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भुट्टे के शौकीनों हो जाओ तैयार, जौनसार बावर में 'अनाजों की रानी' की हो रही बंपर पैदावार, पौष्टिकता के क्या कहने! - Vikasnagar corn crop ready - VIKASNAGAR CORN CROP READY

Corn crop ready in Jaunsar Bawar of Dehradun district मक्का को अनाजों की रानी कहा जाता है. मक्का या भुट्टे को आग में भूनकर या उबालकर खाया जाता है. इसके साथ ही मक्के से चिलड़े, चाट, पकौड़े, टिक्की, पॉपकॉर्न, सूप, सब्जी और खीर भी बनाई जाती है. इन दिनों मोटापा कम करने और दिल को स्वस्थ रखने के लिए कॉर्न फ्लेक्स का बहुत चलने है. उत्तराखंड का जौनसार बावर इलाका ऑर्गेनिक मक्के या भुट्टे की पैदावार के लिए जाना जाता है. इन दिनों यहां के खेत भुट्टे की फसल से लहलहा रहे हैं. Dehradun corn production

Corn crop ready in Jaunsar Bawar
जौनसार बावर खेती किसानी समाचार (ETV Bharat Graphics)

By ETV Bharat Uttarakhand Team

Published : Aug 27, 2024, 11:03 AM IST

Updated : Aug 27, 2024, 2:36 PM IST

भुट्टे की फसल हो रही तैयार (Video- ETV Bharat)

विकासनगर: उत्तराखंड के पहाड़ी क्षेत्र जौनसार बावर के खेतों में इन दिनों हरे भरे मक्के दिखाई दे रहे हैं. किसान मक्के की अच्छी फसल देखकर प्रफुल्लित हैं. उन्हें उम्मीद है कि जब वो मक्के को बाजार में बेचने जाएंगे तो उन्हें अच्छे दाम मिलेंगे. खास बात ये है कि जौनसार बावर इलाके में मक्के की फसल प्राकृतिक खाद से उगाई जाती है, जो स्वास्थ्य के लिए उत्तम होती है.

मक्का के टॉप 10 उत्पादक राज्य (ETV Bharat Graphics)

जौनसार बावर में लहलहाई मक्के की खेती: मक्के से कई प्रकार की भोज्य सामग्री बनाई जाती हैं, जो स्वास्थ्य के लिए लाभदायक बताई जाती हैं. मक्के को भुट्टा, कुकडी और टैंटे आदि नामों से भी जाना जाता है. इसके उत्पादन से सीजनली कुछ लोगों को रोजगार का जरिया भी बना रहता है. शहरी क्षेत्रों, पर्यटन स्थलों, मुख्य मोटर मार्गों के किनारे और पार्कों आदि स्थानों में लकड़ी के कोयले की आंच में भुना हुआ भुट्टा बेचते हैं. मक्के के दानों को निकाल कर इसका आटा भी तैयार किया जाता है. कुछ किसान मक्के के दानों को बड़े से चूल्हेनुमा तवे में भूनकर सत्तू बनाते हैं. मक्के के आटे से रोटी भी बनाई जाती है. मक्के के कच्चे दानों से पहाड़ों में शिडकु भी बनाए जाते हैं, जो स्वाद के साथ साथ पौष्टिकता से भी भरभूर माने जाते हैं.

जौनसार बावर में मक्के की जैविक खेती होती है (Photo- ETV Bharat)

पोषक तत्वों का खजाना है मक्का: कृषि विज्ञान केंद्र के प्रभारी विज्ञानिक डॉ अशोक शर्मा ने बताया कि देसी मक्के में उच्च पोषण, विटामिन बी, फाइबर और एंटीऑक्सीडेंट होते हैं, जो शरीर को ऊर्जा प्रदान करने के साथ साथ पाचन तंत्र को भी बेहतर बनाते हैं. इसमें विटामिन ए, बी और ई साथ ही पोटैशियम, मैग्नीशियम और फास्फोरस जैसे खनिज होते हैं, जो शरीर की विभिन्न प्रक्रियाओं को सुचारू रूप से चलाने में मदद करते हैं. यह शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को मजबूत करने में मदद करता है. देसी मक्का मधुमेह रोगियों के लिए भी फायदेमंद होता है. डाइट एक्सपर्ट के अनुसार इसमें ग्लाइसेमिक इंडेक्स कम होता है. इससे यह रक्त शर्करा के स्तर को नियंत्रित करता है.

