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जानिए विश्व पैरा एथलेक्टिस चैंपियनशिप में रिकॉर्ड तोड़ने वाली दीप्ति जीवनजी की प्रेरणादायक कहानी - Deepthi Jeevanji - DEEPTHI JEEVANJI

Inspirational story of Deepthi Jeevanji : भारत की पैरा एथलीट दीप्ति जीवनजी ने जीवन की असंभव चुनौतियों पर काबू पाया और जापान के कोबे में आयोजित विश्व पैरा चैंपियनशिप में ट्रैक में गोल्ड मेडल जीतने वाली पहली भारतीय बनीं. भारतीय जूनियर टीम के कोच नागपुरी रमेश के समर्थन और ईनाडु सीएसआर कार्यक्रम लक्ष्य के मार्गदर्शक पुलेला गोपीचंद के समर्थन ने दीप्ति को गुमनामी से वैश्विक मंच तक पहुंचने में मदद की. पढ़ें पूरी खबर.

Deepthi Jeevanji
दीप्ति जीवनजी (ANI Photo)

By ETV Bharat Hindi Team

Published : May 21, 2024, 10:02 PM IST

हैदराबाद : विपरीत परिस्थितियों के बीच, जहां गरीबी और पूर्वाग्रह की गूँज गूंजती है, वहां दीप्ति जीवनजी द्वारा गढ़ी गई विजय की एक ऐसी कहानी सामने आती है, जिसने एथलेटिक्स में विश्व चैंपियन बनने के लिए सभी बाधाओं को हराया.

वारंगल जिले के कालेडा गांव की रहने वाली दीप्ति की यात्रा उन संघर्षों से भरी हुई है, जो सबसे दृढ़ आत्माओं को भी विचलित कर सकती है. दीप्ति एक ऐसे घर में जन्मी जहां आर्थिक तंगी आम बात थी और मानसिक कमी के प्रति सामाजिक कलंक छाया रहता था. इस लड़की को उन सभी बाधाओं का सामना करना पड़ा जो दुर्गम लगती हैं.

लेकिन किस्मत ने दीप्ति के लिए कुछ और ही सोच रखा था. वारंगल में एक स्कूल मीट के दौरान भारतीय जूनियर टीम के मुख्य कोच नागपुरी रमेश की नजर इस लड़की पर पड़ी. उसकी क्षमता को पहचानते हुए, रमेश ने दीप्ति के माता-पिता से उसे प्रशिक्षण के लिए हैदराबाद भेजने का अनुरोध किया, लेकिन परिवार की गंभीर वित्तीय स्थिति के कारण यह प्रस्ताव बाधित हुआ. लेकिन रमेश की उदारता और ईनाडु सीएसआर कार्यक्रम 'लक्ष्य' के मार्गदर्शक पुलेला गोपीचंद के हस्तक्षेप ने दीप्ति की महानता की यात्रा का मार्ग प्रशस्त किया.

साधारण शुरुआत से लेकर अंतर्राष्ट्रीय प्रशंसा तक, दीप्ति का परिवर्तन असाधारण से कम नहीं है. वित्तीय सहायता और शीर्ष स्तर के प्रशिक्षण के साथ, वह पैरा-एथलेटिक्स के शिखर पर पहुंच गई, कई स्वर्ण पदक हासिल किए और वैश्विक मंच पर कई रिकॉर्ड तोड़ दिए.

उनके महत्वपूर्ण क्षणों में मोरक्को में 2022 विश्व पैरा ग्रां प्री में जीत शामिल है, जहां उन्होंने टी20 और 400 मीटर स्पर्धाओं में अपना पहला अंतरराष्ट्रीय गोल्ड मेडल जीता, और टी20 वर्ग में एक नया रिकॉर्ड बनाया. ब्रिस्बेन में वर्टस एशियाई खेलों में उनका शानदार प्रदर्शन जारी रहा, जहां उन्होंने 200 मीटर में अपना दबदबा बनाते हुए 26.82 सेकंड का समय लिया और 400 मीटर की दौड़ को 57.58 सेकंड में जीत लिया, दोनों स्पर्धाओं में उन्हें स्वर्ण पदक मिले.

चारों ओर से प्रशंसा के बीच, दीप्ति जमीन पर टिकी हुई है और अपनी सफलता का श्रेय अपने गुरुओं, गोपीचंद और रमेश के अटूट समर्थन और 'लक्ष्य' के परिवर्तनकारी प्रभाव को देती हैं. पैरालंपिक पर नजरें टिकाए दीप्ति की यात्रा अभी खत्म नहीं हुई है. उनका लचीलापन, दृढ़ संकल्प और अटूट भावना सभी के लिए प्रेरणा का काम करती है. और यह साबित करती है कि दृढ़ता और जुनून के साथ, जीत की कोई सीमा नहीं होती.

दीप्ति जीवनजी (ETV Bharat)

चूंकि दीप्ति का परिवार उसकी उपलब्धियों की चमक में डूबा हुआ है, जिसका स्वागत गणमान्य व्यक्तियों और जन प्रतिनिधियों ने किया है, उसकी कहानी आशा की किरण और अदम्य मानवीय भावना के प्रमाण के रूप में काम करती है. चुनौतियों से भरी दुनिया में, दीप्ति की यात्रा हमें यह बताती है कि सपने, चाहे कितने भी कठिन क्यों न हों, उन लोगों की पहुंच में हैं जो उन्हें पूरा करने का साहस करते हैं.

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