प्रयागराज: बांके बिहारी मंदिर वृंदावन- मथुरा के आसपास बिना नोटिस दिए ध्वस्तीकरण की कार्रवाई करने पर इलाहाबाद हाईकोर्ट ने प्रदेश सरकार से जवाब तलब किया है. मामले की सुनवाई 4 दिसंबर को होगी. यह आदेश न्यायमूर्ति सिद्धार्थ वर्मा और न्यायमूर्ति सैयद कमर हसन रिजवी की खंडपीठ ने अनंत शर्मा और अन्य की जनहित याचिका पर दिया.
इससे पहले हाइकोर्ट ने बांके बिहारी मंदिर में भीड़ प्रबंधन को लेकर दाखिल जनहित याचिका पर कॉरिडोर बनाने के प्रदेश सरकार के प्रस्ताव को मंजूरी दी थी. साथ ही मंदिर के आसपास अतिक्रमण को हटाने का भी आदेश दिया था. चार अक्टूबर 2024 के आदेश से प्रशासन ने मंदिर के आसपास 81 अतिक्रमण वाले स्थान चिह्नित किए थे, जिसे कोर्ट ने हटाकर हलफनामा दाखिल करने के लिए कहा था.
मुख्य सेवाधिकारी अशोक गोस्वामी के वकील शशि शेखर मिश्र ने कहा कि लोगों को बिना नोटिस दिए और बिना उनका पक्ष सुने प्रशासन मकानों को तोड़ रहा है. इस संबंध में उन्होंने न्यायालय में कुछ समाचार पत्रों की कटिंग भी उपलब्ध कराई. इस पर न्यायालय ने मुख्य स्थायी अधिवक्ता को समाचार पत्रों की फोटो-प्रतिया उपलब्ध करायी और बिना नोटिस के ध्वस्तीकरण के संबंध में जानकारी मांगी है.
बांके बिहारी मंदिर के पास 81 अतिक्रमण: 21 अक्टूबर को बांके बिहारी मंदिर में श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए याचिकाकर्ता अनंत शर्मा एवं अन्य ने भीड़ प्रबंधन को लेकर दाखिल जनहित याचिका पर कोर्ट ने बांके बिहारी मंदिर कॉरिडोर के निर्माण के साथ मंदिर के आसपास अतिक्रमण हटाने का आदेश दिया था. मथुरा नगर निगम ने बांकेबिहारी मंदिर क्षेत्र में सर्वे कर मकानों और दुकानों और रेस्टोरेंट के आगे हो रहे 81 अतिक्रमण को चिह्नित किया. हाईकोर्ट ने पिछले दिनों अतिक्रमण को हटाकर हलफनामा दाखिल करने को कहा था.
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