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बलौदाबाजार के डाकेश्वर हस्त शिल्प कला में हैं माहिर, काष्ठ शिल्पकला को जीवंत रखने का कर रहे प्रयास - Dakeshwar Verma expert handicraft - DAKESHWAR VERMA EXPERT HANDICRAFT

बलौदाबाजार के डाकेश्वर वर्मा हस्तशिल्प कला में माहिर हैं. डाकेश्वर लकड़ियों को कोई भी आकृति देकर तैयार कर सकते हैं. इस खास कला को लेकर डाकेश्वर को राज्यपाल ने सम्मानित भी किया है.

DAKESHWAR VERMA EXPERT HANDICRAFT
डाकेश्वर हस्त शिल्प कला में हैं माहिर (ETV Bharat)

By ETV Bharat Chhattisgarh Team

Published : Aug 5, 2024, 6:20 PM IST

बलौदाबाजार के डाकेश्वर हस्त शिल्प कला में हैं माहिर (ETV Bharat)

बलौदाबाजार:भारत की संस्कृति शिल्पकला रही है. इस कला को आज के दौर में पुनर्जीवित करने का प्रयास कुछ वर्ग आज भी कर रहे हैं. इनमें बलौदाबाजार के काष्ठ कला के शिल्पकार शामिल हैं, जो इस कला को जीवंत रखने का प्रयास कर रहे हैं. ताकि हमारी संस्कृति और हस्तशिल्पकला जीवित रहे. दरअसल, हम बात कर रहे हैं. बलौदाबाजार के काष्ठ शिल्पकलाकार डाकेश्वर वर्मा की, जो कि लकड़ी से कुछ भी यूनिक बना लेते हैं. हालांकि डाकेश्वर पेशे से एक सहायक शिक्षक हैं, लेकिन इनको लकड़ियों पर कलाकारी का शौक है.

हस्तशिल्पकला में माहिर डाकेश्वर:ईटीवी भारत से बातचीत के दौरान डाकेश्वर वर्मा ने कहा, "हिंदी में इस कला को हस्तशिल्प कला और अंग्रेजी में वुडआर्ट कहा जाता है. इस कला में लकड़ी को काट-काट कर सुंदर आकृति तैयार की जाती है. मेरी कोशिश है कि हर एक चीज को लकड़ी पर उकेर सकूं. इस कला के जरिए मैं हर एक चीज बना लेता हूं. मैं पिछले 20 सालों से ये काम करते आ रहा हूं. 20 साल पहले मैंने रोड पर चाभी रिंग बनाने वाले को देखा. वो चाभी रिंग बना रहा था. उस समय मैंने सोचा कि क्यों न मैं भी कोशिश करूं. मैंने मूर्ति बनाने की कोशिश की. लकड़ी को काटकर मैंने मूर्ति का रुप देने का काम शुरू किया. अब मैं लकड़ी को कोई भी रूप दे सकता हूं. मैंने खुद से ये काम सीखा है. इसके लिए मैंने किसी से प्रशिक्षण नहीं लिया."

मैं उत्सवों में दुकान लगाता हूं. सरकार मुझे इसे बेचने के लिए जगह देती है. वहीं, मैं अपने बनाए कलाकृतियों को बेचता हूं. हस्त शिल्पकला गोल्ड के तरफ से मुझे औजार मिला है. मैं हिंदी और अंग्रेजी की शब्दों को अलग-अलग काटकर उस शब्द को तैयार करता हूं. इस कलाकृति को मैं औजार के जरिए हाथों से ही तैयार करता हूं. इसके लिए मैं किसी मशीन का इस्तेमाल नहीं करता. -डाकेश्वर वर्मा, काष्ठ शिल्पकलाकार

काष्ठ शिल्पकला को जीवंत रखने का प्रयास:डाकेश्वर वर्मा ने ईटीवी भारत से बातचीत के दौरान बताया कि उनको साल 2010 में राज्यपाल ने सम्मानित किया था. साथ ही साल 2017 में शिक्षा विभाग की ओर से भी राज्यपाल ने पुरस्कार दिया है. ऐसे ही और भी छोटे-बड़े अलग-अलग पुरुस्कार उनको इस खास कला के लिए मिले हैं. ऐसे में ये कहना बिल्कुल गलत नहीं होगा कि आज के आधुनिकता के दौर में भी हमारी संस्कृति को जीवंत रखने का प्रयास कुछ लोग कर रहे हैं. ऐसे लोगों में डाकेश्वर वर्मा भी एक है. जिन्होंने काष्ठ शिल्पकला को जीवंत रखने का प्रयास किया है.

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