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मानसून सत्र के बाद सूना पड़ा भराड़ीसैंण विधानसभा भवन, जानिए 24 साल बाद गैरसैंण के विकास के दो पहलू - Uttarakhand summer capital Gairsain - UTTARAKHAND SUMMER CAPITAL GAIRSAIN

Uttarakhand summer capital Gairsain needs development इसी महीने 21 अगस्त से 23 अगस्त 2024 तक उत्तराखंड की ग्रीष्मकालीन राजधानी गैरसैंण में भराड़ीसैंण विधानसभा भवन में आयोजित मानसून सत्र को लेकर खूब चहल पहल रही. मानसून सत्र संपन्न होने के बाद अब फिर से भराड़ीसैंण का विधानसभा भवन और गैरसैंण सूने हो गए हैं. हमने इलाके के लोगों से बात की. उनसे गैरसैंण में हुए विकास के बारे में जाना. भराड़ीसैंण विधानसभा भवन के सूने होने के बारे में पूछा. लोगों ने क्या कहा, इस खबर में जानिए.

Uttarakhand summer capital Gairsain
गैरसैंण समाचार (Photo Source- ETV Bharat)

By ETV Bharat Uttarakhand Team

Published : Aug 26, 2024, 12:25 PM IST

Updated : Aug 26, 2024, 7:39 PM IST

मानसून सत्र के बाद सूना पड़ा भराड़ीसैंण विधानसभा भवन (Source- ETV Bharat)

गैरसैंण: उत्तराखंड की स्थाई राजधानी गैरसैंण में सिक्के के दो पहलू देखने को नजर आते हैं. जहां एक तरफ विधानसभा क्षेत्र भराड़ीसैंण अपनी आलीशान इमारतों से नई इबारत लिख रहा है, तो वहीं दूसरा पहलू गैरसैंण और गैरसैंण के लोगों की उस स्याह हकीकत का है, जहां पिछले 24 सालों से केवल इंतजार और उम्मीद ही मिल पाया है.

मानसून सत्र के बाद सूना पड़ा भराड़ीसैंण विधानसभा भवन: 21 अगस्त 2024 से 23 अगस्त तक गैरसैंण के भराड़ीसैंण विधानसभा भवन में उत्तराखंड विधानसभा का तीन दिवसीय मानसून सत्र आयोजित किया गया. बीते शुक्रवार को पूरी सरकार अपने दलबल के साथ भराड़ीसैंण के उस आलीशान विधानसभा भवन को एकांत और वीरान छोड़कर वापस देहरादून लौट आई है. ऐसे में जहां एक तरफ भराड़ीसैंण की आलीशान इमारतों की चमक है, तो वहीं दूसरी तरफ जिस मूल भावना के साथ गैरसैंण को स्थाई राजधानी बनाने का संकल्प लिया गया था, उस से बहुत दूर खड़े गैरसैंण और आसपास के वो स्थानीय लोग हैं, जिनकी आंखें पिछले 24 सालों से उनके कायापलट के केवल इंतजार में तरस गई हैं.

कब क्या हुआ? (ETV Bharat Graphics)

साल भर बादलों से होता है, भराड़ीसैंण विधानसभा भवन का शृंगार:गैरसैंण के भराड़ीसैंण में 47 एकड़ में फैला विधानसभा क्षेत्र भौगोलिक दृष्टि से बेहद खूबसूरत है. साल भर यहां मौसम बेहद ठंडा और खुशगवार बना रहता है. समुद्र तल से 5,410 फीट की ऊंचाई पर मौजूद उत्तराखंड की ग्रीष्मकालीन राजधानी का विधानसभा भवन बेहद आलीशान और भव्य बनाया गया है. विधानसभा भवन में सदन के अलावा विधानसभा अध्यक्ष, मुख्यमंत्री, कैबिनेट मंत्री प्रेमचंद अग्रवाल, सतपाल महाराज के कार्यालय भी बनाए गए हैं. इसके अलावा विधानसभा भवन परिसर में सभी मंत्रियों और विधायकों के आवास भी बनाए गए हैं.

