प्रयागराज:इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा है कि गैर राज्य के लिए दी गई पावर ऑफ अटॉर्नी के आधार पर दूसरे राज्य में मुकदमे की पैरवी नहीं की जा सकती है. कोर्ट ने बसपा सरकार में एमएलसी रहे इकबाल उर्फ बाला की याचिका इस आधार पर खारिज कर दी है. इकबाल ने अपने एक परिचित तनसीफ के जरिए इलाहाबाद हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की थी. कहा गया कि इकबाल ने तनसीफ को अपने मुकदमों की पैरवी करने के लिए पावर ऑफ अटॉर्नी दी है. क्योंकि वह व्यवसाय के सिलसिले में देश से बाहर है. कोर्ट ने इस दलील को खारिज करते हुए कहा कि पावर ऑफ अटॉर्नी दिल्ली की अदालतों और सुप्रीम कोर्ट में लंबित मुकदमों की पैरवी के लिए दी गई है. ऐसी स्थिति में यह नहीं माना जा सकता है कि इसके आधार पर इलाहाबाद हाईकोर्ट में भी मुकदमे की पर भी की जा सकती है.
इकबाल की याचिका पर यह आदेश न्यायमूर्ति अरुण सिंह देशवाल ने दिया है. प्रदेश सरकार की ओर से अपर महाधिवक्ता मनीष गोयल और अपर शासकीय अधिवक्ता विकास सहाय ने याचिका का विरोध किया. कहा गया कि पावर ऑफ अटॉर्नी दिल्ली की अदालत में लंबित मुकदमों की पैरवी के लिए दी गई है. इस पावर ऑफ अटॉर्नी का उपयोग करके इलाहाबाद हाईकोर्ट में भी याचिका दाखिल की गई है, जो कि पोषणीय नहीं है. इसी आधार पर इलाहाबाद हाई कोर्ट की एक अन्य बेंच इससे पहले भी इकबाल की याचिका खारिज कर चुकी है. कोर्ट ने दलील को स्वीकार करते हुए याचिका खारिज कर दी.