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अमर बाउरी ने हेमंत सरकार पर लगाया दलित विरोधी होने का आरोप, बोले- इस सरकार ने आरक्षण को किया शून्य - monsoon session

Amar Bauri Statement. नेता प्रतिपक्ष अमर कुमार बाउरी ने हेमंत सरकार की कार्यशैली पर सवाल उठाया और आरोप लगाया कि राज्य सरकार द्वारा की गयी नियुक्तियों में अनुसूचित जाति के लिए एक भी पद नहीं है.

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नेता प्रतिपक्ष अमर बाउरी की तस्वीर (ETV BHARAT)

By ETV Bharat Jharkhand Team

Published : Jul 30, 2024, 8:11 PM IST

रांची:मानसून सत्र के दौरान झारखंड विधानसभा में मंगलवार को शब्दों का तीर जमकर चलता रहा. सदन के अंदर और बाहर सत्ता पक्ष-विपक्ष कई मुद्दों पर आपस में उलझते नजर आए. इन सबके बीच नेता प्रतिपक्ष अमर कुमार बाउरी ने हेमंत सरकार को दलित विरोधी बताते हुए जमकर भड़ास निकाली. सदन के बाहर मीडियाकर्मियों के सामने सरकार की कार्यशैली पर सवाल उठाते हुए अमर कुमार बाउरी ने आरोप लगाया कि राज्य सरकार द्वारा निकाली गयी नियुक्ति में अनुसूचित जाति के लिए एक भी पद नहीं है.

अमर कुमार बाउरी का बयान (ETV BHARAT)

नेता प्रतिपक्ष ने सरकार को बताया दलित विरोधी

उन्होंने कहा कि राज्य सरकार के द्वारा चौकीदार की बहाली निकाली गई है, लेकिन दलितों के हितैषी कहे जाने वाली इस सरकार के द्वारा पिछड़ों और दलितों का आरक्षण राज्यभर में शून्य कर दिया गया है. उन्होंने झारखंड मुक्ति मोर्चा और कांग्रेस से सवाल पूछते हुए कहा कि राहुल गांधी क्या बताने का काम करेंगे कि किस वजह से झारखंड में दलित और पिछड़ों के आरक्षण को शून्य कर दिया गया है. इतना ही नहीं वनरक्षक रेंजर की बहाली में भी दलितों का आरक्षण शून्य कर दिया गया है. यह सरकार दलित विरोधी है और कई मौकों पर दलित विरोधी काम किया है, चाहे वह आरक्षण शून्य करने की बात हो या अनुसूचित जनजाति आयोग का गठन न करने की. सरकार जानबूझकर यह काम कर रही है.

स्पीकर सदन में कार्यकर्ता की तरह कर रहे काम: अमर बाउरी

नेता प्रतिपक्ष अमर कुमार बाउरी ने विधानसभाध्यक्ष की कार्यशैली पर सवाल खड़ा करते हुए कहा कि जिस तरह से सदन के अंदर में नेता प्रतिपक्ष को बोलने नहीं दिया जाता है. उनके माइक को बंद कर दिया जाता है, ऐसे में साफ पता चलता है कि सरकार निरंकुशता की हद को पार कर गई है. एक तरफ संसद में राहुल गांधी बतौर नेता प्रतिपक्ष बोलते हैं और उन्हें यदि रोका जाता है तो कहा जाता है कि देश का संविधान खतरे में है. वहीं दूसरी तरफ झारखंड में नेता प्रतिपक्ष को बोलते नहीं दिया जाता है. विधानसभा अध्यक्ष संवैधानिक दायित्वों को पूरा करने के बजाय एक कार्यकर्ता के रूप में काम कर रहे हैं. बांग्लादेशी घुसपैठ पर हाईकोर्ट की रिपोर्ट की मांग पर स्पीकर की टिप्पणी एक तरह से कोर्ट की अवमानना ​​है. इस तरह कई मौकों पर विधानसभा अध्यक्ष को अपनी जिम्मेदारियों और मर्यादाओं का उल्लंघन करते देखा गया है.

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