कोरबा : मॉर्डनाइजेशन के इस दौर में जहां आज की जनरेशन पश्चिमी सभ्यता और हिप हॉप बिट्स पर थिरकना पसंद करते हैं. वहीं कोरबा की कुछ युवतियों ने पारंपरिक भारतीय क्लासिकल डांस से सबका दिल जीत लिया है. अबू धाबी में आयोजित अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिता में कोरबा की नृत्यांगनाओं का डंका बजाया और गोल्ड मेडल समेत विशेष पुरस्कार भी जीता. ये जीत इस बात का प्रमाण है कि भारतीय क्लासिकल कला की आज भी दुनिया में एक अलग पहचान है. इस उपलब्धि से ना सिर्फ कोरबा बल्कि छत्तीसगढ़ का नाम विदेश में रोशन हुआ है.
नम्रता ने गोल्ड तो पर्वथम ने जीता सिल्वर मेडल :14 वें कल्चरल ओलंपियाड का आयोजन सह प्रायोजक यूनेस्को पेरिस फ्रांस ने किया था. जिसमें 7 से 10 नवंबर तक अंतरराष्ट्रीय गायन, वादन, नृत्य प्रतियोगिता का आयोजन आबूधाबी यूएई में किया गया था. इस प्रतियोगिता में एक निजी विद्यालय में डांस टीचर नम्रता बरेठ और क्लास 3 की स्टूडेंट नन्हीं पर्वथम योद्धा ने पुरस्कार जीता है.नम्रता बरेठ को स्वर्ण पदक के अलावा उनके विशिष्ट परफॉर्मेंस को देखते हुए स्पेशल गोल्डन स्टार अवॉर्ड से भी सम्मानित किया गया है. इसके अलावा पर्वथम योद्धा ने अपने उत्कृष्ट प्रदर्शन से सब जूनियर वर्ग में सिल्वर मेडल जीत कर अंतरराष्ट्रीय मंच पर अपनी प्रतिभा का लोहा मनवाया है. दोनों ही के डांस मास्टर और तबला वादक मोरध्वज वैष्णव की स्टूडेंटस हैं. नम्रता 12 साल से कत्थक की ट्रेनिंग ले रही हैं. जबकि नन्हीं पर्वथम भी 4 साल से वैष्णव के डांस स्कूल की होनहार स्टूडेंट हैं.
अबू धाबी में कोरबा के कत्थक डांसर्स का कमाल (ETV Bharat Chhattisgarh)
कड़ी मेहनत से हासिल किया यह मुकाम : नम्रता के मुताबिक वो एक निजी विद्यालय में डांस टीचर हैं. लेकिन यह सब उनके गुरु मोरध्वज वैष्णव के कारण ही संभव हो पाया है. 12 साल के कठिन तपस्या के बाद उन्होंने ये मुकाम हासिल किया है.
अबू धाबी में जीता मेडल (ETV Bharat Chhattisgarh)
क्लासिकल डांस करना आसान नहीं है. इसमें काफी मेहनत लगती है. मुझे 12 साल लग गए, कठिन परिश्रम के बाद मैंने यह पुरस्कार हासिल किया है. अबू धाबी में मेरे परफॉर्मेंस को देखकर सभी काफी खुश हुए. उम्मीद से बढ़कर रिस्पांस मिला.मुझे न सिर्फ गोल्डन मेडल मिला, बल्कि अलग-अलग देश से प्रतिभागियों के बीच मुझे ही एक विशेष तरह का पुरस्कार भी दिया गया. मैं काफी खुश हूं और आगे भी अपनी प्रेक्टिस जारी रखूंगी- नम्रता बरेठ, कत्थक डांसर
नन्ही पर्वथम ने कहा कि अबू धाबी जाना और वहां परफॉर्मेंस देना काफी अच्छा अनुभव रहा.
दोनों शिष्यों ने रखा गुरु का मान (ETV Bharat Chhattisgarh)
हमारे डांस को काफी सराहना मिली. मैं पिछले 4 साल से कत्थक सीख रही हूं. मुझे यह डांस काफी पसंद है- पर्वथम योद्धा, कत्थक डांसर
राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय मंच पर नाम रोशन :बच्चों को क्लासिकल विधाओं की शिक्षा देने वाले डांस मास्टर मोरध्वज वैष्णव कहते हैं कि हाल ही में मेरे दो स्टूडेंट्स ने अबू धाबी में गोल्ड और सिल्वर मेडल जीते हैं. नम्रता को तो उनके खास परफॉर्मेंस के लिए एक विशेष अवार्ड भी दिया गया. नन्हीं पर्वथम ने भी पुरस्कार जीता.
कत्थक डांसर्स का कमा (ETV Bharat Chhattisgarh)
मेरे कई स्टूडेंट्स ने राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय मंच पर कोरबा और छत्तीसगढ़ का नाम रोशन किया है. क्लासिकल डांस और परंपरागत कलाओं को सीखना और प्रस्तुति देना आसान काम नहीं है. आजकल पेरेंट्स चाहते हैं कि जल्दी से जल्दी उनके बच्चों को मंच मिले. वह अच्छा परफॉर्म करना शुरू कर दें. लेकिन ऐसा नहीं होता. क्लासिकल डांस को सिखाने में काफी समय लगता है. खासतौर पर छोटे बच्चों को तैयार करना और भी कठिन है. काफी परिश्रम करना होता है और इसके बाद जो परिणाम सामने आता है वह भी काफी खास होता है- मोरध्वज वैष्णव, डांस टीचर
सात समंदर पार सफलता के गाड़े झंडे (ETV Bharat Chhattisgarh)
आपको बता दें कि कड़ी मेहनत के बाद जो परिणाम सामने आ रहे हैं वह बेहद संतुष्टि देते हैं. वर्तमान दौर में पाश्चात्य सभ्यता का ज्यादा प्रचलन है. लेकिन इस दौर में भी हमारी जो भारतीय क्लासिकल डांस कलाएं हैं. उसका लोहा दुनिया में सभी मानते हैं. मोरध्वज की माने तो उन्होंने जहां भी अपने बच्चों के साथ जाकर प्रस्तुति दी है. लोगों ने काफी सराहना की है. दुनिया भर में क्लासिकल डांस को काफी मान सम्मान मिला है.
गोल्ड मेडल समेत जीता विशेष पुरस्कार (ETV Bharat Chhattisgarh)