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देशभर के जेलों में क्षमता से 31 फीसदी अधिक रह रहे कैदी, उत्तर प्रदेश की स्थिति ज्यादा चिंताजनक - more prisoners than capacity - MORE PRISONERS THAN CAPACITY

more prisoners than capacity in indian jail: AAP सांसद संजय सिंह के राज्यसभा में देश भर की जेलों के बारे में पूछे गए सवाल के जवाब में केंद्रीय गृह मंत्रालय ने जवाब दिया है, जो चिंताजनक है. केंद्रीय गृह मंत्रालय से मिले आंकड़ों के मुताबिक, देश भर की जेलों में क्षमता से 31.4 फीसदी अधिक कैदी रह रहे हैं.

AAP सांसद संजय सिंह के सवाल पर केंद्र ने दिया जवाब.
AAP सांसद संजय सिंह के सवाल पर केंद्र ने दिया जवाब. (ETV BHARAT)

By ETV Bharat Delhi Team

Published : Aug 6, 2024, 5:53 PM IST

नई दिल्ली: देश की राजधानी दिल्ली के तिहाड़ जेल में क्षमता से अधिक कैदी रह रहे हैं. कमोबेश यही हालत देशभर के सभी जेलों की है. प्रिजन स्टैटिस्टिक्स इंडिया रिपोर्ट के हालिया आंकड़े के अनुसार, जेलों की निर्धारित क्षमता के मुकाबले कैदियों की मौजूदगी यानी ऑक्यूपेंसी रेट पिछले पांच वर्षों में बढ़ गए हैं. इसके चलते उनके मानवाधिकारों का हनन हो रहा है.

केंद्र सरकार के पास जेलों में रह रहे कैदियों से संबंधित संपूर्ण आंकड़े भी नहीं हैं. आम आदमी पार्टी के सांसद संजय सिंह के मानसून सत्र के दौरान राज्यसभा में देश भर की जेलों के बारे में पूछे गए सवाल के जवाब में केंद्रीय गृह मंत्रालय से मिले आंकड़े चिंताजनक स्थिति बयां कर रहे हैं. केंद्र के मुताबिक, देश भर की जेलों में क्षमता से 31.4 फीसदी अधिक कैदी रह रहे हैं. देश की जेलों में 4,36,266 कैदियों को रखने की क्षमता है, लेकिन वर्तमान में 5,73,220 कैदी बंद हैं. आंकड़ों के अनुसार, दिल्ली के तिहाड़ जेल की कुल क्षमता 10 हज़ार है, जबकि वर्तमान में 19,500 कैदी रह रहे हैं.

उत्तर प्रदेश में क्षमता से 79.9 फीसद अधिक कैदीःउत्तर प्रदेश की स्थिति सबसे ज्यादा चिंताजनक है. यूपी की जेलों में 67,600 कैदी रखने की क्षमता हैं, लेकिन 1,21,609 कैदी रह रहे हैं. यानि यूपी में कैदियों की संख्या जेलों की क्षमता से 79.9 फीसदी अधिक है. सरकारी आंकड़ों में उत्तर प्रदेश के जिला कारागार सबसे ज्यादा भरे हुए हैं और वहां कैदियों की संख्या साल 2018 के 183 फीसदी से बढ़कर साल 2022 में 207.6 फीसदी हो गई. इसके बाद उत्तराखंड आता है, जहां ऑक्यूपेंसी रेट 182.4 फीसदी है. उसके बाद पश्चिम बंगाल (181 फीसदी), मेघालय (167.2 फीसदी), मध्य प्रदेश (163 फीसदी) और जम्मू कश्मीर (159 फीसदी) का स्थान है.

क्षमता से ज्यादा कैदी रखना मानव अधिकारों का उल्लंघनःसंसद के मॉनसून सत्र में सांसद संजय सिंह के पूछे गए तारांकित प्रश्न संख्या 1032 का जवाब केंद्रीय गृह मंत्रालय ने दिया है. केंद्रीय गृहमंत्रालय के जवाब में देश की जेलों की गंभीर स्थिति उजागर हुई है. देश की जेलें अपनी क्षमता से 31.4 फीसदी अधिक कैदियों से भरी हुई हैं, जो न केवल मानव अधिकारों का उल्लंघन है, बल्कि न्याय के सुधार गृह सिद्धांत के आइने पर एक गंभीर प्रहार है.

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चार साल में बने 68 नए जेलःवहीं, 2018-22 के बीच मात्र 68 नए जेल बनाए गए. जबकि, इसी अवधि के दौरान देश में कैदियों की सख्या में 1,06,418 की वृद्धि हुई. जेलों में अव्यवस्थाओं के कारण हुई मौत के संबंध में पूछे गए सांसद के प्रश्न पर सरकार ने जवाब दिया है कि जेलों में हुई हिंसा के कारण होने वाली मौतों के बारे में कोई विशिष्ट जानकारी उपलब्ध नहीं है.

सांसद संजय सिंह का कहना है कि आंकड़ों पर हमेशा से सरकार का रवैया गैर जिम्मेदाराना रहा है. ये आंकड़े भी साल 2022 के हैं, जिससे यह संकेत मिलता है कि जेल के आंकड़ों को अपडेट करने में देरी हो रही है. अकेले 2022 में ही देश की जेलों में 159 अप्राकृतिक मौते हुई, जो चिंता का विषय है.

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