प्रयागराज:शनिवार को इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एक आदेश में कहा है कि आईपीसी की धारा 375 की परिभाषा के अनुसार ही रेप माना जा सकता है और यदि ऐसा नहीं हुआ है तो धारा 376एबी का अपराध नहीं बनता. कोर्ट ने मजिस्ट्रेट के समक्ष दर्ज पीड़िता के बयान में रेप का आरोप नहीं होने पर उसके आधार पर याची के खिलाफ निर्मित रेप के आरोप को अवैध करार देते हुए रद्द कर दिया है.
कोर्ट ने कहा कि आईपीसी की धारा 375 में रेप की परिभाषा दी गई है. यदि आरोप में इस धारा की शर्तें पूरी नहीं होती हैं तो धारा 376ए बी का अपराध नहीं बनेगा. यह आदेश न्यायमूर्ति राजीव मिश्र ने बुलंदशहर के पहासू थानाक्षेत्र निवासी संजय गौर की आपराधिक पुनरीक्षण याचिका को स्वीकार करते हुए दिया.
याचिका में विशेष न्यायाधीश पोक्सो एक्ट द्वारा याची के विरुद्ध आईपीसी की धारा 376ए बी के तहत निर्मित आरोप की वैधता को चुनौती दी गई थी. याची का कहना था कि उसने सात वर्ष की बच्ची को छुआ तक नहीं है, इसलिए उसके खिलाफ रेप का आरोप नहीं बनता है.