बिहार

bihar

ETV Bharat / state

बगहा में बाढ़ और कटाव के कारण बैंक यूपी में 'विस्थापित', शराब दुकान होने के कारण महिलाएं परेशान

बिहार का एक बैंक भी विस्थापन की समस्या से जूझ रहा है. हजारों खाताधारकों को तकरीबन 10 सालों से बिहार से यूपी जाना पड़ता है.

BANK OF INDIA OPERATING IN UP
बगहा का बैंक ऑफ इंडिया (ETV Bharat)

By ETV Bharat Bihar Team

Published : Oct 15, 2024, 9:00 AM IST

बगहा:बाढ़ और कटाव जैसी प्राकृतिक आपदा कितना बड़ा अभिशाप है. इसको समझना और जानना है तो आपको बिहार के बगहा गंडक दियारा पार के भितहा, ठकराहा और मधुबनी प्रखंड के गांव का रुख करना पड़ेगा. दरअसल दो दशक पूर्व आई बाढ़ और कटाव के कारण कई गांव के लोगों को विस्थापन का दर्द झेलना पड़ा. वहीं बैंक के विस्थापित होने से उनकी समस्या दोगुनी बढ़ गई है.

20 साल पहले आई बाढ़ का दंश:दरअसल यूपी-बिहार सीमा के ठकराहा प्रखंड अंतर्गत भैसाहिया गांव में बैंक ऑफ इंडिया का संचालन होता था. ग्रामीणों की सुविधा के लिए इलाके में महज एक बैंक स्थापित किया गया था. तकरीबन 20 साल पहले आई बाढ़ का दंश बैंक को भी सहना पड़ा और इसको पहले बिहार के ही मलाही में शिफ्ट किया गया. फिर बाद में कुशीनगर जिला के सेवरही नगर पंचायत अंतर्गत तमकुही में शिफ्ट कर दिया गया.

बगहा का बैंक ऑफ इंडिया (ETV Bharat)

कब किया गया बैंक को शिफ्ट: अब आलम यह है कि बिहार के तीन प्रखंडों के हजारों खाता धारकों को 20 से 25 किमी की दूरी तय कर यूपी स्थित बैंक में जाना पड़ता है. वहीं इस बात की कोई निश्चित गारंटी नहीं की ग्रामीण जिस दिन जाएं, उस दिन उनका बैंक का काम हो ही जाएगा. खाताधारक रमेश प्रसाद बताते हैं कि बिहार के इस बैंक ऑफ इंडिया को यूपी में शिफ्ट हुए 20 साल से ऊपर हो गया. लगातार मांग और आंदोलन करने के बावजूद बैंक को बिहार में शिफ्ट नहीं किया गया है. बैंक के ठीक नीचे अंग्रेजी शराब की दुकान है, जिससे महिलाओं को काफी परेशानी होती है.

"यहां बैंक के ठीक नीचे अंग्रेजी शराब की दुकान है, जिस कारण बैंक में आनेवाली महिलाओं को कई सारी समस्याओं का सामना करना पड़ता है. यही नहीं यहां के कैशियर इस बैंक में 15 वर्षों से जमे हुए हैं, जो अपनी मनमानी करते रहते हैं. लिहाजा कई खाताधारकों का काम नहीं हो पाता और वे बिना काम कराए दिन भर इंतजार कर वापस लौट जाते हैं."-डॉ रमेश प्रसाद, खाताधारक

गरीब खाताधारकों की बढ़ी परेशानी: खाताधारक राजेश कुमार बताते हैं कि बिहार के इस बैंक को वापस यूपी से बिहार में शिफ्ट करना चाहिए. लोगों को 20 से 25 किमी दूर का सफर कर यहां आना पड़ता है. गरीब खाताधारक भाड़ा खर्चा कर यूपी आते हैं, ताकि वे अपने खाते से पैसा निकाल सकें लेकिन दिन भर इंतजार करने के बाद जब उनका पैसा नहीं निकल पाता है.

"इतने दूर आने के बाद भी गरीब लोग अपना पैसा नहीं निकाल पाते हैं. नाहीं वे अपनी मार्केटिंग कर पाते हैं और ना हीं खाने-पीने का सामान खरीद पाते हैं. समस्या इस कदर बढ़ जाती है कि दिनभर भूखे-प्यासे रहने के बाद वापस गांव लौटने के लिए खाताधारकों के पास पैसा भी नहीं रहता."-राजेश कुमार, ग्रामीण

आज भी बिहार की शाखा से होता है संचालित: एक अन्य खाताधारक बताते हैं की बाढ़ कटाव के कारण बैंक को भैसहवा से मलाही गांव में शिफ्ट किया गया था. हालांकि दशकों पूर्व बैंक में भीषण डकैती हुई, जिसके बाद इसको यूपी में शिफ्ट कर दिया गया. तब से यह बैंक बिहार के बजाय यूपी से ही संचालित हो रहा है और इसका खामियाजा लोग भुगत रहे हैं. वहीं बैंक मैनेजर ने बताया की उनकी पोस्टिंग अभी नई हुई है. यह बैंक आज भी बिहार के भैसहवा शाखा के नाम से ही संचालित होता है.

"बैंक को बिहार में शिफ्ट करने के लिए बिहार विधानसभा में भी आवाज उठाई गई थी, जिसका जवाब बैंक के मुख्य शाखा ने लिखित रूप में दे दिया है. बिहार के अलावा यूपी के बड़े बड़े व्यवसायियों का खाता भी इस बैंक में है. इसके अलावा यूपी के अधिकांश व्यवसायियों ने बैंक से बड़ा-बड़ा लोन ले रखा है. ऐसे में बैंक को वापस यूपी से बिहार शिफ्ट करना काफी मुश्किल है."-बैंक कर्मी

पढ़ें-दशहरे पर इन राज्यों में बंद रहेंगे बैंक, जानें आपके शहर में खुला रहेगा या नहीं

ABOUT THE AUTHOR

...view details