हैदराबाद:सनातन धर्म में बसंत पंचमी का विशेष महत्व है. यह पर्व न केवल ज्ञान की देवी मां सरस्वती के अवतरण का प्रतीक है, बल्कि यह बसंत ऋतु के आगमन का भी सूचक है. इस दिन, पूरा देश मां सरस्वती की आराधना में लीन रहता है, और वातावरण में एक नया उत्साह और उमंग छा जाता है.
मां सरस्वती का पूजन
हिंदू पंचांग के अनुसार, माघ माह के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को बसंत पंचमी मनाई जाती है. इस वर्ष, 2 फरवरी को यह पर्व मनाया जाएगा. इस दिन, विद्यार्थी और ज्ञान के उपासक विशेष रूप से मां सरस्वती की पूजा करते हैं. विद्यालयों में भी विधि-विधान से मां सरस्वती की पूजा की जाती है, मान्यता है कि इससे देवी प्रसन्न होती हैं और ज्ञान का आशीर्वाद प्रदान करती हैं.
बसंत ऋतु का आगमन
बसंत पंचमी के साथ ही बसंत ऋतु का भी आरंभ हो जाता है. प्रकृति में परिवर्तन दिखने लगते हैं. पेड़ों पर नई कोपलें आने लगती हैं और चारों ओर हरियाली छा जाती है. यह समय प्रकृति के नवजीवन और उल्लास का प्रतीक है.
बसंत पंचमी पर क्या न करें
दिल्ली के ज्योतिषाचार्य आदित्य झा के अनुसार, बसंत पंचमी के दिन कुछ कार्यों को करने से बचना चाहिए...
काला वस्त्र न पहनें: इस दिन काले वस्त्र पहनना अशुभ माना जाता है. पूजा करते समय पीले या सफेद वस्त्र पहनना शुभ होता है.