पहले के मुकाबले घटी मक्के की खेती: जौनसार खतासा गांव के किसान मान सिंह और अजय सिंह ने कहा कि गांव में किसान खेती किसानी तो कर रहे हैं, लेकिन पहले के मुकाबले हर फसल के उत्पादन का रकबा घटता जा रहा. खतासा गांव के किसानों द्वारा नकदी फसलों के साथ साथ पारंपरिक फसलों का उत्पादन किया जाता है. पहले किसान चार खेत मक्के की बिजाई करते थे. अब कम से कम दो खेतों में तो मक्का उत्पादन करना ही पड़ता है, जिससे शुद्ध जैविक अनाज भी मिल जाता है. साथ में पशुओं को चारा भी मिल जाता है. मक्का स्वास्थ्य के लिए अच्छा होता है. फसल तैयार होने पर इसके दाने निकाल कर आटा तैयार किया जाता है. कुछ लोग भूनकर सत्तू भी बनाते हैं, जो एक तैयार खाद्यान्न सामग्री है.

मक्का को भुट्टा भी कहते हैं (Photo- ETV Bharat)

उत्तराखंड का वातावरण मक्के की फसल के अनुकूल: कृषि विज्ञान केंद्र ढकरानी देहरादून के विज्ञानिक डॉ संजय राठी ने कहा कि मक्का की फसल हमारे यहां के वातावरण के लिए अनुकूल है. देसी मक्का की जो बजाई करते हैं, इसका उत्पादन तो अच्छा होता ही है, साथ ही साथ इसकी जो गुणवत्ता है वह भी उच्च क्वालिटी की होती है. मक्का को अनाजों की रानी कहा जाता है. दरअसल हमारे पर्वतीय क्षेत्रों में मक्का की खेती लगातार इसी प्रकार अच्छा उत्पादन देती है और इसे एक आम खाद्यान के रूप में प्रयोग किया जाता है.

मक्का पोषक तत्वों से भरपूर:कृषि वैज्ञानिक डॉक्टर संजय राठी के अनुसार 100 ग्राम मक्के में 365 किलो कैलोरी ऊर्जा मिलती होती है. मक्के में कार्बोहाइड्रेट, स्टार्च, प्रोटीन, वसा, तेल और चीनी पाई जाती है. ये प्राकृतिक पोषक तत्व शरीर को स्वस्थ्य और तंदुरुस्त रखते हैं.

भुट्टे में अनेक पोषक तत्व होते हैं. (Photo- ETV Bharat)

उत्तराखंड में इतनी भूमि में होती है मक्के की खेती:भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (Indian Council of Agricultural Research) से मिली जानकारी के अनुसार, उत्तराखंड में कुल 27,895 हेक्टेयर भूमि पर मक्के की खेती की जाती है. अगर देहरादून जिले की बात करें तो यहां कुल 9,115 हेक्टेयर भूमि में मक्के की खेती होती है. उत्तराखंड में कुल 33% कृषि योग्य भूमि में मक्का उगाया जाता है. दिलचस्प बात ये है कि इसमें करीब 45% क्षेत्रफल राज्य के पहाड़ी इलाकों में पड़ता है.

उत्तराखंड में मक्के के दाम:इस समय उत्तराखंड के बाजारों में मक्का का औसत मूल्य ₹2350/क्विंटल है. मक्के की सबसे कम बाजार की कीमत ₹2200/क्विंटलहै. सबसे उच्च बाजार की कीमत ₹2500/क्विंटल है.
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Last Updated : Aug 27, 2024, 2:36 PM IST

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