बालाघाट: एक ऐसा जानवर जो सिर्फ और सिर्फ खून का प्यासा हैं. रफ्तार इतनी तेज की खून पीने के बाद पलक झपकते ही मानो गायब हो जाता है. रात के अंधेरे में बकरियों की रहस्यमयी तरीके से मौत का अजब-गजब मामला एमपी के बालाघाट से सामने आया है. जहां रात के अंधेरे में अचानक कोई आता है और बकरियों का खून पीकर चला जाता है. मांस को हाथ तक नहीं लगाता है और सुबह जब मालिक उठता है, तो उन्हें बकरे और बकरियों की डेड बॉडी मिलती है. वह जानवर कौन सा है, ग्रामीण इससे अनजान हैं. मामला बालाघाट जिले के नवेगांव ग्रामीण थाना क्षेत्र से सामने आया है. जिसके बाद से बकरी पालने वालों दहशत में हैं.
बीते एक माह से घट रही घटनाएं
ग्रामीण बताते हैं कि "रात के अंधेरे में उस जानवर को देखने के लिए चौक-चौराहों और घर में पहरेदारी करते हैं, फिर भी आंखों से ओझल होकर वह बकरियों का शिकार कर खून पी जाता है. यह सिलसिला आज से नहीं करीब एक माह से चल रहा है. यह खौफनाक घटना शहर से सटे ग्राम नैतरा की है. जानवरों का शिकार कौन सा जानवर कर रहा है, ग्रामीण अब भी इससे अंजान हैं.
60 बकरियों को बनाया निशाना
ग्राम नैतरा में करीब एक माह में अदृश्य जानवर ने घरों में बंद करीब 60 बकरा-बकरियों का शिकार कर चुका है. जिसके बाद ग्रामीण पशु पालक दहशत में रात गुजार रहे हैं. वहीं इस घटना से ग्रामीणों में आक्रोश है. वन विभाग भी इस अंजान जानवर को तलाश नहीं कर पा रहा है. कुछ ग्रामीण इस अदृश्य जानवर को जंगली कुत्ता, तो कुछ तेंदुआ बता रहे हैं. फिलहाल इस जानकार को अब तक किसी ने देखा नहीं है.
रात 1 से 3 बजे के बीच चुनता है शिकार
ग्रामीण अमित लिल्हारे का कहना है कि " ग्राम नैतरा के चारों ओर करीब 5 किमी दूर तक कोई जंगल नहीं है, वह शहर से लगा हुआ ग्राम है. बीते जुलाई के महीनें से इस गांव में खूनी खेल शुरू हुआ और आज भी किसी न किसी रात में खूंखार जानवर बकरी का शिकार कर खून पी जाता है. शिकारी जानवर रात 1 से 3 बजे के बीच घरों की तलाशी शुरू कर देता है और जब कोई ग्रामीण बकरियों के पास नहीं दिखाई देता है, तो वह हमला कर खून पी जाता है. अब तक दर्जनों घरों से 60 से ज्यादा बकरा-बकरी का शिकार कर चुका है."
गांव में ग्रामीण कर रहे पहरेदारी
जिन पशु पालकों की बकरियों को जानवर ने अपना शिकार बनाया है, वो काफी परेशान व डरे हुए हैं. उनका कहना है कि उन्हें लाखों का नुकसान हो गया है. गांव के अन्य पशु पालकों ने बताया कि खूंखार अदृश्य जानवर की वजह से गांव में युवक रात में चौक-चौराहों पर लाठी डंडे लेकर पहरेदारी करते हैं, तो बुजुर्ग अपनी बकरियों की देखरेख के लिए घरों में जागते रहते हैं. दहशत की वजह से पशु पालक अपने पक्के टाइल्स वाले मकान में बकरियों को रख रहे हैं. फिर भी खून का प्यासा खूंखार जानवर युवकों व बुजुर्गो की आंखों से ओझल होकर बकरियों का शिकार किसी न किसी रात को कर ही देता है.