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राजस्थान में बाड़मेर और उदयपुर के बाद जैसलमेर में सबसे ज्यादा डेंगू-मलेरिया के मरीज - DENGUE CRISIS

जैसलमेर में तेजी बढ़े डेंगू-मलेरिया के मरीज. राजस्थान में बाड़मेर और उदयपुर के बाद तीसरे स्थान पर जैसलमेर.

DENGUE CRISIS
जैसलमेर में सबसे ज्यादा डेंगू-मलेरिया के मरीज (ETV BHARAT Jaisalmer)

By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : Oct 13, 2024, 4:11 PM IST

जैसलमेर : पहले मानसून की मूसलाधार बारिश और अब जल जमाव के कारण तेजी से मच्छर जनित बीमारियों का प्रकोप बढ़ा है. राज्य में बाड़मेर और उदयपुर के बाद अब जैसलमेर में सबसे अधिक डेंगू और मलेरिया के मरीजों की संख्या बढ़ी है. राजकीय जवाहर अस्पताल में इन दिनों मौसमी बीमारियों के साथ ही मलेरिया और डेंगू से पीड़ित मरीज पहुंच रहे हैं. सामान्य दिनों में यहां ओपीडी में 800 से 900 के बीच मरीज इलाज के लिए आते हैं, लेकिन वर्तमान यह संख्या 1600 के करीब पहुंच चुकी है.

सुबह से ही यहां पर्ची काउंटर, ओपीडी, जांच काउंटर और दवा वितरण काउंटर पर लंबी-लंबी कतारें लग रही हैं. बुजुर्ग व युवाओं के साथ बच्चे भी मलेरिया और मौसमी बीमारियों की चपेट में हैं. सरकारी आंकड़ों में इस साल फिलहाल तक 132 मलेरिया मरीजों की पुष्टि हुई है. वहीं, सात मरीजों को डेंगू संक्रमित बताया गया.

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बात अगर निजी अस्पतालों की करें तो यहां रोजाना 100 में से 10-15 मरीज मलेरिया के मिल रहे हैं. निजी अस्पतालों में कार्ड से मलेरिया टेस्ट किए जा रहे हैं, जिसे सरकार नहीं मानती है. वहीं, सरकारी अस्पतालों में स्लाइड टेस्ट किया जाता है. जिसे सरकार पुख्ता मानती है. ऐसे में मलेरिया रोगियों का वास्तविक आंकड़ा सामने नहीं आ पाया है. जैसलमेर पिछले साल भी मलेरिया के मामलों में सबसे आगे था.

सरकारी आंकड़े के अनुसार पिछले साल जिले में 190 मलेरिया के केस सामने आए थे. हालांकि, निजी अस्पतालों को मिलाकर देखे तो करीब 500 से अधिक लोगों को मलेरिया हुआ था. पिछले साल भी इस प्रकार की लापरवाही बरती गई थी. इस साल अभी तक सरकारी आंकड़ों के अनुसार 50 से ज्यादा मरीज मिल चुके हैं. अगर जल्द ही साफ-सफाई नहीं करवाई गई तो यह संख्या आगे और तेजी से बढ़ सकती है.

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गौरतलब है कि जैसलमेर जिले में हर साल मलेरिया का प्रकोप अधिक रहता है. चिकित्सा विभाग द्वारा धरातल पर एंटी लार्वा गतिविधियां औपचारिकता के तौर पर ही चलाई जा रही है. इससे मच्छरों का खात्मा नहीं हो पा रहा है. घर-घर जाकर पानी के टांकों में टेमिफोस डाला जाता है, जिससे लार्वा मरते हैं, लेकिन शहर व ग्रामीण क्षेत्रों के अधिकांश भागों में अभी तक चिकित्सा विभाग की टीमें नहीं पहुंची हैं.

वहीं, सीएमएचओ ने बताया कि इस बार बारिश अधिक होने के कारण मच्छर बढ़ गए हैं. हालांकि, चिकित्सा विभाग पूरी तरह से मुस्तैद है. एंटी लार्वा गतिविधियों के लिए शहर में 11 टीमें गठित की गई हैं. इसके अलावा ग्रामीण क्षेत्रों में 222 आशा व एएनएम की टीमें तैनात हैं. घर-घर सर्वे किया जा रहा है. पानी के टांकों में टेमिफोस डाले जा रहे हैं. जलभराव वाले इलाकों में मच्छरों का खात्मा करने के लिए गंबूसिया मछलियां डाली जा रही है.

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