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अश्विन ने कड़ी मेहनत और प्रयोग कर हासिल की 500 विकेट की उपलब्धि, जानिए कैसा रहा सफर

राजकोट टेस्ट में रविचंद्रन अश्विन ने 500 विकेट हासिल करने की उपलब्धि हासिल की है. अपने इस करियर में उन्होंने कईं उतार चढ़ाव भी देखे हैं और 2011 में पदार्पण करने बाद से उन्होंने कमाल का प्रदर्शन दिखाया है. पढ़ें पूरी खबर....

रविचंद्रन अश्विन
रविचंद्रन अश्विन

By ETV Bharat Hindi Team

Published : Feb 18, 2024, 12:17 PM IST

नई दिल्ली : भारत बनाम इंग्लैंड के बीच राजकोट टेस्ट मुकाबले में रविचंद्र अश्विन ने एक बड़ी महत्वपूर्ण उपलब्धि हासिल की है. उन्होंने अंतरराष्ट्रीय टेस्ट क्रिकेट में अपने नाम 500 विकेट कर लिए हैं. उनकी इस उपलब्धि पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर उनको बधाई भी दी. रविचंद्रन अश्विन ने इस उपलब्धि को हासिल करने के लिए क्रिकेट करियर में काफी उतार चढ़ाव देखे और खुद को समय के अनुरूप ढ़ाला है. यही कारण है कि रविचंद्र अश्विन भारतीय क्रिकेट टीम में इतना लंबे समय तक टिके और अनिल कुंबले के बाद 500 विकेट लेने का कारनामा करने वाले दूसरे गेंदबाज बन गए हैं.

रविचंद्र अश्विन

अंतरराष्ट्रीय क्रिकेटर के तौर पर आर अश्विन के कई रंग सामने आए हैं. अश्विन विविधताओं से भरपूर ऐसे गेंदबाज थे, जिसने आईपीएल में चेन्नई सुपर किंग्स के लिए अच्छा प्रदर्शन करके भारत के व्हाइट बॉल क्रिकेट में बड़ी सफलता हासिल की. ऐसा गेंदबाज जिसने घरेलू पिचों पर शानदार टर्न की मदद से टेस्ट क्रिकेट में तेजी से प्रगति की. ऐसा गेंदबाज जो लेग-ब्रेक में कमाल कर देता था. एक ऐसा गेंदबाज था जो घर से बाहर चोटों के साए के बावजूद धीरे-धीरे बेहतर होता गया, और वह अब हमारे सामने अपनी कला में माहिर और 500 विकेट की उपलब्धि के साथ है.

रविचंद्र अश्विन

कारनामा करने वाले दूसरे भारतीय गेंदबाज
भारतीय ऑफ स्पिनर ने अपनी उतरा-चढ़ाव वाली यात्रा के दौरान लगातार इंप्रूव करने की उनकी क्षमता प्रभावशाली रही है. यही कारण है कि वह आज अनिल कुंबले के बाद 500 टेस्ट विकेटों की शानदार उपलब्धि हासिल करने वाले दूसरे भारतीय गेंदबाज हैं. उन्होंने 98 टेस्ट में यह उपलब्धि हासिल की है. श्रीलंका के मुथैया मुरलीधरन के बाद अश्विन दूसरा सबसे तेज 500 टेस्ट विकेट लेने वाले बल्लेबाज हैं. श्रीलंका के मुथैया मुरलीधरन ने 87 टेस्ट में 500 विकेट हासिल किए थे.

रविचंद्र अश्विन

सिर्फ 9 मैचों में दिखा दिया था अपना टेलेंट
अश्विन ने जब 2011 में टेस्ट क्रिकेट में पदार्पण किया उस समय एक दशक से हरभजन सिंह ऑफ स्पिनर के रूप में भारतीय टीम में सर्वश्रेष्ठ गेंदबाज थे. जब अश्निन ने डेब्यू किया तब ज्यादातर लोगों ने यही सोचा कि वह सिर्फ एक व्हाइट बॉल स्पिनर हैं. लेकिन अश्विन प्रथम श्रेणी क्रिकेट में तमिलनाडू की टीम में तपे हुए खिलाड़ी थे. अश्विन ने अपने शुरुआती 50 विकेट मात्र 9 मैचों में हासिल कर लिए.

