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बलरामपुर में इको फ्रेंडली रंग बना रही महिलाएं, होली पर घर में ऐसे बनाएं हर्बल गुलाल - herbal gulal for Holi 2024

How To Make Herbal Gulal बलरामपुर की समूह से जुड़ी महिलाएं खाने की चीजों से ईको फ्रेंडली रंग बना रही है. आप भी घर में आसानी से मिलने वाली चीजों से हर्बल रंग बनाकर इकोफ्रेंडली होली खेल सकती है.

herbal gulal for Holi 2024
बलरामपुर में इको फ्रेंडली रंग बना रही महिलाएं

By ETV Bharat Chhattisgarh Team

Published : Mar 18, 2024, 8:57 AM IST

Updated : Mar 18, 2024, 2:26 PM IST

बलरामपुर में इको फ्रेंडली रंग बना रही महिलाएं

बलरामपुर: रंगों का त्यौहार होली अब नजदीक आ चुका है. इस साल 25 मार्च को होली का त्योहार मनाया जा रहा है. आजकल लोग होली पर हर्बल गुलाल और रंगों से ज्यादा खेलना पसंद कर रहे हैं. लोगों की इस डिमांड को देखते हुए बलरामपुर स्वसहायता समूह की महिलाएं हर्बल गुलाल बना रही है. इससे महिलाओं की आजीविका में बढ़ोतरी तो हो ही रही है, लोगों को भी कम कीमत पर हर्बल रंग मिल रहे हैं.

होली के लिए महिलाएं बना रही हर्बल गुलाल: बलरामपुर के ग्राम पंचायत भनौरा में गंगा महिला स्व सहायता समूह हैं. राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन के तहत कई गांवों की महिलाओं को इस ग्रुप से जोड़ा गया है. इस समूह में कई महिलाएं पिछले 3 साल से जुड़ी है. जो तीज त्योहारों पर अलग अलग चीजें बनाकर मार्केट में उन्हें बेचकर पैसे कमाती हैं. इस समय होली के त्योहार को देखते हुए महिलाएं इको फ्रेंडली रंग बना रही है. पलाश के फूल, चुकंदर, लालभाजी, हरी भाजी, हल्दी और चंदन, अरारोट पाउडर को मिला कर ये रंग बनाए जा रहे हैं. पूरी तरह से प्राकृतिक होने के कारण इन रंगों से होली खेलने से त्वचा को कोई नुकसान नहीं होता.

खाने की इन चीजों से बनते हैं प्राकृतिक रंग

  1. लाल रंग- लालभाजी
  2. गुलाबी रंग- चुकंदर
  3. हरा रंग- कोई भी हरी भाजी
  4. पीला- हल्दी
  5. संतरा- पलाश के फूल

पिछले साल होली पर हुई थी बंपर कमाई: पिछले तीन साल से समूह की महिलाएं रंग गुलाल तैयार कर रही हैं. पिछले साल लगभग चार क्विंटल रंग गुलाल की बिक्री हुई थी. मार्केट में हर्बल रंगों की डिमांड को देखते हुए महिलाएं इस बार भारी मात्रा में रंग गुलाल तैयार करने में जुटी हुई हैं.रंगों की कीमत 20 रुपये से लेकर 150 रुपये तक रखी गई है.

हम प्राकृतिक चीजों से गुलाल बना रहे हैं. फूल पत्तियों से रंग तैयार करते हैं. जिसे अरारोट में मिलाकर, लाल, नीला, पीला, गुलाबी, हरा रंग तैयार कर रहे हैं. -सविता कुमारी, सदस्य स्वयं सहायता समूह

पिछले तीन सालों से हर्बल गुलाल बना रहे हैं. पलाश के फूल और सब्जियों से रंग बनाते हैं. इससे त्वचा और शरीर के दूसरे अंगों को कोई नुकसान नहीं होता-रेखा सिंह, सदस्य, गंगा महिला स्व सहायता समूह

समहू की महिलाओं को इस तरह मिल रहा मार्केट: बलरामपुर की स्वयं सहायता समूह की महिलाओं की आजीविका को बढ़ाने प्रशासन की तरफ से मदद की जा रही है. हर्बल रंग गुलाल को कलेक्ट्रेट, जनपद कार्यालय और अलग अलग सरकारी विभागों के माध्यम से स्टॉल लगाकर और सी- मार्ट के जरिए बिक्री किया जा रहा है.

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Last Updated : Mar 18, 2024, 2:26 PM IST

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