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बिना डांट 90% बच्चों ने छोड़ा मोबाइल, खोज लाए खिलौना, खास शख्स का कमाल - KIDS MOBILE ADDICTION ASHOKNAGAR

अशोकनगर के बोहरा समाज के 15 साल तक के 90% बच्चों ने छोड़ा मोबाइल का मोह, अब पढ़ाई के साथ सोशल एक्टिविटीज पर फोकस.

KIDS MOBILE ADDICTION ASHOKNAGAR
मोबाइल की लत से दूर बोहरा समाज के बच्चे (Etv Bharat)

By ETV Bharat Madhya Pradesh Team

Published : Feb 3, 2025, 12:47 PM IST

Updated : Feb 3, 2025, 1:39 PM IST

अशोकनगर : छोटे बच्चों के लिए मोबाइल टाइम पास और मनोरंजन का ऐसा साधन बन गया है, जो उन्हें अपने मार्ग से भटका रहा है. छोटे-छोटे बच्चे बाहर खेल कूद करने की बजाए आजकल मोबाइल स्क्रीन पर व्यस्त नजर आते हैं, जो उनके मानसिक व शारीरिक स्वास्थ्य के लिए हानिकारक होता है. लेकिन अशोकनगर के दाउदी बोहरा समाज के बच्चे मोबाइल को 'बम' की तरह मानते हैं, और उससे दूरी बनाकर रखते हैं.

मोबाइल चलाना तो दूर, बच्चे मोबाइल को हाथ तक नहीं लगाते. इस आर्टिकल में जानें इन बच्चों की मोबाइल की लत छोड़ने की पूरी कहानी.

मोबाइल की जगह फन एक्टिविटीज में समय देते हैं बच्चे (Etv Bharat)

मोबाइल की लत से दूर बोहरा समाज के बच्चे

दरअसल, कुछ दिनों पहले दाऊदी बोहरा समाज के धर्मगुरु डॉक्टर सैयदना अली कदर मुफद्दर सैफुद्दीन ने एक संदेश देते हुए फरमान जारी किया था. इस संदेश में उन्होंने दाऊदी बोहरा समाज से अपील करते हुए कहा कि 0 से 15 साल तक के बच्चों को उनके परिजन मोबाइल फोन से दूर रखें. इसके साथ ही उन्होंने समाज के पदाधिकारियों को इन परिवारों के बच्चों की मॉनिटरिंग की जिम्मेदारी भी सौंप दी. लिहाजा अब अशोकनगर जिले में रहने वाले बोहरा समाज के 18 परिवार के बच्चे मोबाइल चलाना तो दूर बल्कि उनसे हाथ भी लगाने से परहेज करते हैं.

अशोकनगर के बोहरा समाज की अनोखी पहल (Etv Bharat)

18 परिवार के 90% बच्चों ने छोड़ा मोबाइल

अशोकनगर में दाऊदी बोहरा समाज के 18 परिवार रहते हैं. इन परिवारों में 0 से 15 साल तक के जो भी बच्चे हैं, उन्हें धर्मगुरु के संदेश के आधार पर मोबाइल की लत से छुटकारा दिलाया गया है. इस खास पहले के तहत समाज के 90% बच्चों ने मोबाइल से पूरी तरह से तौबा कर ली है. इन बच्चों को मोबाइल से दूरी बनाने में परिजनों ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है. वहीं अब बच्चों के मनोरंजन के लिए सोशल एक्टिविटी और आउटडोर खेलों का सहारा लिया जा रहा है. इससे उनका मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य दोनों बेहतर होगा.

