राजसमंद.अनुसूचित जाति व जनजाति न्यायालय राजसमंद के विशिष्ट न्यायाधीश पवन कुमार जीनवाल ने छह साल पुराने एक मामले में दलित वर्ग के दूल्हे को बिन्दोली में घोड़ी से उतारने व मारपीट के 11 आरोपियों को दोषी करार दिया. साथ ही न्यायाधीश ने सभी आरोपियों को 5-5 साल के कारावास की सजा सुनाई. इसके अलावा आरोपियों पर 27 हजार 500 रुपए के अर्थदंड भी लगाए गए हैं. मामला केलवाड़ा थाना क्षेत्र के एक गांव का था, जहां दलित वर्ग के दूल्हे को घोड़ी से उतार दिया था.
विशिष्ट लोक अभियोजक राजकिशोर ब्रजवासी ने बताया कि चंपालाल ने केलवाड़ा थाने में रिपोर्ट दी थी, जिसमें उसने बताया कि 19 अप्रैल, 2018 को उसके छोटे भाई भोलीराम की शादी थी. रात 11 बजे घर से बिंदोली के लिए दूल्हे को घोड़ी पर बैठाकर डीजे के साथ रवाना किया. इस दौरान उसके परिवार के अलावा रिश्तेदार और मित्र भी मौजूद थे. रात सवा 11 बजे खेड़ादेवी मंदिर के सामने चौराहे पर बिंदोली लेकर पहुंचे. इसी बीच पीछे से उमेशसिंह (ईश्वरसिंह) की बिंदोली आई, जिसमें सभी शराब के नशे में थे. उनमें से 10-15 लोग दौड़कर उनकी बिंदोली को रोककर जातिसूचक गालियां देने लगे और कहने लगे कि तुम घोड़ी पर बिंदोली कैसे लेकर आए.
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यह कहते हुए प्रताप सिंह, हिम्मत सिंह, हुकम सिंह ने दूल्हे के हाथ से तलवार खींच कर दूल्हे के सिर पर मारी, जिससे दूल्हे का साफा नीचे गिर गया. फिर चारों ने दूल्हे को पकड़कर घोड़ी से नीचे पटक दिया और इसके बाद उसकी जमकर पिटाई की. इतना ही नहीं दूल्हे का गिरेबान पकड़कर उसके गले से सोने की चेन भी छिन ले गए. वाकया के दौरान गोवर्धन व खुमाराम नामक के दो लोगों ने घोड़ी को पकड़ रखा था. वहीं, आरोपियों ने परिवार के अन्य सदस्यों के साथ भी मारपीट की और उन्हें जातिगत गालियां देकर अपमानित किया. इस पर पीड़ित किसी तरह से मौके से अपनी जान बचाकर भागे. इस पर पुलिस ने एससी एसटी एक्ट के तहत मामला दर्ज किया.
वहीं, न्यायालय में विशिष्ट लोक अभियोजक राजकिशोर ब्रजवासी ने 24 गवाह व 25 दस्तावेजी साक्ष्य प्रस्तुत किए. इसके बाद न्यायालय ने दोनों पक्षों की बहस सुनने के बाद आरोपी हाजेला का वास, समीचा निवासी हिम्मत सिंह, किशन सिंह, राम सिंह, प्रताप सिंह, गोपाल सिंह, प्रेम सिंह, चैन सिंह, गणपत सिंह, भरत सिंह, फतेह सिंह व हुकुम सिंह को दोषी करार दिया. साथ ही भादसं धारा 143, 323, 341, और धारा 3(1)(r)(s)(za)(B) ,3(2)(Va) एससी / एसटी एक्ट के तहत 5 साल कारावास और 27 हजार 500 रुपए के अर्थदंड की सजा सुनाई.