समस्तीपुर:अतुल सुभाष कोर्ट के चक्कर लगाकर थक गया था. पुलिस के सामने रो-रोकर इंसाफ की मांग कर रहा था. जब इंसाफ की कोई उम्मीद नहीं रही तो आत्महत्या कर ली. मौत से पहले अतुल ने वीडियो बनाया. अपने भाई और दोस्तों को मैसेज भेजा और अपनी पूरी दास्तां बयां की. अपनी आखिरी इच्छा बताई और फिर दिवार पर लिखकर चिपकाया 'इंसाफ अभी बाकी है'. इसके बाद जान दे दी.
पत्नी, सिस्टम, किससे हारा AI इंजीनियर? : एआई इंजीनियर अतुल सुभाष की बेंगलुरु में अच्छी खासी नौकरी और सैलरी थी. लेकिन पिछले तीन साल में पत्नी से दूरियों ने उसे तोड़कर रख दिया था. बात कोर्ट तक पहुंच गई. दहेज विरोध कानून के तहत मामला दर्ज हुआ. एक के बाद एक 9 मामले अतुष सुभाष पर दर्ज हुए. अतुल सुभाष को कोर्ट में पेशी के लिए बेंगलुरु से यूपी के जौनपुर जाना होता था.
कोर्ट के चक्कर काट-काटकर वो परेशान हो गया. माता-पिता और भाई यानी पूरा परिवार दहेज के केस में उलझ कर रह गए. अतुल के परिवार का कहना है कि समझोते के लिए पत्नी ने 3 करोड़ मांगे. अदालत से इंसाफ के बजाय तारीख पर तारीख मिलती रहीं. अतुल सुभाष सिस्टम से इतना परेशान हो गया कि उसने जिंदगी नहीं बल्कि मौत को चुना.
..तो मेरी अस्थियों को गटर में बहा देना :अतुल की आत्महत्या के बाद भाई विकास कुमार ने कई बातें बताई और सिस्टम पर गंभीर उठाए. विकास ने कहा कि, हमें न्याय चाहिए. मेरे भाई ने भी कहा था कि अगर मैं सही हूं, अगर मुझे न्याय मिलता है तो मेरी अस्थियों को गंगा में बहा देना. लेकिन न्याय नहीं मिलता है तो मेरी अस्थियों को कोर्ट के बाहर गटर में बहा देना.
आखिर क्या हुआ 9 दिसंबर की रात? :विकास ने आगे बताया कि, मैं दिल्ली में रहता हूं. मेरे पास 9 तारीख को रात के 2 बजे के करीब एक कॉल आया कि तुम्हारी बात अतुल से हुई थी क्या?. क्या आत्महत्या का कोई मैसेज आया था. मुझे लगा कोई प्रैंक कर रहा है. लेकिन कॉल के काटते ही मैंने अपने बड़े भाई का मैसेज देखा. जिस नंबर से मैसेज आया था, उस पर मैंने 10 से 15 कॉल किए. लेकिन कोई जवाब नहीं आया. उसने फोन नहीं उठाया.
अनजान नंबर पर कॉल किया तो.. :उसने बताया कि, सबसे पहले जिस नंबर से कॉल आया था, मैंने उस नंबर पर कॉल लगाया. सामने से एक शख्स ने कॉल उठाया. मैंने उससे कहा कि क्या अतुल के घर आप जा सकते है. या किसी को भेज सकते है. मैं दिल्ली में रहता हूं, मैं तुरंत वहां नहीं जा सकता हूं. लेकिन उसने कहां कि जहां मैं रहता हूं मेरे घर से वो 2 घंटे दूर है, लेकिन मैं किसी पुलिस वाले को भेजता हूं.
तब अतुल के दरवाजे पर पुलिस ने दी दस्तक : विकास ने कहा कि, इसके बाद शायद पुलिस वाले वहां गए थे. पुलिस को उसके घर पर अतुल की गांड़ी नहीं मिली. इसके बाद मैंने देखा कि मेरे पास कुछ मेल थे. मेल पर वीडियो और सारी चीजें थी. फिर मैंने फोन करने वाले शख्स को कहा कि आप पुलिसवाले को बोल कर घर का दरवाजा खुलवाओ.
पुलिस ने कहा आप बेंगलुरु आ जाइये : सुबह के 5-6 बज रहे थे. पुलिस ने घर का दरवाजा खोला. फिर उधर से कॉल आया की आप लोग आ जाइये, यहां पर कुछ परेशानी है. मुझे अंदेशा हो गया था. मैंने फ्लाइट की टिकट ली और बेंगलुरु पहुंच गया. इससे पहले मैंने मां-पिताजी से भी अनजान नंबर से आये फोन कॉल की बात बताई थी. लेकिन उन्हें कुछ भी पता नहीं था. बाद में मैंने उनका टिकट बनाकर उन्हें भेजा और वो लोग भी बेंगलुरु पहुंच गए.
जब मैं उसके कमरे में पहुंचा तोमैंने देखा उसने अपने शरीर पर और कमरे में लिखा था 'जस्टिस इज ड्यू यानी मुझे इंसाफ चाहिए'. आज मेरे भाई ने जान दी है और मुझे किसी भी हाल में न्याय चाहिए. मैं सुप्रीम कोर्ट से मांग करूंगा कि कोई कमेटी गठित कर मामले की जांच करें. मोदी सरकार से भी मैं मामले की जांच की मांग करता हूं.
''वो नहीं चाहता था कि मेरे पैसे पर किसी और का हक हो, और इस तरह से टॉर्चर करने के बाद. तीन करोड़ डिमांड किया गया था. क्या हमारे देश में ऐसा कानून है कि तीन करोड़ देने के बाद भी वो केस ना करें. 4 साल के बच्चे का एल्युमनी हर महीने 40 हजार दिया जा रहा था. किस मायने में यह जायज है. मैं चाहता हूं कि मेरा भाई नहीं रहा तो उस बच्चे राइट मुझे मिले.''- विकास कुमार, अतुल सुभाष का भाई