अजमेर : अंजुमन कमेटी के सचिव सैयद सरवर चिश्ती ने केंद्रीय अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री किरेन रिजिजू से 1991 के "प्लेस ऑफ वर्शिप एक्ट" को प्रभावी तरीके से लागू करने की मांग की है. इसके अलावा, चिश्ती ने गरीब नवाज वेब पोर्टल, ऐप और दरगाह के नए माड्यूल पर भी आपत्ति जताई है. उनका आरोप है कि दरगाह कमेटी ने अंजुमन कमेटी से बिना राय-मशवरा किए वेब पोर्टल और ऐप शुरू किए. यह खादिमों की पुश्तैनी विरासत में दखल है.
सैयद सरवर चिश्ती ने साहेबजादे की मजार के समीप केंद्रीय मंत्री किरेन रिजिजू के सामने अपनी बात रखी है. चिश्ती ने बताया कि अंजुमन कमेटी खादिमों की संस्था है, जो पिछले 800 वर्षों से दरगाह की सेवा कर रही है. चिश्ती ने कहा कि दरगाह की चाबियां भी अंजुमन कमेटी के पास हैं. खादिम ही दरगाह में आने वाले जायरीनों को जियारत कराते हैं और दुआ-खैर भी करते हैं. उन्होंने बताया कि मंत्री से यह भी कहा कि दरगाह कमेटी ने जो उर्स को लेकर नया माड्यूल जारी किया है, उसमें अंजुमन कमेटी से कोई सलाह नहीं ली गई. चिश्ती ने कहा कि उर्स एक आध्यात्मिक पर्व है, जो सूफी परंपरा के अनुसार मनाया जाता है और इसमें खादिमों की अहम भूमिका है.