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इलाहाबाद हाईकोर्ट: साथ नहीं रहने वाले रिश्तेदारों पर नहीं चल सकता घरेलू हिंसा का केस - HIGH COURT ORDER

इलाहाबाद हाईकोर्ट के न्यायमूर्ति अरुण कुमार सिंह देशवाल ने सोनभद्र की कृष्णा देवी और छह अन्य की अर्जी पर आदेश जारी किया है.

इलाहाबाद हाईकोर्ट आर्डर.
इलाहाबाद हाईकोर्ट आर्डर. (Photo Credit ; ETV Bharat)

By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Feb 3, 2025, 7:45 PM IST

प्रयागराज :इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा है कि जो रिश्तेदार साझा घर में नहीं रह रहे हैं उन पर घरेलू हिंसा कानून के तहत मुकदमा नहीं चलाया जा सकता है. कोर्ट ने मामले में पति के पारिवारिक सदस्यों के खिलाफ मुकदमे की कार्यवाही को रद्द कर दिया है. हालांकि पति और सास के खिलाफ मामले को बरकरार रखा है. कोर्ट ने कहा कि घर साझा करने के ठोस सबूत के बिना दूर के रिश्तेदारों को फंसाना कानूनी प्रक्रिया का दुरुपयोग है. यह आदेश न्यायमूर्ति अरुण कुमार सिंह देशवाल ने सोनभद्र की कृष्णा देवी और छह अन्य की अर्जी पर दिया है.

अभियोजन के अनुसार वैवाहिक कलह के चलते पीड़ित पक्ष ने पति और उसकी मां व विवाहित बहनों के खिलाफ घरेलू हिंसा की धाराओं में मुकदमा दर्ज कराया था. सास और पांच अन्य रिश्तेदारों सहित याचियों ने अतिरिक्त मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट, सोनभद्र के समक्ष लंबित मामले में कार्यवाही को रद्द करने की मांग करते हुए हाईकोर्ट में अर्जी दा​खिल की थी. कोर्ट ने दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद कहा कि घरेलू हिंसा का मुकदमा उन्हीं लोगों पर दर्ज किया जा सकता है, जो पीड़ित के साथ साझा घर में रहे हों.

कोर्ट की टिप्पणी है कि इस अदालत को ऐसे कई मामले मिले, जहां पति या घरेलू संबंध में रहने वाले व्यक्ति के परिवार को परेशान करने के लिए, पीड़ित पक्ष दूसरे पक्ष के उन रिश्तेदारों को फंसाता है, जो पीड़ित व्यक्ति के साथ साझा घर में नहीं रहते या रह चुके हैं. कोर्ट ने माना कि याची, विवाहित बहनें और उनके पति अलग-अलग रहने के कारण अधिनियम के तहत प्रतिवादी नहीं माने जा सकते. हाईकोर्ट ने उनके खिलाफ मामला रद्द कर दिया है. हालांकि, न्यायालय ने कहा कि सास और पति के खिलाफ कार्यवाही जारी रहेगी, क्योंकि दहेज से संबंधित उत्पीड़न सहित घरेलू हिंसा के विशिष्ट आरोप थे. ट्रायल कोर्ट को मामले में तेजी लाने और 60 दिनों के भीतर समाप्त करने का निर्देश है.

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