देहरादून (धीरज सजवाण): उत्तराखंड में होने जा रहे 38वें राष्ट्रीय खेलों की मेजबानी के दौरान राज्य के खिलाड़ियों को हर एक खेल में प्रतिभाग करने का मौका मिलेगा. इस खेल को लेकर उत्तराखंड के खिलाड़ी बहुत उत्साहित हैं. लॉन बॉल्स गेम एक बेहद बेहद रोमांचक खेल है. इसकी क्या कुछ बारीकियां हैं और इसकी खासियत के साथ ही जानते हैं उत्तराखंड में इसका इतिहास.
सख्त लकड़ी की होती हैं बॉल:0.5mm ग्रास लॉन पर खेले जाने वाला यह खेल अपने आप में बेहद खास है. वहीं यदि सिंथेटिक टर्फ पर प्रैक्टिस की जाती है तो वह भी बेहद सॉफ्ट रखा जाता है. इस खेल के ग्राउंड को बहुत ज्यादा रखरखाव की जरूरत पड़ती है. लॉन बॉल्स गेम में इस्तेमाल होने वाली बॉल वुडन की होती है. ये एक सख्त लकड़ी से बनाई जाती है. इनके पांच अलग-अलग साइज होते हैं. लॉन बॉल्स गेम में इस्तेमाल होने वाली बॉल कोई सामान्य बॉल नहीं होती हैं, बल्कि यह कुछ खास तरह की बल होती हैं. ये केंद्रीय और इंटरनेशनल फेडरेशन के पास रजिस्टर्ड होती हैं.
देहरादून में लॉन बॉल्स गेम का कैंप लगा (VIDEO- ETV Bharat) 'लॉन बॉल' की हर बाल होती है अलग:यह हर बॉल एक-दूसरी बॉल से अलग होती हैं. सभी बॉल्स के अपने-अपने कोड होते हैं. ऐसा नहीं है कि कोई भी खिलाड़ी किसी भी बॉल को प्राप्त कर सकता है. उसके लिए उसको बॉल की आइडेंटिटी पर निर्भर रहना पड़ता है. ऐसा इसलिए होता है क्योंकि यह खेल पूरी तरह से बॉल की प्रवृत्ति पर निर्भर करता है.
उत्तराखंड की दो महिला खिलाड़ी लॉन बॉल्स में मेडल जीत चुकी हैं (PHOTO- ETV BHARAT) बॉल की डुप्लीकेसी ना हो और खेलते समय भी मिक्स ना हो, इसलिए इन्हें बेहद खास बनाया जाता है. इन बॉल्स में एक खास तरफ वेट लगा होता है. इन्हें फोरहैंड और बैक हैंड दो तरीकों से फेंका जाता है. ऐसा करने से उनकी दिशा को तय किया जाता है.
लॉन बॉल्स गेम उत्तराखंड के लिए थोड़ा नया है (PHOTO- ETV BHARAT) ऑस्ट्रेलिया में बनती हैं लॉन बॉल गेम की गेंदें:उत्तराखंड लॉन बॉल फेडरेशन के कोच किशन डोभाल बताते हैं कि-
'ये बॉल्स ज्यादातर ऑस्ट्रेलिया में बनाई जाती हैं. इस बार उत्तराखंड में होने जा रहे 38 वें राष्ट्रीय खेलों के लिए भी लॉन बॉल में इस्तेमाल होने वाली गेंदें ऑस्ट्रेलिया से ही मंगवाई जा रही हैं.'
-किशन डोभाल, कोच, लॉन बॉल गेम-
किसी भी उम्र का व्यक्ति खेल सकता हैं 'लॉन बॉल गेम':ये एक ऐसा ओलंपिक खेल है जो कॉमनवेल्थ का भी एक महत्वपूर्ण खेल है. यानी कि कॉमनवेल्थ गेम्स में 'लॉन बॉल गेम' खेला जाता है. उत्तराखंड लॉन बॉल खेल फेडरेशन के अध्यक्ष धीरेंद्र पंवार बताते हैं कि-
'यह बेहद इंटरेस्टिंग गेम है. हालांकि उत्तराखंड में बहुत कम बच्चे इस खेल के बारे में जानते हैं. उत्तराखंड लॉन बॉल फेडरेशन इस गेम के प्रति लोगों को जागरूक कर रहा है. और इस गेम में उत्तराखंड के कई खिलाड़ी भी भाग ले रहे हैं. उत्तराखंड में होने जा रहे 38 वें राष्ट्रीय खेलों में हमारे खिलाड़ी लॉन बॉल गेम में बेहद मजबूत चुनौती पेश करेंगे. इसमें हमारे खिलाड़ी मेडल भी लाएंगे.'
