बगहा:बाढ़ और कटाव जैसी प्राकृतिक आपदा कितना बड़ा अभिशाप है. इसको समझना और जानना है तो आपको बिहार के बगहा गंडक दियारा पार के भितहा, ठकराहा और मधुबनी प्रखंड के गांव का रुख करना पड़ेगा. दरअसल दो दशक पूर्व आई बाढ़ और कटाव के कारण कई गांव के लोगों को विस्थापन का दर्द झेलना पड़ा. वहीं बैंक के विस्थापित होने से उनकी समस्या दोगुनी बढ़ गई है.
20 साल पहले आई बाढ़ का दंश:दरअसल यूपी-बिहार सीमा के ठकराहा प्रखंड अंतर्गत भैसाहिया गांव में बैंक ऑफ इंडिया का संचालन होता था. ग्रामीणों की सुविधा के लिए इलाके में महज एक बैंक स्थापित किया गया था. तकरीबन 20 साल पहले आई बाढ़ का दंश बैंक को भी सहना पड़ा और इसको पहले बिहार के ही मलाही में शिफ्ट किया गया. फिर बाद में कुशीनगर जिला के सेवरही नगर पंचायत अंतर्गत तमकुही में शिफ्ट कर दिया गया.
कब किया गया बैंक को शिफ्ट: अब आलम यह है कि बिहार के तीन प्रखंडों के हजारों खाता धारकों को 20 से 25 किमी की दूरी तय कर यूपी स्थित बैंक में जाना पड़ता है. वहीं इस बात की कोई निश्चित गारंटी नहीं की ग्रामीण जिस दिन जाएं, उस दिन उनका बैंक का काम हो ही जाएगा. खाताधारक रमेश प्रसाद बताते हैं कि बिहार के इस बैंक ऑफ इंडिया को यूपी में शिफ्ट हुए 20 साल से ऊपर हो गया. लगातार मांग और आंदोलन करने के बावजूद बैंक को बिहार में शिफ्ट नहीं किया गया है. बैंक के ठीक नीचे अंग्रेजी शराब की दुकान है, जिससे महिलाओं को काफी परेशानी होती है.
"यहां बैंक के ठीक नीचे अंग्रेजी शराब की दुकान है, जिस कारण बैंक में आनेवाली महिलाओं को कई सारी समस्याओं का सामना करना पड़ता है. यही नहीं यहां के कैशियर इस बैंक में 15 वर्षों से जमे हुए हैं, जो अपनी मनमानी करते रहते हैं. लिहाजा कई खाताधारकों का काम नहीं हो पाता और वे बिना काम कराए दिन भर इंतजार कर वापस लौट जाते हैं."-डॉ रमेश प्रसाद, खाताधारक