नई दिल्ली/गाजियाबाद:गणेश चतुर्थी का पर्व देशभर में बहुत धूमधाम के साथ मनाया जाता है. इस बार यह सात सितंबर को मनाया जाएगा, जिसके चलते बाजारों में अब रौनक देखने को मिल रही है. वहीं दूसरी तरफ मूर्तिकार, मूर्तियों की सजावट को अंतिम रूप देने में लगे हुए हैं. खरीदारों की डिमांड के अनुसार बाजार में मूर्तियां मौजूद हैं.
गाजियाबाद के मेरठ रोड पर इन दिनों दर्जनों दुकानों पर भगवान गणपति की मूर्तियां सजी हुई हैं. वहीं खरीदार भी अपनी मनपसंद मूर्ति को बुक करने के लिए दुकानों पर पहुंच रहे हैं. इस साल इको फ्रेंडली मूर्ति की खासा मांग देखी जा रही है, जिसे देखते हुए मूर्तिकार भी अधिकतर इको फ्रेंडली मूर्तियां ही तैयार कर रहे हैं.
क्या है इको फ्रेंडली मूर्ति:दरअसल इको फ्रेंडली मूर्ति पानी में आसानी से घुल जाती है. साथ ही इससे पानी में भी किसी प्रकार का प्रदूषण नहीं फैलता. जबकि सामान्य रूप से मूर्ति को प्लास्टर ऑफ पेरिस से बनाया जाता है, जो पानी में आसानी से नहीं घुल सकता. वहीं इको फ्रेंडली मूर्तियों को बनाने में प्लास्टर ऑफ पेरिस का सिर्फ पांच प्रतिशत ही उपयोग किया जाता है. साथ ही साथ इन्हें हर्बल रंगों से सजाया जाता है, जो कि केमिकलयुक्त रंगों की तरह पानी को प्रदूषित नहीं करते. कुल मिलाकर यह मूर्तियां मिट्टी, हर्बल रंग व अन्य प्रकृतिक चीजों से तैयार की जाती हैं.