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अक्षय तृतीया पर ये चीज गलती से भी न करें दान वरना परेशानी खड़ी हो जाएगी - akshaya tritiya 2024 - AKSHAYA TRITIYA 2024

अक्षय तृतीया पर्व नजदीक है. सनातन धर्म के मानने वालों के लिए इसका विशेष महत्व है. आईए इस खबर में जानते हैं वह कौन से ऐसे शुभ कार्य हैं, जिन्हें करने से कृपा बरसती है. साथ ही यह भी जानेंगे, कि इस दिन कौन से ऐसे कार्य हैं जो बिल्कुल नहीं करने चाहिएं.

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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : May 8, 2024, 8:51 AM IST

मेरठ: अक्षय तृतीया का बेहद ही शुभ और पावन पर्व वैशाख के महीने की शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथी को मनाया जाता है. अक्षय शब्द का अर्थ होता है, जिसका कभी नाश न हो. इस दिन खरीदारी करना बहुत शुभ माना जाता है. दस मई को अक्षय तृतीया है. इस बारे में ईटीवी भारत ने प्रसिद्ध कर्मोलॉजिस्ट विशेषज्ञ भारत ज्ञान भूषण से बात की. उन्होंने इस दिन के महत्व को बताया. साथ ही उन्होंने बताया, कि इस दिन क्या करें और क्या न करें.

प्रसिद्ध ज्योतिषाचार्य भारतज्ञान भूषण ने अक्षय तृतीया पर्व की दी जानकारी (etv bharat reporter)
सबसे बड़ा मुहूर्त अक्षय तृतीया:प्रसिद्ध कर्मोलॉजिस्ट विशेषज्ञ भारतज्ञान भूषण ने बताया, कि बिना किसी गणना के जो शुभ मुहूर्त होते हैं, उनमें से सबसे बड़ा मुहूर्त अक्षय तृतीया है. इस दौरान कोई भी शुभ कार्य कर सकते हैं. उसका फल अक्षय हो जाता है. किसी भी जन्म में उसका फल आत्मा के साथ जाता है और कभी भी समाप्त नहीं होता. सबसे महत्वपूर्ण तिथि यही कहलाती है. इसमें कोई भी कार्य किया जाए, चाहे वाहन खरीदना, चाहे भूमिपूजन करना चाहे नया कार्य करना, नया जनेऊ धारण करना, कोई भी नई दीक्षा लेना ये सभी के लिए अत्यंत शुभकारी हो जाते हैं. इस बार अक्षय तृतीया में चार योग बने हुए हैं. यह चतुर्माघी तिथि कहलाती है. यह योगादि तिथि इसलिए कहलाती है, क्यों कि इसी दिन से सतयुग प्रारम्भ हुआ है. इसी दिन से त्रेता युग भी प्रारम्भ हुआ. इस तिथि से बढ़कर कोई तिथि नहीं है.

दस मई क्रांति दिवस:प्रसिद्ध ज्योतिषाचार्य भारतज्ञान भूषण कहते हैं, कि इस बार दस मई क्रांति दिवस भी है. इसी दिन मेरठ से क्रांति के लिए बिगुल फूंका गया था.इस बार सूर्य और चंद्र अधिक प्रभावी है. ऐसे में इस दिन कुछ दान नहीं करना चाहिएं. वह बताते हैं, कि सूर्य का दान गेंहू,बाजरा है. इस दीन चादर लाल चुनरी इनका दान नहीं करना चाहिए.

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अक्षय तृतीया पर परशुराम जयंती: इसी प्रकार चन्द्रमा का दान है चावल, चांद, जल और दूध. इसे दान करने से बचें. लेकिन, खरबूजे के साथ जल घड़े में दे रहे हैं, तो दान कर सकते हैं. यह शुभ प्रभाव बढ़ाने वाला है. अलग से जल का दान भी इस दिन नहीं करना है. इस दिन धातू अवश्य खरीदनी चाहिएं, क्योंकि धातु दीर्घ आयु रहती हैं. धातु खरीदने से चिरंजीवी प्रभाव रहेगा. परशुराम जयंती भी इसी दिन है. इसलिए यह चिंरजीवी तिथि भी कहलाती है. चिरंजीवी तिथि का तात्पर्य होता है, कभी भी समाप्त न होने वाली. इस बार जो दान का विशेष महत्व है, राहु का और बुध का काले तिल काला जेब वाला निकर, सिंगाड़ा इससे कुप्रभाव मंगल पर न पड़ें. क्योंकि सूर्योदय तिथि में लग्नेश मंगल ही है.

इसे दान करने से बचे:सूर्य और चंद्र का दान नहीं करें जो कुप्रभावी दान है. राहु और बुध उन्ही से संबंधित दान करना है. खासतौर पर सत्तू का दान करें, उसके साथ भीगी चने की डाल भी दान स्वरूप दे सकते हैं. छाता, चप्पल मौजे, शरबत ये दान दिए जा सकते हैं फीका जल दान नहीं देना है. भारत ज्ञान भूषण कहते हैं, कि इस प्रकार से अगर हम अक्षय तृतीया पर दान आदि करते हैं तो उसका इस जन्म में तो फल मिलता ही है, आगे जन्म लें न लें. लेकिन, मोक्ष की स्थिति प्राप्त करेंगे. ये पुण्य हर समय साथ रहेंगे.

इस दिन विशेष मनोकामना पूर्ति के लिए मिट्टी के घड़े पर 11 आम के पत्ते रखकर अपनी मनोकामना बोलनी चाहिए. साथ में सत्तू दान करना चाहिए, उसे स्वयं भी ग्रहण करना चाहिए. भीगी चने की डाल भगवान विष्णु के चरणों में अर्पित करनी चाहिए. इस प्रकार यह जो प्रसाद होगा यह हमारे जीवन में अमृत तुल्य होगा. हमारे जीवन में से नकारात्मक प्रभाव तिरोहित होगा.

यह अबूज मुहूर्त होता है. लेकिन, इस दिन भी जो विशेष लाभान्वित योग है वह प्रातः 7 बजकर 14 मिनट से 10 बजकर 36 मिनट तक है. अभिजीत मुहूर्त 11:50 से 12 :44 तक है. शुभ योग 12 :17 से 1:58 के बीच है.इन योगों में किया गया जप, दान, तप खरीददारी ये सब अत्यंत शुभकारी रहेगा. इसके साथ ही अशुभकाल का भी ध्यान रखें. जो कि दस बजकर 45 मिनट से 12 बजकर 23 मिनट तक रहेगा. इसमें कोई भी शुभकार्य करने से बचें, तो अच्छा रहेगा.

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