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पहाड़ी 'तुमड़ी आलू' पर शोध करने पर जोर, हेंप में अपार संभावनाएं, ICAR बैठक में गणेश जोशी का सुझाव - HILL TUMRI POTATO IN UTTARAKHAND

कृषि मंत्री गणेश जोशी ने ICAR क्षेत्रीय समिति की बैठक में दिए कई सुझाव, खेतों की घेरबाड़ के लिए बजट देने का किया आग्रह

INDIAN COUNCIL OF AGRICULTURE RESEARCH
आईसीएआर की बैठक में कैबिनेट मंत्री गणेश जोशी (फोटो सोर्स- Information Department)

By ETV Bharat Uttarakhand Team

Published : Nov 24, 2024, 3:14 PM IST

देहरादून:उत्तराखंड में तुमड़ी आलू की खेती से किसान मालामाल हो सकते हैं. क्योंकि, इस आलू की काफी डिमांड रहती है. यही वजह है कि केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान की अध्यक्षता में आयोजित 28वीं द इंडियन काउंसिल ऑफ एग्रीकल्चर रिसर्च (ICAR) क्षेत्रीय समिति की बैठक में उत्तराखंड के कृषि मंत्री गणेश जोशी ने तुमड़ी आलू पर शोध की बात उठाई. ताकि, इस आलू के उत्पाद के बढ़ाया जा सके. इसके अलावा कृषि समस्या पर शोध किए जाने, खेती को जंगली जानवरों से बचाने, ऑर्गेनिक खेती को बढ़ावा देने समेत कई मुद्दों पर मंथन किया गया.

उत्तराखंड में खेती से जुड़ी इन समस्याओं पर हुआ मंथन: उत्तराखंड की तरफ से कृषि मंत्री गणेश जोशी ने क्षेत्रीय समिति की बैठक में कृषि के क्षेत्र में हिमालयी राज्य उत्तराखंड की तमाम कृषि समस्या पर शोध किए जाने पर अपने अहम सुझाव दिए. कृषि मंत्री गणेश जोशी ने कहा कि जंगली जानवरों की ओर से खेती को काफी नुकसान पहुंचाया जा रहा है. जिससे किसानों का खेती को लेकर रुचि कम हो रही है. इसके लिए खेती को जंगली जानवरों से बचाने के लिए किफायती और उपयोगी समाधान की आवश्यकता पर जोर देने के लिए शोध किया जाना चाहिए.

मंत्री जोशी ने केंद्र सरकार से अनुरोध करते हुए कहा कि इससे पहले किसानों की फसलों की सुरक्षा के लिए घेरबाड़ को लेकर केंद्र सरकार की ओर धनराशि दी जाती थी, जो अब बंद हो गई है. उन्होंने आग्रह करते हुए कहा कि जब तक इस क्षेत्र में शोध नहीं हो जाता, तब तक प्रदेश के किसानों की फसलों को जंगली जानवरों से सुरक्षित करने को लेकर घेरबाड़ के लिए विशेष बजट दिया जाए.

तुमड़ी आलू पर शोध, ऑर्गेनिक को बढ़ावा:बैठक में मंत्री गणेश जोशी ने अपने सुझाव देते हुए कहा कि उत्तराखंड के ऊंचे पहाड़ी क्षेत्रों में विशेष रूप से उगाए जाने वाले तुमड़ी आलू की पारंपरिक खेती पर शोध करने की जरुरत है. उन्होंने कहा कि प्रदेश में तुमड़ी आलू की अपार संभावनाएं हैं. तुमड़ी आलू की काफी ज्यादा डिमांड बढ़ती जा रही है.

उन्होंने कहा कि तुमड़ी आलू पर शोध किया जाना भी बेहद आवश्यक है. ताकि, आलू के उत्पादन को बढ़ाया जा सके और किसानों को उसका उचित दाम मिल सके. उन्होंने कहा कि प्रदेश के पर्वतीय क्षेत्रों में ज्यादातर जैविक खेती अपनाई जा रही है. इसके लिए कृषि और हॉर्टिकल्चर में कीट व्याधि की रोकथाम के लिए प्रभावी जैव रसायन की जरूरत पड़ती है. ताकि, हिमालयी क्षेत्रों में ऑर्गेनिक खेती को बढ़ावा मिल सके.

हेंप में अपार संभावनाएं, ऑर्गेनिक फर्टिलाइजर की कमी:भांग (हैंप) की अधिसूचित प्रजाति की आवश्यकता है, जिसमें टीएचसी की मात्रा (<0.3%) कम हो. उन्होंने पर्वतीय क्षेत्रों के परंपरागत फसलों के स्थानीय प्रजातियों को बीज श्रृंखला में लाए जाने की आवश्यकता है.

प्रदेश सरकार की ओर से स्थानीय फसलों को जीआई टैग प्रदान किया गया है. जिसमें मंडुवा, सांवा, काला भट्ट, तोर, राजमा आदि शामिल है. इन फसलों के बीजों के संरक्षण और संवर्द्धन पर कार्य किए जाने की आवश्यकता है. उन्होंने कहा कि जैविक खाद की प्रदेश में कमी है. इसके लिए जंगल के अवशेष से खाद बनाए जाने पर कार्य किए जाने की आवश्यकता है, जिसमें शोध किया जाना आवश्यक है.

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