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बगहा का अजूबा स्कूल, चार कमरों में दो स्कूल, एक से पांच तक के बच्चे इन हालातों में कर रहे पढ़ाई - Bagaha School

Bihar Education: बिहार की सरकार और शिक्षा विभाग भले ही सरकारी स्कूलों में बेहतर शिक्षा देने की बात करे लेकिन स्कूल में अभी भी कमरों और भवन का अभाव है. बगहा में एक ऐसा प्राथमिक विद्यालय है, जहां महज चार कमरों में दो स्कूल का संचालन होता है. हैरत की बात यह है कि चारों कमरे में दोनों विद्यालय के पांच तक बच्चों को तालीम दी जाती है. पढ़ें पूरी खबर.

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By ETV Bharat Bihar Team

Published : Aug 5, 2024, 6:12 PM IST

बगहा में एकसाथ चलता है दो स्कूल (ETV BHARAT)

बगहा: यू तो सरकारी स्कूलों में बेहतर शिक्षा दिए जाने का दावा किया जाता है, लेकिन हकीकत क्या है सब को पता है. हम बात कर रहे हैं बगहा के ऐसे प्राथमिक विद्यालय की जहां महज चार कमरों में दो स्कूलों का संचालन होता है चलता है. आश्चर्य की बात यह है कि इन चार कमरों में दोनों विद्यालयों के पांच तक कक्षाएं चलती है. दोनों स्कूल के करीब 188 बच्चों को पढ़ाया जाता है. लिहाजा ना तो छात्र कंसंट्रेट कर पाते हैं और ना ही शिक्षक.

अजब है बगहा का प्राथमिक विद्यालय फरसहनी:दरअसल, बगहा दो प्रखंड अंतर्गत यमुनापुर टंडवलिया पंचायत में वर्ष 1968 में स्थापित राजकीय प्राथमिक विद्यालय फरसहनी में एक और विद्यालय को जोड़ा गया है. इसके बाद वर्ष 2021 में राजकीय प्राथमिक विद्यालय जयनगर को भी टैग कर दिया गया. इस विद्यालय में पांचवीं तक के 66 बच्चों का नामांकन है जबकि राजकीय प्राथमिक विद्यालय फरसहनी में 122 छात्र नामांकित हैं. इस दोनों विद्यालयों के सभी छात्र छात्राओं को महज चार कमरों में एडजस्ट किया जाता है. एक एक कमरे में तीन-तीन क्लास संचालित होते हैं.

स्कूल में अध्ययन करते बच्चे (ETV BHARAT)

स्कूल के बरामदे में क्लासरूम:यहीं नहीं चिलचिलाती धूप और गर्मी के बीच बच्चों को बरामदे में बैठना पड़ता है. जहां दोपहर के 12 बजे तक तेज धूप पड़ती है और पंखा नदारद है. यहीं नहीं क्लास शुरू होने और खत्म होने पर बच्चों को क्लासरूम से बरामदा में प्रतिदिन डेस्क बेंच निकाल कर लगाना और रखना पड़ता है. शिक्षक-शिक्षिका भी इन बच्चों के साथ बेंच डेस्क ढोकर कमरे में रखवाते हैं ताकि चोरी ना हो जाए.

"एक बरामदे में एक साथ तीन-तीन क्लास की पढ़ाई होती है. ऐसे में एक दूसरे कक्षा में हो रही पढ़ाई पर ध्यान केंद्रित नहीं हो पाता है. कमरों में पंखा तो है लेकिन बरामदा में पहली, दूसरी ओर तीसरी कक्षा के बच्चों की पढ़ाई होती है जहां पंखा नहीं है. जब तेज धूप लगती है तो स्कूल से कुछ दूर बगीचा में जाकर पढ़ना पड़ता है. भवन इतना पुराना हो चुका है कि बरसात में छत से पानी टपकने लगता है."-अरविंद कुमार, छात्र

बगहा में सरकारी स्कूल का हाल (ETV BHARAT)

बरसात में छत से टपकता है पानी:वहीं राजकीय प्राथमिक विद्यालय फरसहनी के प्रधान शिक्षक शंभू प्रसाद बताते हैं कि मेरे विद्यालय की स्थापना 1968 में हुई थी. इसका भवन कब बना है इसका पता मुझे भी नहीं है. भवन जर्जर हो चुका है और बरसात में छत से पानी टपकता है. किसी तरह मरम्मत और पेंट पोचारा करवा कर काम चलाया जा रहा है. विद्यालय महज 7 डिसमिल में बना है, ऐसे में खेल का मैदान है ही नहीं.

"एक बरामदे में पहली, दूसरी और तीसरी कक्षा का संचालन होता है. इसमें एक साथ तीन शिक्षक पढ़ाते हैं. पहली और दूसरी कक्षा के छात्रों को बोलकर पढ़ाने से उन्हें जल्दी समझ में आता है, लेकिन जोर से बोलने में दूसरे कक्षा के छात्र छात्राओं की पढ़ाई में खलल उत्पन्न होता है. लिहाजा ब्लैक बोर्ड पर सिर्फ लिखकर ही पढ़ाना समझाना पड़ता है."-स्वीटी, शिक्षिका

कमरे में बेंच को ले जाते गुरूजी और बच्चे (ETV BHARAT)

बच्चे और शिक्षक मिलकर बेंच-डेस्क को रखते हैं कमरे में: उन्होंने बताया कि बच्चों का चेतना सभा कराने के लिए जगह ही नहीं है. प्रार्थना के लिए बच्चों को बरामदे में खड़ा कराया जाता है. उसके बाद बच्चे क्लासरूम से बरामदा में लाकर बेंच डेस्क लगाते हैं और पढ़ाई शुरू होती है. फिर छुट्टी के समय छोटे छोटे बच्चों के साथ मिलकर हम सभी शिक्षक शिक्षिका क्लासरूम में डेस्क बेंच को रखते हैं.

"बच्चों को कैसे गुणवत्तापूर्ण शिक्षा दी जा सकती है. वर्ष 2021 में मेरे विद्यालय को जयनगर से इस फरसहनी विद्यालय के साथ टैग किया गया. तबसे कई दफा भूमि और भवन के लिए पत्राचार किया गया लेकिन अब तक भूमि नसीब नहीं हुई है." - प्रमोद शुक्ला, प्रधान शिक्षक, राजकीय प्राथमिक विद्यालय

दोनों स्कूल को दो-दो कमरों का बंटवारा:उन्होंने बताया कि इस विद्यालय में एक और प्राथमिक विद्यालय टैग है. इस तरह से दोनों स्कूलों के बीच दो-दो कमरों का बंटवारा हुआ है. ऐसे में आप खुद समझ सकते हैं कि दो-दो कमरों में पांच-पांच कक्षाओं का संचालन कैसे होता होगा. शिक्षा विभाग के अधिकारी स्कूल का निरीक्षण करने प्रत्येक माह आते हैं. कई दफा उनसे लिखित और मौखिक शिकायत की गई लेकिन आश्वासन के अलावा कुछ नहीं मिला.

"दोनों विद्यालयों के प्रधानाध्यापकों द्वारा भूमि और भवन से संबंधित सुविधाओं को मुहैया कराने के लिए आवेदन प्राप्त हुआ है. राजकीय प्राथमिक विद्यालय जयनगर के लिए भूमि चयन की प्रक्रिया की जा रही है. जिला मुख्यालय को प्रस्ताव भेजा गया है अभी वहां से अग्रेतर कार्रवाई का इंतजार है."-फुदन राम, प्रखंड शिक्षा पदाधिकारी

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