बालाघाट के वारासिवनी इलाके में बाघिन के साथ दो शावकों की दस्तक, किसानों में दहशत फैली - tiger hunt panic farmers
Balaghat varasivani tigress panic: बालाघाट जिले के वारासिवनी इलाके में बाघिन की दस्तक से पूरे इलाके में दहशत का माहौल है. ग्रामीणों ने बाघिन को उसके दो शावकों के साथ देखा है. हालत ये है कि किसान झुंड बनाकर खेती करने जा रहे हैं और शाम होने से पहले घर आ जाते हैं.
वारासिवनी इलाके में बाघिन के साथ दो शावकों की दस्तक
बालाघाट।दक्षिण सामान्य वन मंडल वन परिक्षेत्र वारासिवनी अंतर्गत ग्राम पंचायत खाप से बोदलकसा मार्ग पर बाघिन की आमद से ग्रामीणों में दहशत का माहौल व्याप्त है. हर कोई डरा सहमा हुआ है. किसानों का खेती कार्य बाधित हो रहा है तो वहीं आवागमन करने वाले लोगों में भी डर व्याप्त है. आलम ये है कि लोग अंधेरा होने के पहले जाना-आना बंद कर देते हैं. चारों तरफ सन्नाटा पसर जाता है. गांव के जंगल से लगे टोलों में भी सन्नाटा पसरा रहता है. कोई बाहर निकालने और कहीं जाने आने की हिम्मत भी नहीं जुटा पा रहा है.
ग्रामीणों ने वन विभाग से लगाई सुरक्षा की गुहार
ग्रामीणों ने वन विभाग से मांग की है कि कोई उपाय करें जिससे कोई अनहोनी न हो सके. वन विभाग भी सतर्क है. ग्रामीणों के अनुसार बोदलकसा मार्ग पर बाघिन की उपस्थिति करीब एक पखवाड़ा पहले सामने आई थी. जहां पर एक गाय का शिकार कर लिया गया. इस दौरान उसे चरवाहे द्वारा देखा गया. इसके बाद वन विभाग इस इलाके में सतर्क हो गया लेकिन हर दूसरे दिन बाघिन के दीदार किसानों को हो रहे हैं. बताया जाता है कि एक बाघिन अपने दो शावकों के साथ जंगल में भ्रमण कर रही है.
पहले गाय का शिकार, फिर कुत्ता बना निशाना
मंगलवार को बोदलकसा निवासी शैलेंद्र बिसेन की गाय पर बाघिन के एक शावक द्वारा हमला किया गया. उसके बाद बुधवार को खाप के जंगल से लगे खेत में निवासरत व्यक्ति के घर के कुत्ते का शिकार किया गया. इन दोनों घटनाओं में किसान और चरवाहे द्वारा देखा गया है. उसके बाद बासी प्लांट में भी बाघिन को देखने की बात कही जा रही है. इस प्रकार खापा बोदलकसा सहित आसपास के आधा दर्जन ग्राम एवं मुख्य रूप से खाप से बोदलकसा मार्ग पर दहशत का माहौल बना हुआ है.
वर्तमान में किसानों का अति महत्वपूर्ण समय चल रहा है. इस समय रबी की फसल खेतों में लगी है. जिसमें अनेक कार्य रहते हैं परंतु सबसे मुख्य कार्य रहता है खेत में पानी चलाना. जिसके लिए किसान नहर में मोटर लगाकर खेतों में पानी ले रहे हैं. जिसके लिए जंगल किनारे स्थित खेत के किसान सुबह 9 बजे से पहले ग्राम में एक स्थान पर एकत्रित हो जाते हैं जो झुंड बनाकर खेती कार्य के लिए जाते हैं और अंधेरा होने के पहले ही 4:30 से 5:00 बजे तक गांव में वापस आ जाते हैं. इसके बाद वह अगले दिन ही खेत के लिए जाते हैं. ऐसी स्थिति में उनकी पानी की मोटर चल रही है या बंद हो गई या किसी द्वारा चोरी कर ली गई, यह अगले दिन ही पता चलता है.