालय पर धरना दिया. किसानों ने कहा-'जान दे देंगे,लेकिन अपनी जमीन नहीं देंगे.'
क्यों कर रहे हैं प्रदर्शन: धरना प्रदर्शन का नेतृत्व कर रहे चंपारण किसान-मजदूर संघर्ष समिति के अध्यक्ष सुभाष सिंह कुशवाहा ने बताया कि यहां के लोगों को ब्रिटिश काल में जमीन मिली थी. ब्रिटिश शासन के समय रैयत घोषित किया गया था. आजादी के बाद मुख्यमंत्री श्रीकृष्ण सिंह ने भी रैयत घोषित किया था. अब बिहार सरकार ने बेतिया राज की 15 सौ एकड़ जमीन को सरकारी भूमि घोषित कर दिया है. इसी निर्णय के खिलाफ धरना प्रदर्शन कर रहे हैं.
"चंपारण में सांसद, मंत्री और कई विधायक का घर बेतिया राज की जमीन पर है. इसलिए बेतिया राज की जमीन को बिहार सरकार द्वारा खाली कराये जाने से खाली होने वाला नहीं है. हम किसानों को सिर्फ परेशान करने के लिए सरकार ऐसा कर रही है."- सुभाष सिंह कुशवाहा, चंपारण किसान-मजदूर संघर्ष समिति के अध्यक्ष