भरतपुर.लावारिस, असहाय लोगों को अब कागजों में नया ठिकाना और पहचान मिलना शुरू हो गई है. अपना घर आश्रम में रहने वाले निराश्रित लोगों के अब आधार कार्ड तैयार किए जा रहे हैं. इन सभी आधार कार्ड में उनका मूल पता अपना घर आश्रम दर्ज किया जा रहा है. इतना ही नहीं जिनके परिजनों के बारे में अभी तक पता नहीं चला है, ऐसे लावारिस प्रभुजनों के पिता के रूप में अपना घर आश्रम के संस्थापक डॉ. बी एम भारद्वाज का नाम लिखा जा रहा है. इससे अब आश्रम के प्रभुजनों को जहां सरकारी योजनाओं का लाभ मिल सकेगा, वहीं समाज की मुख्य धारा के साथ जुड़ सकेंगे. जल्द ही आश्रम के अन्य 4 हजार प्रभुजनों का भी आधार तैयार किया जाएगा.
इसलिए पड़ी आधार की जरूरत : आश्रम के संस्थापक डॉ. बीएम भारद्वाज ने बताया कि अभी आश्रम में निवासरत प्रभुजनों के आधार कार्ड नहीं थे. कई सैकड़ों प्रभुजन का तो नाम तक नहीं पता. जिसकी वजह से प्रभुजनों को कई सरकारी योजनाओं का लाभ भी नहीं मिल पा रहा था. यहां तक की सरकारी अस्पताल में उपचार के लिए भी कोई पहचान वाला कागज उपलब्ध नहीं था. ऐसे में उन्हें पहचान देने के लिए प्रशासन के सहयोग से आधार कार्ड तैयार किए जा रहे हैं.
अब तक 2 हजार आधार तैयार : डॉ. भारद्वाज ने बताया कि अब तक आश्रम में निवासरत 2 हजार प्रभुजनों के आधार कार्ड तैयार हो गए हैं. बाकी करीब 4 हजार प्रभुजन के भी आधार कार्ड तैयार करवाने की प्रक्रिया चल रही है. जिन प्रभुजन का नाम, पता और पहचान नहीं है उनका आश्रम की ओर से ही नामकरण किया जाता है. यहां तक कि सभी प्रभुजन का पता भी अपना घर आश्रम दर्ज किया जा रहा है. जिन बच्चों या प्रभुजन के पिता का नाम नहीं पता उनके पिता के रूप में आश्रम संस्थापक डॉ. बीएम भारद्वाज का ही नाम लिखा जा रहा है.