2017 में ग्रीष्मकालीन राजधानी बना गैरसैंण: 2012 में कांग्रेस की बहुगुणा सरकार ने गैरसैंण राजधानी की दिशा में पहल शुरू की थी. इसे कांग्रेस के ही तत्कालीन मुख्यमंत्री हरीश रावत ने और आगे बढ़ाया था. उसके बाद 2017 में बनी भाजपा सरकार में गैरसैंण को ग्रीष्मकालीन राजधानी बनाने की घोषणा तत्कालीन मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र रावत ने की थी. इस दौरान लगातार गैरसैंण के भराड़ीसैंण से विधानसभा परिसर में नए निर्माण किए जाते रहे. गैरसैण के भराड़ीसैंण में किया गया भव्य निर्माण एक नवगठित राज्य के लिहाज से बेहद सुंदर और आलीशान है. साथ ही देहरादून जैसी कन्जस्टेड विधानसभा भवन के मुकाबले भराड़ीसैंण का विधानसभा भवन बेहद भव्य है. लेकिन साल भर में मात्र कुछ दिन ही दिनों के लिए यहां पर विधानसभा सत्र का आयोजन होता है.

विधानसभा भवन का लेखा जोखा (ETV Bharat Graphics)

अब साल भर गैरसैंण में होंगी गतिविधियां:विधानसभा अध्यक्ष ऋतु खंडूड़ी ने बताया कि वह लगातार गैरसैंण के भराड़ीसैंण में विधानसभा के जरूरी सभी एस्टेब्लिशमेंट कर रही हैं. इसमें अब तक रेजिडेंशियल अकोमोडेशन डॉरमेट्रीज के अलावा मेस, कैंटीन बनाई गई हैं. अभी इसमें और अधिक सुविधाएं एस्टेब्लिश की जानी हैं. उन्होंने बताया कि गैरसैंण विकास परिषद के माध्यम से उनका पूरा प्रयास है कि मिलकर काम किया जाए और इस तरह के बड़े प्रोजेक्ट्स को यहां पर धरातल पर उतारा जाए, जिससे ज्यादा से ज्यादा स्थानीय लोगों को लाभ मिले. विधानसभा अध्यक्ष ऋतु खंडूड़ी ने कहा कि उनकी मुख्यमंत्री से बात हुई है और अब से लगातार कुछ ना कुछ कार्यक्रम गैरसैंण में किए जाएंगे.

उत्तराखंड की ग्रीष्मकालीन राजधानी गैरसैंण का विहंगम दृश्य (Photo Source- ETV Bharat)

सीएम धामी ने क्या कहा? मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि धीरे-धीरे सभी लोगों को गैरसैंण की आदत हो रही है. उन्होंने कहा कि धीरे-धीरे यह स्थान सभी के लिए जाना पहचाना हो गया है और यहां पर साल भर गतिविधियां हों और सत्र भी बड़ा चले. साथ ही अन्य सुविधाएं यहां पर मिलें, इसके लिए लगातार प्रयास किया जा रहा है. उन्होंने कहा कि यहां पर बड़ा अस्पताल बनाने के लिए, सत्र के दौरान पत्रकारों के लिए अकोमोडेशन भवन बनाने के लिए और भराड़ीसैंण के पौराणिक भराड़ी देवी मंदिर के निर्माण के लिए उनके द्वारा निर्देश दिए गए हैं. सीएम धामी ने बताया कि जल्द ही एक सचिव स्तर का अधिकारी गैरसैंण के विकास के लिए नोडल बनाया जाएगा.

भराड़ीसैंण की चकाचौंध के विपरीत, स्याह हुई हैं गैरसैण के लोगों की उम्मीदें!एक तरफ उत्तराखंड सरकार द्वारा गैरसैंण के भराड़ीसैंण में उच्च स्तरीय इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट किया जा रहा है. सभी सुविधाओं को यहां पर विकसित किया जा रहा है. वहीं दूसरी तरफ गैरसैंण के पूरे इलाके और वहां के स्थानीय लोगों की बात करें, तो पिछले 24 सालों में उन्हें केवल राजधानी के नाम पर केवल निराशा ही मिली है. गैरसैंण ब्लॉक से आने वाली लक्ष्मी देवी बताती हैं कि हमें सुविधाएं तो कुछ दी नहीं गई. राजधानी तो नाम की बनी है. हॉस्पिटल बने हैं, वहां डॉक्टर नहीं हैं. गाइनेकोलॉजिस्ट नहीं हैं. अल्ट्रासाउंड की मशीन नहीं है.

