मध्य प्रदेश

madhya pradesh

By ETV Bharat Madhya Pradesh Team

Published : Apr 27, 2024, 6:23 PM IST

Updated : Apr 27, 2024, 7:45 PM IST

ETV Bharat / state

सब फेल कैसा खेल: MP के इस सरकारी स्कूल में 12वीं के रिजल्ट से हड़कंप, 85 में 85 स्टूडेंट्स फेल - Badwani 12th Result Zero

सरकार ने करोड़ों रुपये खर्च कर नया स्कूल भवन बनवाया, स्कूल में पर्याप्त स्टाफ भी है फिर भी एमपी के इस सरकारी स्कूल में 12वीं में पढ़ने वाले 85 में से 85 बच्चे फेल हो गए. शिक्षा विभाग के बिगड़ैल रवैया का इससे बड़ा उदाहरण क्या होगा. आक्रोशित पालकों ने स्कूल बंद कर शिक्षकों पर कार्रवाई करने की मांग की है.

BADWANI 12TH RESULT ZERO
करोड़ों का स्कूल भवन, पर्याप्त स्कूल स्टाफ

12वीं में 85 में से 85 छात्र फेल

बड़वानी।कभी आपने सुना है कि किसी सरकारी स्कूल में 12वीं में पढ़ने वाले सभी छात्र फेल हो गए. अमूमन ऐसा कम ही होता है कुछ पास होते हैं, कुछ फेल होते हैं तो कुछ को सप्लीमेंट्री आती है लेकिन एमपी के बड़वानी जिले के एक स्कूल में शिक्षा विभाग के बिगड़ैल ढर्रे के चलते 12वीं में 85 में से 85 छात्र फेल हो गए. जाहिर सी बात है कि स्कूल में शिक्षकों ने बच्चों को पढ़ाया ही नहीं. रिजल्ट आने पर बच्चों के माता-पिता नाराज हैं. स्कूल पहुंचकर ना केवल उन्होंने प्राचार्य पर जमकर भड़ास निकाली बल्कि स्कूल बंद करने की मांग की है.

12वीं में 85 में से 85 छात्र फेल

12वीं क्लास यानि बोर्ड एग्जाम, इसके चलते हर छात्र शुरू से ही पढ़ाई में मेहनत करता है ताकि अच्छे अंक ला सके और आगे अपना भविष्य बना सके. वहीं परीक्षा परिणाम के साथ एक होड़ सी लगती है किस स्कूल में किसने कितने अंक प्राप्त किए. एमप के बड़वानी जिले के पानसेमल विकासखंड के शासकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय मलफा में पढ़ने वाले 12वीं कक्षा के सभी छात्र फेल हो गए. यहां 12वीं में 89 छात्रों का एडमिशन है. इनमें से 85 छात्रों ने टेमला परीक्षा केन्द्र जाकर परीक्षा दी थी और रिजल्ट आने पर सभी 85 छात्र फेल हो गए.

12वीं में 85 में से 85 छात्र फेल

करोड़ों का स्कूल भवन, पर्याप्त स्कूल स्टाफ

सरकार ने बेहतर शिक्षा के लिए मलफा गांव में करोड़ों का नया स्कूल भवन बनवाया है. यहां पर्याप्त स्कूल स्टाफ भी है फिर भी 12वीं के सभी 85 बच्चे फेल हो गए. बड़वानी के इस स्कूल ने शिक्षा विभाग के बिगड़ैल ढर्रे की पोल खोल कर रख दी है. पढ़ाई के लिए पर्याप्त स्टाफ होने के बावजूद परीक्षा परिणाम शून्य आना सिस्टम की लापरवाही का सबसे बड़ा उदारहण है. यहां पढ़ने वाले छात्रों के भविष्य पर प्रश्नचिन्ह लग गया है.

