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72825 ट्रेनी टीचर भर्ती में शेष 12091 पदों का मामला: हाईकोर्ट ने कहा- 13 वर्ष बाद नहीं दिया जा सकता काउंसिलिंग - Allahabad High Court Order - ALLAHABAD HIGH COURT ORDER

72825 ट्रेनी टीचर भर्ती में शेष 12091 पदों के के मामले में मंगलवार को इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा कि 13 वर्ष बाद काउंसिलिंग का आदेश नहीं दिया जा सकता. अभ्यर्थियों की फिर काउंसिलिंग कराने के निर्देश के खिलाफ सरकार और बोर्ड की अपील मंजूर की गयी.

Etv Bharat 72825 ट्रेनी टीचर भर्ती में शेष बचे 12091 पदों का मामला
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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Apr 16, 2024, 9:27 PM IST

प्रयागराज: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एक महत्वपूर्ण निर्णय में 30 नवंबर 2011 को जूनियर बेसिक स्कूलों में 72 हजार 825 ट्रेनी टीचरों की भर्ती के लिए जारी विज्ञापन में से बचे 12091पदों के लिए अभ्यर्थियों को बुलाकर फिर से काउंसिलिंग कराने के एकल पीठ के आदेश को सही नहीं मानते हुए रद्द कर दिया है. विशेष अपीलीय खंडपीठ ने कहा कि 13 वर्ष बाद इस प्रकार से काउंसिलिंग कराने का आदेश नहीं दिया जा सकता है जबकि सुप्रीम कोर्ट ने ट्रेनी टीचरों की भर्ती प्रक्रिया को सही ठहराया है. कोर्ट ने यह आदेश इस मामले में राज्य सरकार और बेसिक शिक्षा परिषद की विशेष अपील मंजूर करते हुए दिया है.

दोनों विशेष अपीलों पर न्यायमूर्ति अश्वनी कुमार मिश्र एवं न्यायमूर्ति एसक्यूएच रिजवी की खंडपीठ ने कई दिनों की सुनवाई के बाद फैसला सुरक्षित कर लिया था. हाईकोर्ट की विशेष अपील खंडपीठ ने मंगलवार इन अपीलों पर फैसला देते हुए सरकार की विशेष अपील मंजूर कर ली. एकल पीठ के आदेश के खिलाफ राज्य सरकार की ओर से अपर मुख्य स्थाई अधिवक्ता रामानंद पांडेय और बेसिक शिक्षा परिषद की ओर से कुष्मांडा शाही द्वारा दाखिल विशेष अपीलों में कहा गया था कि सुप्रीम कोर्ट ने 25 जुलाई 2017 एवं बाद में इस मामले में अभ्यर्थियों की ओर से दाखिल अवमानना मामले में 13 दिसंबर 2019 को ट्रेनी टीचरों की सम्पन्न भर्ती को सही मानते हुए अवमानना का केस खत्म कर दिया था. ऐसे में 2011 की भर्ती को लेकर शेष बचे पदों पर अभ्यर्थियों की फिर से काउंसिलिंग कराने का एकल पीठ का निर्देश गैरकानूनी है.

वहीं अभ्यर्थियों विनय कुमार पांडेय व अन्य की ओर से कहा गया था कि एकल पीठ के आदेश में कोई त्रुटि नहीं है. बहस की गई कि सरकार की ओर से सुप्रीम कोर्ट में दाखिल अवमानना वाद में सही तथ्य प्रस्तुत नहीं किया गया. जिस कारण इस प्रकार का आदेश हुआ और सुप्रीम कोर्ट ने भर्ती को सही मानते हुए अवमानना केस समाप्त कर दिया.

गौरतलब है कि हाईकोर्ट की एकल पीठ ने बेसिक शिक्षा परिषद की 72825 सहायक अध्यापकों की भर्ती के मामले में निर्देश दिया था कि इस भर्ती में बचे हुए 12091 पदों पर काउंसिलिंग कराने के लिए विज्ञापन जारी किया जाए और काउंसिलिंग का परिणाम फरवरी के अंतिम सप्ताह तक जारी कर दिया जाए. कोर्ट के इस आदेश से लगभग 12 वर्षों से चले आ रहे इस भर्ती विवाद का पटाक्षेप होने की उम्मीद थी. याचियों के वकीलों का कहना था कि 72825 सहायक अध्यापकों की भर्ती में से कोर्ट के आदेश के परिणाम स्वरूप 66655 पदों पर चयन हो गया और चयनित अभ्यर्थियों ने कार्यभार भी ग्रहण कर लिया है. लेकिन 12091 पद अब भी शेष रह गए हैं, जिन पर काउंसिलिंग नहीं कराई गई और चयन की सीमा में आने वाले अभ्यर्थियों की नियुक्ति नहीं हो सकी है.

एकल पीठ ने कहा था कि यह आश्चर्यजनक है कि काउंसिलिंग की जानकारी होने के बावजूद चयनित अभ्यर्थी काउंसिलिंग में न शामिल होकर मुकदमे में लगे रहे. जबकि काउंसिलिंग से संबंधित कोई तथ्य रिकॉर्ड पर नहीं है. ऐसी स्थिति में राज्य सरकार और बेसिक शिक्षा परिषद 12091 पदों पर नए सिरे से काउंसिलिंग के लिए विज्ञापन जारी करे और इस कैटेगरी में आने वाले उन अभ्यर्थियों को बुलाया जाए, जो पूर्व में काउंसिलिंग में शामिल नहीं हुए हैं. एकल पीठ ने कहा था कि काउंसिलिंग 5 फरवरी 2024 से शुरू होने वाले सप्ताह में कराई जाए.
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