पशुओं के लिए चारा लाती महिला (Photo Source- ETV Bharat)

लोगों ने बताई अपनी समस्या: गैरसैंण के ही नजदीक पंडुवाखाल कुमाऊं क्षेत्र से आने वाले दीपक बताते हैं कि गैरसैंण उत्तराखंड की स्थाई राजधानी केवल कागजों तक सीमित है. यहां केवल तीन दिन का सत्र चलता है. उसके लिए करोड़ों खर्च किया जाता है, लेकिन स्थानीय लोगों की कोई समस्या नहीं सुनी जाती है. उन्होंने चौखुटिया स्थित अपने कॉलेज गोपाल बाबू गोस्वामी राजकीय महाविद्यालय चौखुटिया का उदाहरण देते हुए बताया कि सन 2000 में कॉलेज बन गया था. लेकिन अभी तक कॉलेज को बिल्डिंग नहीं दी गई. कॉलेज के लिए 5 करोड़ की बिल्डिंग बनाई गई जो कि बिल्कुल खस्ताहाल है.

गैरसैंण की स्थानीय युवा खुशी नेगी ने बताया कि यहां शिक्षा, स्वास्थ्य और रोजगार किसी भी तरह की कोई सुविधा न होने की वजह से स्थानीय युवा पलायन करके मैदानी शहरों की तरफ जाते हैं. उन्होंने बताया कि वह गैरसैंण से अल्मोड़ा क्षेत्र में पढ़ने के लिए जाते हैं, जहां उन्हें 12 किलोमीटर पैदल चलकर जाना पड़ता है.

भराड़ीसैंण में है उत्तराखंड का आलीशान विधानसभा भवन (Photo Source- ETV Bharat)

धरातल पर नहीं उतरी विकास योजनाएं: भराड़ीसैंण विधानसभा भवन के बिल्कुल नजदीक दिवालीखाल में दुकान चला रहे मिंटू भंडारी बताते हैं कि उन्हें लगता था कि राजधानी के नाम पर यहां पर विकास कार्य होंगे, लेकिन ऐसा कुछ भी देखने को नहीं मिला. उन्होंने कहा कि पिछले बार भी तत्कालीन मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र रावत ने इस क्षेत्र के विकास के लिए गैरसैंण विकास परिषद के माध्यम से 25,000 करोड़ की विकास योजनाओं की घोषणा की थी. लेकिन उसमें से एक भी धरातल पर नहीं उतर पाई. आज भी गैरसैंण में स्कूलों, अस्पतालों और सड़कों की हालत जस की तस है. उन्होंने कहा कि तीन-चार दिन का विधानसभा सत्र यहां पर आयोजित किया जाता है जो कि पूरी तरह से फिजूलखर्ची है. इस सत्र को यहां करने के बजाय उस पैसे को गैरसैण के विकास में इस्तेमाल किया जाए. उन्होंने कहा कि फिलहाल अभी भराड़ीसैंण का विकास ही एकमात्र देखा जा सकता है. यहां की सड़क चाक चौबंद है, जहां पर विधायक और माननीय चलते हैं. बाकी जहां पर जनता जाती है, उन सड़कों को देखा जा सकता है.

भराड़ीसैंण का विधानसभा भवन (Photo Source- ETV Bharat)

आंदोलनकारियों ने गैरसैंण को माना था राजधानी: गैरसैंण के स्थानीय युवा प्रदीप कुमार बताते हैं कि उत्तराखंड राज्य को अलग करने की मांग गैरसैण राजधानी के नाम पर हुई थी. गैरसैंण स्थाई राजधानी की परिकल्पना की गई थी कि पहाड़ी राज्य उत्तराखंड की राजधानी पहाड़ में होगी. इससे गैरसैंण और आसपास के गढ़वाल और कुमाऊं सभी क्षेत्रों में विकास होगा. लेकिन यह सपना उनके लिए सपना ही रह गया. उन्होंने कहा कि पिछली सरकारों की पहल के चलते गैरसैंण में विधानसभा सत्र आयोजित करने की परंपरा शुरू हुई. पहली बार गैरसैंण के लोगों ने मंत्रियों, विधायकों और सरकारी अधिकारियों को अपनी आंखों से सीधे तौर पर देखा था. लेकिन इसका भी कुछ खास फायदा गैरसैंण के लोगों को नहीं हुआ. उन्होंने भराड़ीसैंण में होने वाले विधानसभा सत्र का जिक्र करते हुए कहा कि पहले तो लगा था कि उत्तराखंड के बड़े-बड़े नेता यहां पर आएंगे और उससे कुछ स्थानीय लोगों को फायदा होगा. लेकिन आखिरकार होता यह है कि नेता, मंत्री और अधिकारी भी आते हैं, लेकिन आकर चले भी जाते हैं. स्थानीय लोगों की कोई सुनवाई नहीं होती है. यह बिल्कुल वैसा ही है कि आसमान से तो गिरा, लेकिन जमीन को नहीं मिल पाया.
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Last Updated : Aug 26, 2024, 7:39 PM IST

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