ब्रिसबेन (ऑस्ट्रेलिया): भारत के स्टार बल्लेबाज विराट कोहली का फ्लॉप शो लगातार जारी है. वह ऑफ स्टंप के बाहर की गेंदों पर अपनी कमजोरी पर काबू नहीं कर पा रहे हैं और लगातार एक जैसे तरीके से ऑफ स्टंप के बाहर की बॉल पर अपना विकेट गंवा रहे हैं. इससे उनके फैंस और भारतीय क्रिकेट टीम की चिंताएं लगातार बढ़ती जा रही हैं.
विराट भारत और ऑस्ट्रेलिया के बीच ब्रिसबेन के गाबा में खेले जा रहे बॉर्डर गावस्कर ट्रॉफी के तीसरे मैच टेस्ट की पहली पारी में भी इसी तरह आउट हो गए. वह 16 गेंदों में 3 रन के निजी स्कोर पर एलेक्स कैरी को जोश हेजलबुड की ऑफ स्टंप वाली गेंद को कवर ड्राइव लगाने के चक्कर में आउट हो गए.
इसके बाद भारत के पूर्व कप्तान और कमेंटेटर सुनील गावस्कर ने विराट कोहली से एक बड़ा आग्रह किया है. उन्होंने कहा है कि विराट ऑफ स्टंप के बाहर की गेंदों पर अपनी परेशानी दूर करने के लिए 2004 में सिडनी में सचिन तेंदुलकर की शानदार पारी से प्रेरणा लें, जहां सचिन ने बिना कवर ड्राइव लगाए बेहतरीन पारी खेली थी.
विराट-सचिन की पारी से प्रेरणा कोहली पर्थ में शतक लगाने के बाद से पिछली चार पारियों में 15 रन से अधिक रन नहीं बना पाए हैं और ऑफ स्टंप की गेंद पर ही कैच आउट हुए हैं. आपको बता दें कि ऐसा ही कुछ 2003-04 बॉर्डर-गावस्कर ट्रॉफी के दौरान सचिन तेंदुलकर के साथ हो रहा था. वो भी ऑफ स्टंप की गेंद पर कवर ड्राइव लगाने के चलते आउट हो रहे थे. फिर उन्होंने सिडनी में बिना कवर ड्राइव लागए ऐतिहासिक नाबाद 241 रन की पारी से खेली थी.
इस पारी को याद करते हुए गावस्कर ने कहा, 'हां, मुझे लगता है कि अभ्यास अलग है, लेकिन मैदान में जो होता है वह अलग है. मानसिकता पूरी तरह से अलग है. अभ्यास में जो होता है, आप जानते हैं, अगर आप खराब शॉट खेलते हैं, तो आप इससे बच सकते हैं. लेकिन मैच में अगर आप आउट हो जाते हैं, तो आप आउट हो जाते हैं'.
कवर ड्राइव को करे डिलीट गावस्कर ने आगे कहा, 'मुझे लगता है कि कोहली शायद वही कर सकते हैं जो सचिन तेंदुलकर ने 2004 में किया था. पहले तीन टेस्ट मैचों में वे ऑफ़-स्टंप के बाहर लाइन पर खेलते हुए आउट हो गए. वे स्लिप शॉर्ट गली में कैच हो गए. जब वे सिडनी आए, तो उन्होंने तय किया कि वे कवर ड्राइव में कुछ भी नहीं खेलेंगे. वे केवल गेंदबाज के फॉलो-थ्रू और मिड-ऑफ फील्डर के दाईं ओर और दूसरी तरफ बाकी सब कुछ खेलते थे. यही उनका संकल्प था. उन्होंने शायद ही कभी कवर ड्राइव खेला हो, मुझे लगता है कि 200-220 पर पहुंचने के बाद ही उन्होंने एक खेला था. इस तरह का मानसिक नियंत्रण आपके पास होना चाहिए'.
उस मैच में 436 गेंदों पर तेंदुलकर ने नाबाद 241 रन बनाए, जिससे भारत ने पारी घोषित होने से पहले 705/7 का विशाल स्कोर बनाया.
गावस्कर ने आगे कहा, 'कोहली ने पहले भी यह दिखाया है. आप टेस्ट क्रिकेट में 9000 रन नहीं बना सकते और बिना दिमाग पर नियंत्रण किए 32 शतक नहीं लगा सकते. मुझे लगता है कि कोहली शायद यह देख सकते हैं कि सचिन तेंदुलकर ने 2004 में क्या किया था. कोहली को अपनी तकनीक और आत्मविश्वास को याद दिलाने के लिए खुद के बड़े रन बनाने के वीडियो भी देखने चाहिए'.
गाबा टेस्ट में ऑस्ट्रेलिया के पहली पारी में 445 के जवाब में भारतीय टीम 51 रन पर 4 विकेट गंवा चुकी है.