अलवर :शहर में संचालित नव दिशा संस्था दिव्यांग व दृष्टिहीन लोगों के सपनों को सच करने का माध्यम बनी है. नव दिशा के संस्थापक अवनीश मलिक कॉलेज के समय तक बॉक्सिंग खेलते थे. उन्होंने इस खेल में कई मेडल भी जीते, लेकिन 1988 में उन पर एसिड अटैक किया गया और उस हादसे ने अवनीश की दुनिया ही बदल दी. एसिड अटैक के कारण अवनीश की आंखों की रोशनी चली गई. उसके बाद उन्हें दृष्टिबाधित और दिव्यांग लोगों की पीड़ा का अहसास हुआ और उन्होंने नव दिशा संस्था की शुरुआत की, जिसने आज कइयों की जिंदगी संवारने का काम किया है. ऐसे लोगों में कई व्यक्ति आज सरकारी सेवाओं में बड़े पदों पर कार्यरत हैं.
नव दिशा संस्था के संस्थापक अवनीश मलिक ने बताया कि नव दिशा की शुरुआत दिसंबर 1990 में हुई. इससे पहले वे अलवर के आरआर कॉलेज में पढ़ाई करते थे, उस दौरान उन्हें रेसलिंग से लगाव था. उन्होंने 1982 में रेसलिंग शुरू की और कई मेडल व पुरस्कार भी जीते, लेकिन 1988 में एसिड अटैक हादसे में उनकी आंखों की दृष्टि चली गई. उन्होंने बताया कि आंखों की रौशनी जाने के बाद उन्हें अहसास हुआ कि दिव्यांग व दृष्टिहीन लोगों के जीवन में किस तरह की परेशानियां आती है. इस परेशानी से दृष्टि बाधित व दिव्यांग लोगों को उभारने के लिए नव दिशा संस्था की शुरुआत की. उन्होंने कहा आज उन्हें खुशी है कि यहां के बच्चे अपनी मेहनत के दम पर मुकाम हासिल कर रहे हैं और उनकी इस उपलब्धि में नव दिशा ने एक छोटा सा सहारा दिया.