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लखनऊ के हेरिटेज जोन और प्रमुख चौराहों की खूबसूरती बढ़ाएगी शिल्पकारों की कलाकारी; जानिए क्या है LDA प्लॉनिंग

एकेटीयू के आर्किटेक्चर कॉलेज में लखनऊ विकास प्राधिकरण के सहयोग से शुरू शिविर में जुटे देशभर के कलाकार

लखनऊ के प्रमुख चौराहों को संवारने की तैयारी.
लखनऊ के प्रमुख चौराहों को संवारने की तैयारी. (Photo Credit; ETV Bharat)

By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Oct 15, 2024, 7:31 PM IST

लखनऊःजल्द ही राजधानी के हेरिटेज जोन और प्रमुख चौराहों पर आकर्षक मूर्तियां लखनऊ की खूबसूरती बढ़ाती नजर आएंगी. लखनऊ विकास प्राधिकरण (LDA) ने इसकी तैयारी कर ली है. डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम प्राविधिक विश्वविद्यालय (एकेटीयू) के घटक संस्थान कॉलेज ऑफ आर्किटेक्चर में पांच राज्यों के मूर्तिकार पत्थरों पर अपनी अद्भुत कला को उकेर रहे हैं. LDA के सहयोग से आठ दिवसीय शिविर की शुरुआत की गई है. इसमें यूपी के साथ ही दिल्ली, बिहार, राजस्थान और गुजरात के 10 मूर्तिकार अपनी कला को मूर्त रूप देने में लगे हैं. कलाकारों द्वारा तराशी गई मूर्तियां राजधानी के हेरिटेज जोन और प्रमुख चौराहों की शोभा बढ़ाएंगी. मूर्तिकार यह काम रिकॉर्ड 8 दिन में पूरा कर लेंगे. इसके बाद तय किया जाएगा कि मूर्तियों को कहां-कहां लगाना है.

लखनऊ के प्रमुख चौराहों को संवारने की तैयारी. (Video Credit; ETV Bharat)

जुटे देश के जाने-माने मूर्तिकार:शिविर की क्यूरेटर और आर्किटेक्चर कॉलेज की डायरेक्टर डॉक्टर वंदना सहगल ने बताया कि यहां गिरीश पांडे, पंकज कुमार, शैलेश मोहन ओझा, राजेश कुमार, संतु कुमार चौबे, अजय कुमार, अवधेश कुमार, मुकेश वर्मा, अवनी पटेल और निधि जैसे देश के जाने-माने मूर्तिकार जुटे हैं. ये लखनऊ को और सुंदर बनाने के लिए अपने अनुभव के आधार पर मूर्तियां तैयार कर रहे हैं. बताया कि यह शिविर अपने आप में एक अनूठा है. जो भी मूर्तिकार हैं, उन्होंने इसके लिए न तो कोई डिज़ाइन तैयार किया है, न ही किसी लेआउट को पहले से बना कर लाए हैं. पत्थरों को देखने के बाद उनके दिमाग में जो भी आकृति या डिजाइन आया, उसे ही उकेर रहे हैं. यह अपने आप में एक अनूठी मिसाल है. बताया कि इसे देखने के लिए आर्किटेक्चर कॉलेज के साथ ही अन्य संस्थानों के भी छात्र आ रहे हैं.

मिर्जापुर और जैसलमेर से लाए गए हैं पत्थर:राजधानी लखनऊ को संवारने के लिए लखनऊ विकास प्राधिकरण ने मिर्जापुर और जैसलमेर से पत्थर मंगवाए हैं. इनकी खासियत यह है कि यह प्राकृतिक रूप से अपने मूल स्वरूप में संरक्षित होते हैं और इन्हें आसानी से नक्काशी कर मूर्त रूप दिया जा सकता है. यह बहुत कम मेंटेनेंस में लंबे समय तक टिके रह सकते हैं. दिल्ली से आए मूर्तिकार संतु कुमार चौबे ने बताया कि इन पत्थरों को तराश कर प्राकृतिक संरक्षण का संदेश देने वाली मूर्तियों को बनाया जा रहा है. उन्होंने पूर्वांचल विश्वविद्यालय से बीएससी और जेबीसी की डिग्री ली है, इसके बाद एमएससी की पढ़ाई बीच में छोड़कर अपने हुनर को पेशा बनाने की ओर कदम बढ़ाया. उन्होंने लखनऊ विश्वविद्यालय के ललित कला संकाय से मूर्ति कला में यूजी और पीजी कोर्स किया है. गुजरात अहमदाबाद से आई निधि सभाया ने बताया कि इस शिविर में ज्यादातर काम पुराने समय में, जिस तरह चीनी और हथौड़ी के प्रयोग से मूर्तियां बनाई जाती थीं, वैसा ही किया जा रहा है. बताया कि केवल 8 दिनों में ही यह मूर्तियां तैयार करनी हैं, इसलिए इनके फिनिशिंग वर्क के लिए कुछ इलेक्ट्रॉनिक टूल्स का प्रयोग जरूर किया जाएगा.

1 साल से वर्कशाप की योजना पर काम:फैकल्टी ऑफ आर्किटेक्चर की निदेशक डॉक्टर वंदना सहगल ने बताया कि लखनऊ विकास प्राधिकरण और फैकेल्टी आफ आर्किटेक्चर लखनऊ को सुंदर बनाने के लिए पिछले 1 साल से इस वर्कशॉप की योजना पर काम कर रहे हैं. बताया कि प्राधिकरण ने हमसे हेरिटेज ज़ोन के अलावा लखनऊ के जो एरिया नए डेवलप हो रहे हैं, उनमें पड़ने वाले चौराहों और पार्कों के लिए विशेष मूर्ति बनाने का आग्रह किया था. जिसके लिए दोनों संस्थाएं इस मेगा इवेंट को करने के प्रस्ताव पर बीते 1 साल से कम कर रही थीं. बताया कि इसी आइडिया के तहत इस वर्कशाप का आयोजन किया जा रहा है, जिसमें तैयार मूर्तियों को हम हेरिटेज जोन के साथ ही लखनऊ के नए चौराहों और पार्कों को सुंदर बनाने के लिए करेंगे.

दिल्ली से आए कलाकार हर्षित सिंह ने बताया कि मौजूदा समय में ज्यादातर मूर्तिकारों को बड़े प्रोजेक्ट के नाम पर केवल बड़े-बड़े राजनेताओं की मूर्तियां बनाने के लिए ऑर्डर्स मिलते हैं. स्टेच्यू ऑफ़ लिबर्टी और रामलला की मूर्ति जैसे काम यदाकदा ही मिलते हैं. विशेष तौर पर विभिन्न राजनीतिक दल अपने वरिष्ठ नेताओं की मूर्तियों के लिए ही संपर्क करते हैं.

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