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By ETV Bharat Himachal Pradesh Team

Published : 7 hours ago

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56 सालों से बर्फ में दबे 4 जवानों के मिले अवशेष, वायुसेना का विमान लेह जाते हुए रोहतांग में हुआ था क्रैश - Plane crash in Rohtnag

4 Soldiers dead body found: विमान क्रैश के 56 साल बाद 4 जवानों के अवशेष मिले हैं. यह भारत का सबसे लंबे समय तक चलने वाला खोजी अभियान है. चारों जवानों की पहचान कर ली गई है. डिटेल में पढ़ें खबर...

PLANE CRASH IN ROHTNAG
वायुसेना का विमान रोहतांग रेंज में हुआ था क्रैश (कॉन्सेप्ट इमेज)

लाहौल-स्पीति: जिला लाहौल-स्पीति की पहाड़ियों पर सेना की रेस्क्यू टीम को 56 साल बाद विमान हादसे में मारे गए चार जवानों के अवशेष मिले हैं. अब तक इस पूरे मामले में कुल 9 लोगों के शव मिल पाए हैं. रेस्क्यू टीम द्वारा चार जवानों के अवशेष को लोसर लाया जा रहा है जहां पोस्टमार्टम कर शव परिजनों को सौंप दिए जायेंगे.

ये थी घटना

भारतीय वायुसेना का एएन-12 विमान 7 फरवरी 1968 को चंडीगढ़ से लेह जा रहा था. इस दौरान रोहतांग दर्रे के पास विमान दुर्घटनाग्रस्त हो गया था. ऐसे में 56 साल के बाद चार और जवानों के अवशेष मिले हैं. यह भारत का सबसे लंबे समय तक चलने वाला खोज अभियान भी है.

चारों जवानों की हुई पहचान

भारतीय सेना की डोगरा स्काउट और तिरंगा माउंटेन रेस्क्यू की संयुक्त टीम को यह अवशेष मिले हैं. चारों शवों की पहचान कर ली गई है. इनमें मलखान सिंह, सिपाही मुंशी राम, नारायण सिंह और थॉमस चरण शामिल हैं.

मलखान सिंह उत्तर प्रदेश के सहारनपुर, सिपाही मुंशी राम रेवाड़ी हरियाणा, सिपाही नारायण सिंह उत्तराखंड की चमोली तहसील के कोलपाड़ी गांव के रहने वाले हैं और थॉमस चरण केरल के रहने वाले हैं.

विमान में थे 102 जवान

7 फरवरी 1968 को चंडीगढ़ से दो इंजन विमान लेह जा रहा था. इस दौरान मौसम खराब हो गया. ऐसे में इस विमान में सेना के 92 और एयरफोर्स के 6 जवान सहित कुल 102 लोग शामिल थे.विमान के चालक फ्लाइट लेफ्टिनेंट एचके सिंह ने मौसम खराब होने के कारण विमान को वापस मोड़ लिया लेकिन रोहतांग दर्रे के पास विमान का संपर्क टूट गया. इसके बाद विमान की कोई जानकारी नहीं लग पाई जिस जगह पर विमान गिरा हुआ था. वहां का सफर करना काफी मुश्किल था. सेना के जवानों ने उस दौरान भी रेस्क्यू अभियान चलाया लेकिन उन्हें इस बात की जानकारी नहीं मिल पाई.

गौर रहे कि लाहौल-स्पीति की चंद्रभागा पहाड़ियों की रेंज भारत, पाकिस्तान के साथ-साथ चीन के इलाकों तक फैली हुई है. यहां पहाड़ियों में साल के 12 महीने बर्फ रहती है और इन पहाड़ियों में कई ग्लेशियर हैं. ऐसे में इस जगह रेस्क्यू ऑपरेशन करना भी उस दौर में सेना के जवानों के लिए काफी मुश्किल रहा होगा.

साल 2003 तक जवानों के बारे में कोई जानकारी नहीं मिल पाई. ऐसे में साल 2003 में अटल बिहारी वाजपेयी पर्वतारोहण संस्थान के पर्वतारोहियों को पहली बार लाहौल-घाटी के सीबी रेंज में मलबा मिला था और उसके बाद इस खोज अभियान में तेजी लाई गई.

इससे पहले भी भारतीय सेना के डोगरा स्काउट ने कई अभियान चलाए थे. डोगरा स्काउट के द्वारा इसके लिए साल 2005, साल 2006, साल 2013 और साल 2019 में भी विशेष अभियान चलाए. साल 2019 तक इस पूरे क्षेत्र में 5 लोगों के शव मिल पाए थे.

एसपी लाहौल-स्पीति मयंक चौधरी ने बताया "सेना की रेस्क्यू टीम ने चार जवानों के अवशेष बरामद किए हैं. ऐसे में लाहौल-स्पीति पुलिस की टीम द्वारा सेटेलाइट के माध्यम से संपर्क किया जा रहा है और सेना के अधिकारियों को इस मामले से अवगत करवाया जा रहा है. चारों जवानों की पहचान कर ली गई है. लोसर गांव में ही इनका पोस्टमार्टम किया जाएगा और शव परिजनों को सौंप दिए जायेंगे."

अटल बिहारी वाजपेयी पर्वतारोहण संस्थान के निदेशक अविनाश नेगी ने बताया "संस्थान की एक टीम साल 2003 में ही उस दौरान ढाका ग्लेशियर पर गई थी जहां उन्हें विमान का मलबा मिला था. इसके बाद सेना के द्वारा फिर से अपना रेस्क्यू अभियान शुरू किया गया था और कुछ लोगों के अवशेष भी पहाड़ों पर मिले थे."

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