जब अपने प्रदर्शन से काफी निराश हुए थे अश्विन
उनके टेस्ट डेब्यू के एक साल बाद इंग्लैंड के खिलाफ वह खास प्रदर्शन नहीं कर सके. वह अपने प्रदर्शन से काफी निराश हुए. उसके एक महीने बाद ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ टेस्ट सीरीज खेली जानी थी उनको यकीन नहीं था कि वह इस सीरीज के लिए चुने जाएंगे लेकिन उनके चुने जाने के बाद उन्होंने लाजवाब प्रदर्शन किया. ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ अश्विन चार मैचों की 8 पारियों में कमाल का प्रदर्शन करते हुए 29 विकेट अपने नाम किए.

रविचंद्र अश्विन

विदेश में उनकी जगह जब कर्ण शर्मा को मिला मौका
अश्विन घरेलू मैदान पर भारतीय टीम की सबसे बड़ी ताकत बने हुए हैं. लेकिन फिर भी उन्हें घर से बाहर अपने रिकॉर्ड के लिए कड़ी चुनौती मिलती रही. उनके करियर का शायद सबसे निचला बिंदु शायद 2014 में एडिलेड में था, जब अनकैप्ड लेग स्पिनर कर्ण शर्मा को सीरीज के पहले टेस्ट के लिए चुना गया था. तभी अश्विन एडिलेड ओवल में नेट्स पर गए और गेंदबाजी कोच भरत अरुण के साथ बड़े पैमाने पर अभ्यास और काम करने लगे. बाद में, अश्विन ने उन सत्रों से हासिल हुए लाभों को भी स्वीकार किया जहां उन्होंने अपनी लेंथ में सुधार किया.

काफी सवाल पूछते हैं अश्विन
एक रिपोर्ट के मुताबिक पूर्व भारतीय गेंदबाजी कोच अरुण कहते हैं, अश्विन आपसे बहुत सारे जायज सवाल पूछते हैं. वह अपनी गेंदबाजी जानता है और आपसे प्रासंगिक प्रश्न पूछता है. अश्विन लगातार सुधार करने की कोशिश करते हैं. यही उनकी सफलता की पहचान रही है. हम एक दूसरे से सवाल पूछते थे. मैंने उनसे उतना ही सीखा जितना शायद उन्होंने मुझसे सीखा. मुझे उनके सवालों का जवाब देने के लिए गहराई से जाना पड़ता है.

विदेश में भी सुधरा है रिकॉर्ड
पिछले 6 सालों में अश्विन के विदेशी धरती के रिकॉर्ड में काफी सुधार हुआ है. उन्होंने पिछले 39 मैचों में 30.4 की औसत और 62.8 की स्ट्राइक रेट से 149 विकेट हासिल किए हैं. भारत के लिए सर्वाधिक विकेट लेने वाले गेंदबाजों में अनिल कुंबले ने विदेश में 69 टेस्ट मैचों में 269 विकेट लिए हैं. हरभजन सिंह ने भी विदेश में शानदार प्रदर्शन करते हुए 48 टेस्ट मैचों में 76.2 की औसत से 152 विकेट हासिल किए हैं. हालांकि अश्विन को टीम में संतुलन बनाने के चलते विदेशी दौरों पर प्लेइंग-11 में जगह नहीं मिली है.

नए प्रयोगों से नहीं डरते
अश्विन एक उत्सुकता पूर्ण खिलाड़ी रहे हैं जो गेंदबाजी में नईं खोज के लिए चुनौती से बिल्कुल नहीं डरे. उनकी इस विशेषता के कारम उनको आलोचना का सामना भी करना पड़ा. अश्विन कभी भी आलोचना के डर से नए प्रयोग करने से घबराए नहीं. यह वजह है कि वह अपने हौंसले के दम पर इस उपलब्धि तक पहुंचे हैं.

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