बच्चों को आउटडोर गेम्स खेलने के लिए प्रेरित कर रहे पेरेंट्स (Etv Bharat)

मोबाइल छोड़ने का कारण खुद बताते हैं बच्चे

बोहरा समाज के बच्चों ने मोबाइल छोड़ने को लेकर "ईटीवी भारत" को कई तर्क दिए. बच्चों ने कहा, '' मोबाइल एक बम है. जितना बड़ा मोबाइल, उतना ही बड़ा ये बम है, इसलिए हमें मोबाइल से दूर रहना चाहिए.'' इसके अलावा बच्चों ने बताया कि मोबाइल देखने से हमारी आंखें खराब हो जाती हैं. अगर हम लगातार मोबाइल देखते रहेंगे तो इन्हें निकलवाना भी पड़ सकता है. जहीरा कहती हैं, '' मैंने मोबाइल हाथ में रखना बंद कर दिया है. मैं अपनी फिजिकल एक्टिविटीज करती हूं. जैसे वॉलीबॉल, फुटबॉल एंड बास्केटबॉल, बैडमिंटन.

बच्चों को मोबाइल की लत से दूर करने में पेरेंट्स की अहम भूमिका (Etv Bharat)

मोबाइल की लत छोड़ने में पहले परेशानी, अब सब बेहतर

क्लास 2 में पढ़ने वाले मुकद्दल सैफी की मां नसरीन सैफी ने बताया, '' पहले तो धर्मगुरु के संदेश की वीडियो बच्चों को दिखाई. फिर हमने बच्चों को समझाइश दी, कि हमें मोबाइल बिल्कुल नहीं चलाना. फिर बच्चा मान गया. फिर हम लोगों ने खुद भी मोबाइल छोड़ बच्चों के साथ टाइम स्पेंड किया. उनके पापा जैसे ही दुकान से आते हैं, तो बच्चों के साथ क्रिकेट, बैडमिंटन सहित अन्य सोशल गेम खेलते हैं. बच्चों को ड्राइंग में बहुत इंटरेस्ट है, इसलिए आर्ट की तरफ इसका रुझान कर दिया. धीरे-धीरे मोबाइल से बच्चे को बिल्कुल दूर कर दिया.''

मोबाइल गेम्स की जगह आउटडोर व इनडोर गेम्स खेलते हैं बच्चे (Etv Bharat)

नसरीन आगे कहती हैं, '' अब यह कंडीशन है कि यह किसी का कॉल भी आता है, तो बच्चे फोन उठाने से भी झिझकते हैं. पहले हमने खुद में सुधार किया और फिर बच्चों को सुधारा क्योंकि पेरेंट्स को देखकर बच्चे अक्सर कहते है कि, आप चला रहे हो तो हम क्यों नहीं चलाएं?

मोबाइल छोड़ने के बाद व्यवहार में भी आया बदलाव

नसरीन आगे कहती हैं, '' पहले बच्चे के स्कूल से आने के बाद फोन चलाना, खाना खा रहे हैं तो फोन देखना. कुछ पता नहीं रहता था कितना खाना खा रहे हैं, पढ़ने के कुछ देर बाद ही फोन देखने लगते थे. इंडोर एक्टिविटी और आउटडोर एक्टिविटी खत्म हो चुकी थी. जब से फोन छुड़वाया है तो बच्चे में बहुत बदलाव आया है. क्रिकेट सहित अन्य खेलों में रुचि बढ़ गई है. सबके साथ बातें करने लगा, नहीं तो मोबाइल को लेकर एक कोने में बैठ जाते थे. किसी से बात नहीं करते थे.''

समाज के जिम्मेदार करते हैं बच्चों की मॉनिटरिंग

दाऊदी बोहरा समाज के खजांची यासुफ अली ने बताया, '' धर्मगुरु साहब का फरमान आया था, कि कोई भी बच्चा मोबाइल नहीं चलाएगा. मैं अशोकनगर में बोहरा समाज का ट्रेजर हूं. अशोकनगर के 18 घर के बच्चों ने 90% मोबाइल चलाना बंद कर दिया है. और हम लोग समाज के मेंबर हैं, उसका अपडेट लेते रहते हैं कि बच्चे मोबाइल चलाते हैं, या नहीं. हम लोगों ने क्रिकेट सहित अन्य सामाजिक खेलों की तरफ बच्चों का रुझान किया है, ताकि उनमें शारीरिक तौर पर विकास हो सके.''

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Last Updated : Feb 3, 2025, 1:39 PM IST

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