बलरामपुर: रंगों का त्यौहार होली अब नजदीक आ चुका है. इस साल 25 मार्च को होली का त्योहार मनाया जा रहा है. आजकल लोग होली पर हर्बल गुलाल और रंगों से ज्यादा खेलना पसंद कर रहे हैं. लोगों की इस डिमांड को देखते हुए बलरामपुर स्वसहायता समूह की महिलाएं हर्बल गुलाल बना रही है. इससे महिलाओं की आजीविका में बढ़ोतरी तो हो ही रही है, लोगों को भी कम कीमत पर हर्बल रंग मिल रहे हैं.
होली के लिए महिलाएं बना रही हर्बल गुलाल: बलरामपुर के ग्राम पंचायत भनौरा में गंगा महिला स्व सहायता समूह हैं. राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन के तहत कई गांवों की महिलाओं को इस ग्रुप से जोड़ा गया है. इस समूह में कई महिलाएं पिछले 3 साल से जुड़ी है. जो तीज त्योहारों पर अलग अलग चीजें बनाकर मार्केट में उन्हें बेचकर पैसे कमाती हैं. इस समय होली के त्योहार को देखते हुए महिलाएं इको फ्रेंडली रंग बना रही है. पलाश के फूल, चुकंदर, लालभाजी, हरी भाजी, हल्दी और चंदन, अरारोट पाउडर को मिला कर ये रंग बनाए जा रहे हैं. पूरी तरह से प्राकृतिक होने के कारण इन रंगों से होली खेलने से त्वचा को कोई नुकसान नहीं होता.
खाने की इन चीजों से बनते हैं प्राकृतिक रंग
- लाल रंग- लालभाजी
- गुलाबी रंग- चुकंदर
- हरा रंग- कोई भी हरी भाजी
- पीला- हल्दी
- संतरा- पलाश के फूल
पिछले साल होली पर हुई थी बंपर कमाई: पिछले तीन साल से समूह की महिलाएं रंग गुलाल तैयार कर रही हैं. पिछले साल लगभग चार क्विंटल रंग गुलाल की बिक्री हुई थी. मार्केट में हर्बल रंगों की डिमांड को देखते हुए महिलाएं इस बार भारी मात्रा में रंग गुलाल तैयार करने में जुटी हुई हैं.रंगों की कीमत 20 रुपये से लेकर 150 रुपये तक रखी गई है.