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मिलिए अंबिकापुर की डोसा क्वीन से, सस्ते में टेस्टी डोसा खाना हो तो यहां आएं - अंबिकापुर जिला न्यायालय

अंबिकापुर जिला न्यायालय के सामने एक महिला ठेले में मात्र 20 और 30 रुपये में गरमा गरम डोसा परोस रही हैं. इस भरी महंगाई में जहां रेस्टोरेंट वाले 80 रुपये से 200 रुपये तक की कीमत पर डोसा बेच रहे हैं. वहीं महिला द्वारा इतने कम दाम पर और स्वादिष्ट डोसा बेचना शहरवासियों और डोसा प्रेमियों के लिए बड़ी बात है.

Ambikapur Dosa Queen
अंबिकापुर की डोसा क्वीन

By ETV Bharat Chhattisgarh Team

Published : Feb 26, 2024, 10:59 PM IST

अंबिकापुर की डोसा क्वीन

सरगुजा: अम्बिकापुर शहर में गरमा गरम डोसा 20 और 30 रुपये उपलब्ध है. बड़ी बात ये है की कुछ महीनों पहले ये डोसा 10 रुपये का था. महंगाई बढ़ी तो हाल ही में दुकानदार ने डोसे का साइज बढ़ाया और रेट 20 और 30 कर दिया है. फिर भी इतनी कम कीमत पर डोसा मिलना अम्बिकापुर में बड़ी बात है. क्योंकि यहां रेस्टोरेंट में डोसे की कीमत 80 रुपये से 200 रुपये तक है. ऐसे में गरीब या मध्यम वर्ग की पहुंच से ये डोसा दूर हो जाता है. ऐसे में अंबिकापुर जिला न्यायालय के सामने एक महिला ठेले में मात्र 20 और 30 रुपये में गरमा गरम डोसा परोस रही हैं.

पिछले 9 साल से दंपति बेच रहे डोसा : बीते 9 साल से पति-पत्नी दोनों यहां ठेला लगाकर डोसा बेचते हैं. पहले एक डोसा 10 रुपये का ही था. सालों बाद रेट को बढ़ाकर 20 और अब 30 रुपये किया गया है. ग्राहक बताते हैं की ये साफ सुथरा और बड़ा ही स्वादिष्ट डोसा बनाते हैं. जब भी इधर आना होता है, डोसा खा लेते हैं. बाजार में डोसा काफी महंगा है, गरीब लोग उसे नहीं खा सकते हैं. यहां हर आने जाने वाला नास्ते के रूप में सुपाच्य डोसा खा लेता है.

पूजा डोसा सेंटर के नाम से दुकान चलाते हैं 9 साल हो गया है, पहले 10 रुपये में डोसा बेचते थे, अब महंगाई को देखते हुये 20 और 30 रुपये कर दिये हैं. सस्ता इसलिए बेचते हैं क्योंकी कोर्ट के सामने दुकान है, यहां गांव से लोग आते हैं महंगा बेचेंगे तो कम बिकेगा, सस्ता होने से बिक्री भी अधिक होती है और खाने वाले को भी सस्ता पड़ता है, कमाई भी ठीक हो जाती है जीवन अब पहले से बेहतर हो गया है. - मुर्मू विश्वास, संचालिका, पूजा डोसा सेंटर

डोसा के बिजनेस से जिंदगी बदली: डोसा दुकान में पत्नी का साथ दे रहे रंजीत विश्वास कहते हैं कि, "रोज समान लेकर साफ सुथरा डोसा बनाते हैं. डोसा को नास्ता के नाम से खिलाता हूं, ताकि जो लोग गांव से आते हैं, उनको समझ आये, उनका पेट भी भर जाए और महंगा भी ना पड़े. पहले से जीवन में बहुत बदलाव है, घर बढ़िया से चल रहा है, बच्चे पढ़ रहे हैं, घर बनवा लिये हैं. इस काम की वजह से पहले से स्थिति बहुत बदल गई है."

प्रधानमंत्री के आत्मनिर्भर भारत की अपील का असर बाजर में दिखने लगा है. लोग अब स्वरोजगार की ओर बढ़ रहे हैं और इसमें उन्हें सफलता भी मिल रही है. मुर्मू विश्वास की तरह ही ऐसे कई उदाहरण हैं, जिन्होंने स्वरोजगार से अपना जीवन बदला है. डोसे के ठेले की शुरुआत कर न सिर्फ लोगों को सस्ता और अच्छा नास्ता उपलब्ध करा रही हैं बल्कि अपने परिवार को भी बेहतर ढंग से चला रही हैं.

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