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Shattila ekadashi : जानिए षटतिला एकादशी का महत्व व व्रत कथा

माघ मास की एकादशी के दिन भगवान विष्णु की पूजा तिल से बनी वस्तुओं से करने पर धन-वैभव व मोक्ष की प्राप्ति होती है. इस ekadashi को षटतिला एकादशी के नाम से जाना जाता है. आईए जानते हैं shattila ekadashi की महिमा...

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षटतिला एकादशी

By ETV Bharat Hindi Team

Published : Feb 6, 2024, 9:39 AM IST

Updated : Feb 6, 2024, 1:43 PM IST

हैदराबाद: सनातन धर्म में प्रत्येक माह की एकादशी का बहुत ही महत्व होता है. माघ मास की एकादशी को षटतिला एकादशी के नाम से जाना जाता है. माघ मास की Ekadashi पर भगवान विष्णु की पूजा तिल से बनी वस्तुओं से करने पर उनका आशीर्वाद व असीम कृपा की प्राप्ति होती है. षटतिला एकादशी के दिन तिल का प्रयोग 6 प्रकार से करने का बहुत ही महत्व है. इसमें स्नान, उबटन, आहुति, तर्पण व दान करना चाहिए. इस दिन ऐसा करने से मनुष्य के सभी पापों का नाश होता है इसके साथ ही इस दिन पूजा के बाद Shattila ekadashi की कथा भी अवश्य पढ़नी चाहिए. आज 6 फरवरी मंगलवार को माघ मास की Ekadashi है, आईए जानते हैं Shattila ekadashi vrat katha ...

पौराणिक मान्यताओं के अनुसार एक बार नारद मुनि ने भगवान श्री हरि विष्णु से Shattila ekadashi के महत्व के बारे में पूछा. तब भगवान श्री हरि विष्णु ने नारद मुनि को षटतिला एकादशी की व्रत कथा सुनाई थी. उन्होंने कहा प्राचीन समय में मृत्यु लोक पर एक विधवा ब्राह्मणी रहती थी, वह मेरी परम भक्त थी. एक बार उस विधवा स्त्री ने एक महीने तक व्रत रखकर मेरी उपासना की जिसके कारण उसका शरीर शुद्ध हो गया.

भगवान विष्णु ने आगे कहा कि विधवा स्त्री व्रत उपासना तो करती थी लेकिन कभी ब्राह्मण व देवताओं को अर्पित करते हुए अन्न का दान नहीं करती थी. इस कारण मैं उसका उद्धार करने के लिए पृथ्वी लोक पर उसे भिक्षा मांगने गया. तब उस विधवा स्त्री ने मुझे एक मिट्टी का पिंड दे दिया, मैं उसे पिंड को लेकर वापस आ गया. कुछ समय बाद जब उस विधवा स्त्री की मृत्यु हुई तो वह मेरे धाम को आई. यहां पर उसे एक आम का पेड़ और खाली कुटिया मिली. यह देखकर वह विधवा स्त्री व्याकुल होकर मेरे पास आई और मुझसे इसका कारण पूछा. तब मैंने उसे बताया कि तुमने कभी भी अन्न दान नहीं किया और जब मैं स्वयं तुम्हारे पास भिक्षा लेने गया तब तुमने मुझे मिट्टी का पिंड दिया है इस कारण से तुम्हारे साथ ऐसा हुआ है.

इसके बाद मैंने उसके उद्धार के लिए उसे बताया कि जब देव कन्याएं मिलने के लिए आएं तो तुम उनसे Shattila ekadashi vrat का विधान सुने बिना अपना दरवाजा नहीं खोलना. तब उस ब्राह्मणी ने ऐसा ही किया इसके बाद उसने Shattila ekadashi vrat विधि-विधान से किया जिसके प्रभाव से उसकी कुटिया अन्न धन से भर गई. इसलिए हे नारद इस बात में कोई संदेह नहीं है कि जो भी जो व्यक्ति षटतिला एकादशी का व्रत विधि-विधान से करता है और तिल एवं अन्न का दान करता है उसे धन-वैभव और मोक्ष की प्राप्ति होती है.

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