पालकों और ग्रामीणों में जमकर आक्रोश

रिजल्ट घोषित होने के बाद बड़ी संख्या में बच्चों के माता-पिता और ग्रामीण स्कूल पहुंचे और प्राचार्य से जमकर बहस हुई. गांव वालों ने पूरे स्कूल स्टाफ को सस्पेंड कर कड़ी कार्रवाई करने की मांग की है. शिक्षकों से साल भर की वेतन वसूली की जाए. पालकों का तो यहां तक कहना है कि टेमला परीक्षा केंद्र में हर साल नकल के चलते बच्चे पास हो जाते थे लेकिन इस साल सख्ती के चलते नकल नहीं हो सकी. इसके चलते कोई भी विद्यार्थी 12वीं की परीक्षा पास नहीं कर सका.

'शिक्षक पढ़ाने से बचने ढूंढ़ते हैं नए नए बहाने'

पालक रविंद्र पाटिल का कहना है कि हमारे बच्चे रोज स्कूल जाते हैं लेकिन स्कूल में पढ़ाई नहीं होती है. शिक्षक पढ़ाने से बचने के लिए हर दिन कोई न कोई नया बहाना ढूंढते हैं. कभी कहते हैं बीमार हैं, कभी कहते हैं कि आज चश्मा भूल गए ,कभी सिर दर्द का बहाना बनाते हैं ऐसे कई बहाने रोज बनाते हैं. यहां पढ़ाई होती ही नहीं है. कई बार इसकी शिकायत की लेकिन प्राचार्य भी सुनने को तैयार नहीं रहते. हमारे बच्चों का भविष्य खराब हो रहा है.

'जिम्मेदार शिक्षकों के खिलाफ हो कड़ी कार्रवाई'

ग्रामीण जितेन्द्र पाटिल का कहना है कि यहां प्राचार्य समेत सभी शिक्षक दोषी हैं.ऐसे में सभी जिम्मेदार शिक्षकों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई होना चाहिए. स्कूल स्टाफ का साल भर का वेतन सरकार को वापस ले लेना चाहिए. किशोर पाटिल का कहना है कि विद्यालय में कई प्रकार की अव्यवस्थाएं हैं. शिकायत करने पर कोई ध्यान नहीं देता है. रविन्द्र पाटिल का कहना है कि ना सिर्फ 10 वीं और 12वीं बल्कि 9वीं और 11वीं के परीक्षा परिणाम भी यहां पर निराशाजनक हैं. यदि सरकार सतत मॉनिटरिंग और पढ़ाई की व्यवस्था नहीं कर सकती तो यहां स्कूल बंद कर देना चाहिए.

ये भी पढ़ें:

JNCT कॉलेज में सिविल डिप्लोमा के सभी छात्र फेल, NSUI ने की मूल्यांकन की मांग

प्रैक्टिकल एग्जाम में कम नंबर आने पर फूटा छात्रों का गुस्सा, टीचर और क्लर्क को बांधकर पीटा
रुक जाना नहीं...हताश ना हों छात्र, सरकार की इस योजना के तहत असफल विद्यार्थियों को मिलेगा दोबारा मौका

जिम्मेदारों ने साधी चुप्पी

जब रिजल्ट जीरो हो गया तो इस मामले पर जिले के सभी जिम्मदरों ने चुप्पी साध रखी है. इस संबंध में जब प्राचार्य आलोक सिसोदिया से निराशाजनक परीक्षा परिणाम को लेकर उनका पक्ष जानना चाहा तो जवाब देने से बचते नजर आए. सरकार खासकर पिछड़े इलाकों में पढ़ाई पर खासा ध्यान दे रही है और मूलभूत सुविधाओं से लेकर संसाधनों पर भी खर्च कर रही है. इसके विपरीत धरातल पर परिणाम नहीं आ रहे हैं. आदिवासी जिलों में शुमार बड़वानी के इस स्कूल की जिम्मेदारी कौन लेगा.

Last Updated : Apr 27, 2024, 7:45 PM IST

ABOUT THE AUTHOR

...view details