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गुजरात के द्वारका मंदिर की तरह गया में भी बाल रूप में भगवान कृष्ण विराजमान, मुस्कान बिखेरती प्रतिमा चारों पहर बदलती है रूप - Krishna Janmashtami 2024

Krishna Dwarka Temple In Gaya: गुजरात का द्वारकाधीश मंदिर भारत में भगवान श्रीकृष्ण को समर्पित सबसे प्रसिद्ध मंदिरों में से एक है. उसी मंदिर की तरह बिहार के गया में भी एक मंदिर है, जहां कृष्ण जी बाल रूप में विराजमान हैं. नारायण की महिमा ही कहिये कि अष्टधातु से बनी उनकी प्रतिमा चारों पहर अपना रूप बदलती रहती है. 350 साल पुराने इस मंदिर में श्रीकृष्ण जन्माष्टमी पर भक्तों की भारी भीड़ जुटी है.

Krishna Dwarka Temple In Gaya
गया में प्राचीन कृष्ण द्वारका मंदिर (ETV Bharat)

By ETV Bharat Bihar Team

Published : Aug 26, 2024, 12:19 PM IST

गया में प्राचीन कृष्ण द्वारका मंदिर (ETV Bharat)

गया: देश भर में जन्माष्टमी का त्योहार धूमधाम से मनाया जा रहा है. भगवान कृष्ण की पूजा में भक्त जुटे हुए हैं. इसी कड़ी आज हम आपको बिहार के गया में भगवान श्रीकृष्ण के बाल रूप में अत्यंत दुर्लभ प्रतिमा के बारे में बताने जा रहे हैं. यह प्रतिमा अष्टधातु की बताई जाती है, जो काले पत्थरों की बनी है. भगवान कृष्ण बाल रूप में बांसुरी लिए यहां विराजमान हैं. तकरीबन 350 साल से गया के कृष्ण द्वारका मंदिर में ये प्रतिमा स्थापित है.

गुजरात के द्वारका मंदिर की तरह है प्रतिमा: कृष्ण द्वारिका मंदिर के पुजारी का मानना है कि यह प्रतिमा अद्भुत और चमत्कारिक है. गुजरात के द्वारका मंदिर की तरह यह प्रतिमा है और यहां भी भगवान चतुर्भुज रूप में विराजमान हैं. गुजरात के द्वारिका मंदिर से यह प्रतिमा थोड़ी छोटी है लेकिन स्वरूप पूरी तरह से मिलता-जुलता है. ऐसी प्रतिमा अत्यंत दुर्लभ होती है और देश में गिने-चुने जगह पर ही देखने को मिलती है.

गया का प्राचीन कृष्ण द्वारका मंदिर (ETV Bharat)

चारों पहर अलग-अलग रूप में दिखते हैं नारायण: इस मंदिर की बड़ी खासियत यह है कि यहां भगवान की प्रतिमा चारों पहर अपना रूप बदलती है. भगवान श्रीकृष्णा बाल रूप में है और सुबह दोपहर शाम और रात्रि में उनकी अलग-अलग मुद्रा होती है. सुबह में मुस्कान वाली मुद्रा में दर्शन देते हैं. दोपहर में कुछ और संध्या और रात में कुछ और मुद्रा होती है. पुजारी का मानना है कि भक्त इसे खुद देख सकते हैं.

भक्त मानते हैं चमत्कार: पुजारी अरविंद कुमार मिश्रा बताते हैं कि यहां भगवान श्रीकृष्ण के बाल रूप में जो प्रतिमा है, वह चारों पहर रूप बदलती है. भक्त इसे खुद रहकर भी देख सकते हैं. श्रृंगार से लेकर रात आरती तक भगवान श्री कृष्ण के सेवक के रूप में रहते हैं और इसे देखते हैं. कोई भी भक्त यदि चाहे तो वह भी मंदिर में रहकर इस चमत्कार को देख सकते हैं, कि कैसे चारों पहर भगवान कृष्ण अपना अलग-अलग रूप बदलते हैं.

कृष्ण द्वारका मंदिर में अष्टधातु की प्रतिमा (ETV Bharat)

नि:संतान जोड़े की भरती है गोद!: पुजारी अरविंद कुमार मिश्रा का कहना है कि भगवान चमत्कार दिखाते हैं. यहां से कोई खाली हाथ नहीं जाता. अपवाद स्वरूप ही कभी ऐसा होता है, जब किसी की मनोकामना पूर्ण नहीं हुई हो. यहां भगवान हर मन्नत को पूरा करते हैं. संतान प्राप्ति के लिए जो भक्त इस मंदिर में आते हैं और भगवान कृष्ण के इस रूप का दर्शन और पूजन करते हैं, उन्हें संतान की प्राप्ति होती है. भगवान कृष्ण के इस प्रतिमा के दर्शन के बाद चमत्कार के कई किस्से प्रसिद्ध है.

कुएं में तेज आवाज के बाद मिली थी प्रतिमा: बताया जाता है कि यह प्रतिमा भी चमत्कार के रूप में मिली थी. यहां एक कुआं हुआ करता था और उसमें में करीब 350 साल पहले तेज आवाज हुई थी. लोगों ने जाकर देखा था, तो भगवान श्रीकृष्ण की अद्भुत प्रतिमा मिली. इसके बाद उस प्रतिमा को यहां स्थापित किया गया, तब से यह प्रतिमा यहां विराजमान है और भगवान भक्तों को अपना आशीर्वाद देते हैं. यह प्रतिमा कितनी पुरानी है इसका पता किसी को भी नहीं है, लेकिन 350 सौ साल से भगवान कृष्ण की यह प्रतिमा कृष्ण द्वारका मंदिर में विराजमान है.

चतुर्भुज रूप में विराजमान श्रीकृष्ण (ETV Bharat)

गुजरात के द्वारका मंदिर से समानता: पुजारी अरविंद कुमार मिश्रा बताते हैं, कि गुजरात के द्वारका मंदिर में जिस तरह की प्रतिमा भगवान कृष्ण की है, उसी तरह की प्रतिमा गया के कृष्ण द्वारका मंदिर में भी स्थापित है. भगवान श्री कृष्णा बाल रूप में विराजमान है. ऐसा मानना है कि यहां निसंतान की गोद भर जाती है. वैसे भगवान भक्तों के सच्चे दिल से मांगे गए सभी तरह की मन्नतों को पूरा करते हैं.

"कृष्ण द्वारका मंदिर गया में स्थापित इस प्रतिमा के दर्शन के लिए देश भर से लोग आते हैं. जो भी तीर्थ यात्री गया जी को आते हैं, वे कृष्ण द्वारिका जरूर पहुंचते हैं और भगवान कृष्ण के इस दुर्लभ अद्भुत और चमत्कारी प्रतिमा का दर्शन जरूर करते हैं.भगवान का चमत्कार ही कहा जा सकता है कि यहां प्रतिमा चारों पहर अपना रूप बदलती है. सुबह, दोपहर, शाम और रात्रि में अलग-अलग रूप में भगवान के दर्शन किए जा सकते हैं. ये भक्तों के लिए खुद देखने वाली बात है."-अरविंद कुमार मिश्रा, पुजारी कृष्ण द्वारिका मंदिर, गया

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