धमतरी : धमतरी में बड़ी रेल लाइन बनाने के काम जब शुरु हुआ तो रेलवे के जमीन में सालों से रह रहे लोगों को हटाया गया था.इस दौरान लोगों से ये कहा गया था कि सभी का पुनर्वास किया जाएगा.लेकिन ऐसा नहीं हुआ.आज सैकड़ों परिवार के पास सिर छिपाने की जगह नहीं हैं. परिवारों का पुनर्वास करना शासन प्रशासन की जिम्मेदारी है. लेकिन सरकारी विभागों के आपसी समन्वय की कमी और जन प्रतिनिधियों की उदासीनता के कारण ऐसे परिवार नरकीय जीवन जीने को मजबूर है. यहां की स्थिति देखकर हर कोई सोच रहा है कि आखिर किसकी वजह से यह परिवार इन परिस्थितियों में जीवनयापन करने को मजबूर हैं.
2018 से लटका का काम : धमतरी जिले में रेलवे की खाली पड़ी जमीन पर सैकड़ों परिवार दशकों से अवैध कब्जा कर रह रहे थे. 2018 में जब से धमतरी से रायपुर बड़ी रेल लाइन का काम शुरु हुआ है. तब से एक-एक कर ऐसे अतिक्रमण तोड़े जा रहे हैं. ऐसे लोगों के पुनर्वास के लिए 2018 से ही आवास बनाने का प्रस्ताव शासन को भेज दिया गया था. लेकिन बीच में कोविड आ गया और मामला लटक गया. जो आज तक लटका हुआ है.
अधूरे आवासों में विस्थापन : इधर रेलवे बीच-बीच में अतिक्रमण तोड़ता रहता है. कुछ परिवारों ने अपनी व्यवस्था कर ली है. लेकिन अभी भी बड़ी संख्या में लोगों के पास आशियाना नही है. इन्हें शहर के महिमासागर वार्ड में अधूरे बने अटल आवास में शरण दी गई है. जहां सभी मजदूर वर्ग के लोग रहते हैं. अधूरे बने अटल आवास में हाल ही में नल कनेक्शन दिया गया है. लेकिन शौचालय और पानी की समस्या अब भी अटल आवास में बनी हुई है.
''रात को 7 बजे के बाद सार्वजनिक शौचालय बंद हो जाता है.पानी का दिक्कत है,हम लोगों को 15 दिन हो गया यहां पर आए.लेकिन कोई भी यहां देखने के लिए नहीं आया. ना विधायक ना ही महापौर आया.सब अपने घर में रहते हैं.हमको कौन देखेगा.'' - बिसन साहू, प्रभावित परिवार
बिजली नहीं होने से मंडरा रहा खतरा :अधूरे पड़े अटल आवासों में बिजली का कनेक्शन नहीं है.जिसके कारण बारिश के मौसम में कीड़े मकोड़े काटने का डर बना रहता है.परिवारों का आरोप है कि विस्थापन से पहले ही प्रशासन को परिवारों को बसाने का प्लान तैयार करना था.लेकिन बसाने से ज्यादा उजाड़ने में ताकत झोंकी गई.