बगहाःएक तो दुःखों का पहाड़ और ऊपर से सिस्टम लाचार. सोचिए जरा ! जिस परिवार का नाबालिग नदी में डूबकर असमय ही काल के गाल में चला गया हो और उस शव के पोस्टमॉर्टम के लिए ठेले पर अस्पताल ले जाना पड़ा हो, उस परिवार पर क्या गुजर रही होगी. लेकिनबगहामें ऐसा ही हुआ, जब लाचार सिस्टम ने परिजनों का दुःख और बढ़ा दिया.
गंडक में डूबकर हुई नाबालिग की मौतः दरअसल बगहा के वार्ड नंबर 25 के गोड़िया पट्टी के पास गंडक नदी में डूबने एक नाबालिग की मौत हो गयी. अपने घर के चिराग की मौत से बेजार हुए जा रहे परिजनों की लाचारी उस समय और बढ़ गयी जब उन्हें उस शव को पोस्टमॉर्टम के लिए ठेले पर लाद कर अस्पताल लाना पड़ा. परिजनों का कहना है कि ''ऑटो या निजी वाहन वाले शवों को अस्पताल ले जाने से हिचकते हैं. अस्पताल में शव वाहन नहीं है, लिहाजा ठेला पर ले जाने की मजबूरी है."
'स्थापना के बाद से ही नहीं है मॉर्चरी वाहन': इस मामले पर अस्पताल उपाधीक्षक डॉक्टर के बी एन सिंह का कहना है कि "अस्पताल में स्थापना के समय से ही मॉर्चरी वाहन नहीं है. कई दफा इसको लेकर पत्राचार किया जा चुका है लेकिन जिला अस्पताल में भी शव वाहन उपलब्ध नहीं है नतीजतन यह समस्या आती है. जैसे ही जिले में मॉर्चरी वाहन उपलब्ध हो जाएगी वैसे ही समस्या का निदान हो जाएगा."