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104 साल पुराना श्री जसवंत प्रदर्शनी मेला: महाराजा किशन सिंह ने अपने दादा की याद में कराया था शुरू - JASWANT PRADARSANI MELA 2024

भरतपुर में श्री जसवंत प्रदर्शनी एवं पशु मेला शुरू हो गया है. यह 104 साल पुराना मेला तत्कालीन महाराजा किशन सिंह ने शुरू करवाया था.

Jaswant Pradarsani Mela 2024
श्री जसवंत प्रदर्शनी मेला (ETV Bharat Bharatpur)

By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : Oct 8, 2024, 7:53 PM IST

भरतपुर:बृज अंचल की पहचान श्री जसवंत प्रदर्शनी एवं पशु मेला शुरू हो गया है. उत्तर भारत के चुनिंदा लक्खी मेलों में से एक यह मेला 105वीं बार लग रहा है. 104 वर्ष प्राचीन इस मेले का इतिहास और पहचान बहुत ही स्वर्णिम रही है. भरतपुर रियासत के तत्कालीन महाराजा जसवंत सिंह की याद में यह मेला अक्टूबर 1920 में तत्कालीन महाराजा किशन सिंह ने शुरू किया था. तभी से यह मेला हमारी सांस्कृतिक धरोहर की पहचान बन गया है. मेले में कई राज्यों के व्यापारी और लाखों की संख्या में स्थानीय लोग जुटते हैं.

1920 में शुरू हु​आ था श्री जसवंत प्रदर्शनी मेला (ETV Bharat Bharatpur)

अब इस मेले के आयोजन की जिम्मेदारी पशुपालन विभाग की है. पशुपालन विभाग के संयुक्त निदेशक डॉ खुशीराम मीणा ने बताया कि यह मेला अक्टूबर 1920 में तत्कालीन महाराजा किशन सिंह ने अपने दादा महाराजा जसवंत सिंह की याद में शुरू कराया था. यह मेला हर वर्ष अश्विन शुक्ल पंचमी से अश्विन शुक्ल चतुर्दशी तक आयोजित किया जाता है. तभी से लगातार इस मेले का आयोजन किया जा रहा है. इस बार 105वीं बार यह मेला आयोजित हो रहा है. डॉ मीणा ने बताया कि वर्तमान मेलास्थल के पास स्थित बगीची पर एक गोलमोल नाम के सिद्ध पुरुष रहते थे. वो अपने सेवकों से कहा करते थे कि आगे चलकर यह भूमि सोना उगलेगी और यहां पर मेला लगा करेगा.

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मंगलवार को श्री जसवंत प्रदर्शनी एवं पशुमेला-2024 का उद्घाटन जिला कलक्टर डॉ अमित यादव ने विधिवत रूप से पूजा-अर्चना कर ध्वजारोहण के साथ किया. मेले में प्रदेश के साथ-साथ मध्यप्रदेश, उत्तरप्रदेश, हरियाणा राज्य के भी पशुपालक एवं व्यापारी भाग लेकर व्यापारिक गतिविधियों को बढ़ाते हैं. इस अवसर पर उन्होंने कहा कि इस बार मेले में दशहरा कार्यक्रम भव्य एवं शानदार होने वाला है, जिसमें रावण, कुम्भकरण एवं मेघनाथ के पुतलों का दहन किया जाएगा.

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खुशीराम मीणा ने मेला बताया कि इस बार 8 से 16 अक्टूबर तक आयोजित मेले में प्रतिदिन विशेष कार्यक्रम होंगे. यहां आने वाले नागरिकों को सस्ती व उचित दरों पर घरेलु सामग्री की उपलब्धता के साथ मनोरंजन के साधन भी होंगे. उन्होंने बताया कि मेले में 492 दुकानों का अब तक आवंटन हो चुका है. जिससे विभाग को अब तक 46 लाख 62 हजार 250 रुपए की आय प्राप्त हो चुकी है. मेले में 195 भैंस वंश एवं 2 गौवंश की बिक्री से 9850 रुपए का रवन्ना, टोल टैक्स से 15050 रुपए सहित कुल 46 लाख 87 हजार 150 रुपए का राजस्व अब तक प्राप्त हो चुका है. मेले में इस बार खजला दुकान, झूला, सर्कस, मौत का कुआं, ड्रैगन, नाव, जादू आदि मनोरंजन के साधन होंगे.

मेले के प्रमुख आयोजन:

  1. 9 अक्टूबर को पशु प्रतियोगिता
  2. 10 अक्टूबर को शाम 7 बजे भजन जिकडी
  3. 11 अक्टूबर को शाम 7 बजे नौटंकी
  4. 11 से 13 अक्टूबर तक कुश्ती दंगल
  5. 12 अक्टूबर को शाम 6.30 बजे रावण दहन और 13 अक्टूबर को ढोला गायन

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