-धीरेंद्र पंवार, अध्यक्ष, उत्तराखंड लॉन बॉल खेल फेडरेशन-
राष्ट्रीय खेलों में लॉन बॉल गेम में पदकों की उम्मीद: धीरेंद्र पंवार ने बताया कि 25 दिसंबर से दिल्ली में लॉन बॉल गेम की नेशनल चैंपियनशिप होनी है. उसमें भी उत्तराखंड के लॉन बॉल गेम खिलाड़ी भाग लेने जाएंगे. साथ ही होस्ट स्टेट होने के नाते उत्तराखंड को 38 वें राष्ट्रीय खेलों में सीधे प्रतिभाग करने का भी मौका मिलेगा. उन्होंने बताया कि इस खेल की बड़ी बात यह है कि इस खेल को हर आयु वर्ग का व्यक्ति खेल सकता है. इसमें आयु सीमा की कोई पाबंदी नहीं है.
लॉन बॉल्स गेम दिमाग और तकनीक वाला खेल है (PHOTO- ETV BHARAT) लॉन बॉल्स गेम में उत्तराखंड जीत चुका है दो राष्ट्रीय मेडल:उत्तराखंड में जहां पर युवा क्रिकेट, फुटबॉल, हॉकी और एथलेटिक्स समेत तमाम अन्य तरह के खेलों में बढ़-चढ़कर हिस्सा लेते हैं, वहीं अब नॉन बॉल गेम को लेकर भी उत्साह दिखाई दे रहा है.
लॉन बॉल्स की गेंदें ऑस्ट्रेलिया में बनती हैं (PHOTO- ETV BHARAT) उत्तराखंड ने लॉन बॉल गेम में राष्ट्रीय स्तर पर दो मेडल भी जीते हैं. उत्तराखंड ने लॉन बॉल गेम में पहली दफा असम में 2020 में खेलो इंडिया यूथ गेम में प्रतिभाग किया था. उस प्रतियोगिता में दो महिला खिलाड़ियों ने ब्रॉन्ज मेडल जीते थे.
लॉन बॉल्स गेम की गेंदें लकड़ी की होती हैं (PHOTO- ETV BHARAT) 2020 में ब्रॉन्ज मेडल जीतने वाली लॉन बॉल खिलाड़ी विमांशा बुढ़ाकोटी ने खेलो इंडिया यूथ गेम्स के अपने अनुभव बांटे. उन्होंने ईटीवी भारत संवाददाता को बताया कि-
'मेरा इस खेल में बेहद सुखद अनुभव है. 2020 में मैंने पहली दफा इस खेल में प्रतिभाग किया. खेलो इंडिया यूथ गेम में मैंने कांस्य पदक जीता. यह मेरे लिए बड़ी उपलब्धि है.'
-विमांशा बुढ़ाकोटी, लॉन बॉल प्लेयर, उत्तराखंड-
इसी तरह से लॉन बॉल गेम्स में दूसरा ब्रॉन्ज मेडल जीतने वाली दूसरी महिला खिलाड़ी रितिका ने भी अपने अनुभव ईटीवी भारत के साथ शेयर किए. वो बताती हैं कि-
'यह बेहद टेक्निकल गेम है. इसमें हमें अपने दिमाग और मसल्स का सामंजस्य बैठना होता है. मुझे पहले इस खेल के बारे में कोई जानकारी नहीं थी. कोच किशन डोभाल ने मुझे इस गेम की कोचिंग दी. मैंने पहली ही प्रतियोगिता में कांस्य पदक हासिल किया.'
-रितिका मेवाड़, लॉन बॉल प्लेयर, उत्तराखंड-
उम्मीद है उत्तराखंड के खिलाड़ियों का लॉन बॉल गेम्स में अनुभव 38वें राष्ट्रीय खेलों में काम आएगा. राज्य के खिलाड़ी इस खेल में पदक लाकर मेडल टेली को ऊपर पहुंचाएंगे.
ये गेम धैर्य की परीक्षा लेता है (PHOTO- ETV BHARAT) ये भी पढ़ें: - 120 सेकंड, शांत दिमाग और निशाने पर तीर, जानें नेशनल गेम्स के लिए कैसी है तीरंदाजों की तैयारी
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