रायपुर: हर साल गर्मियों के दौरान जंगल में लगातार आग की घटनाएं बढ़ जाती है. इसकी वजह से जहां एक ओर जंगल के पेड़-पौधे जलकर नष्ट होते हैं, तो वहीं दूसरी ओर कई जानवरों की जलकर मौत हो जाती है. इस वजह से कई जानवरों की प्रजाति विलुप्त हो चुकी है या फिर विलुप्ती की कगार पर है. हालांकि इसके अब तक कोई आंकड़े सामने नहीं आए हैं. जंगल की आग का पशु-पक्षियों पर भी खासा असर देखने को मिलता है.
छत्तीसगढ़ के जंगलों में आग लगने की घटनाओं के आंकड़े :जानकारी के अनुसार, साल 2024 में अब तक कुल 14,449 आग लगने की घटनाएं हो चुकी है. केवल मई महीने में ही 1,177 अग्नि दुर्घटनाएं हुई हैं. वहीं पिछले साल 2023 की बात की जाए तो 2023 में छत्तीसगढ़ में कुल 13,096 आग लगने की घटनाएं हुई थी. साल 2023 में 1 साल में जितनी अग्नि दुर्घटनाएं हुई थी, उससे कहीं ज्यादा अग्नि दुर्घटना महज साढ़े 4 महीने में ही छत्तीसगढ़ में देखने को मिली है. यह साफ दर्शाता है कि छत्तीसगढ़ के जंगलों में आगजनी की घटनाओं में काफी इजाफा हुआ है. जंगल में आग लगने की सूचना का डाटा http://www.fmisonline.org/FireMis पर देखी जा सकती है.
कोरोना काल में सबसे कम जंगल में लगी आग:यदि साल 2022 के जंगल में आग की घटनाओं की बात की जाए, तो 2022 में छत्तीसगढ़ के जंगलों में लगभग 18,447 अग्नि दुर्घटना हुई थी. वहीं साल 2021 में 22,191 घटनाएं दर्ज की गई. जबकि कोरोना काल के दौरान साल 2020 के दौरान 4,713 आग लगने की घटनाएं हुई थी. वहीं साल 2019 में 17,835 आग लगने की घटनाएं सामने आई थी. साल 2018 में यह संख्या 23,091 थी.
जंगल की आग इंसानी गलतियों का नतीजा :इस संबंध में वन्य जीव प्रेमी नितिन सिंघवी ने कहा, छत्तीसगढ़ के जंगलों में अधिकतर आग की घटनाएं इंसानों की वजह से हो रही है. यह प्राप्त आंकड़ों से स्पष्ट हो रहा है. यदि कोरोना काल को छोड़ दिया जाए, तो हर साल अधिक अग्नि दुर्घटनाएं हुई हैं. जबकि कोरोना काल में यह आंकड़ा बहुत कम था. ऐसे में साफ है कि लोगों की वजह से जंगल में आग लग रही है.