नई दिल्ली: दिल्ली हाईकोर्ट ने कहा है कि पुराने आपराधिक कानूनों के तहत दर्ज एफआईआर के मामले में भी अगर कोई अग्रिम जमानत याचिका 1 जुलाई या उसके बाद दायर की जाती है तो वह नए कानून भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता के प्रावधानों के तहत सुने जाएंगे. जस्टिस अनूप जयराम भांभानी ने भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता की धारा 531(2)(ए) का हवाला देते हुए ये बातें कहीं. दरअसल हाईकोर्ट एक अग्रिम जमानत याचिका पर सुनवाई कर रहा था.
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याचिकाकर्ता आरोपी के खिलाफ 18 मई को पुराने कानून भारतीय दंड संहिता की धारा 376, 328 और 506 के तहत एफआईआर दर्ज किए गए थे. हाईकोर्ट ने साफ किया कि अग्रिम जमानत याचिका 1 जुलाई के बाद दायर की गई है, इसलिए वह भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता के प्रावधानों के तहत ही दायर किए जाने चाहिए थे. कोर्ट ने भारतीय अपराध प्रक्रिया संहिता की धारा 482 के तहत दायर अग्रिम जमानत याचिका को भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता की धारा 528 के प्रावधान के तहत सुनवाई करते हुए आदेश जारी किया.
कोर्ट ने अग्रिम जमानत याचिका पर नोटिस जारी करते हुए जांच अधिकारी को निर्देश दिया कि वह शिकायतकर्ता को भी सुनवाई में उपस्थित होने का निर्देश दें क्योंकि उसका ये अधिकार है कि उसका पक्ष भी सुना जाए. हालांकि हाईकोर्ट ने आरोपी के खिलाफ कोई भी निरोधात्मक कार्रवाई करने पर अगले आदेश तक अंतरिम रोक लगा दी. कोर्ट ने आरोपी को निर्देश दिया कि वह जांच अधिकारी की ओर से जांच के लिए बुलाए जाने पर जांच में शामिल होगा.
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