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आज या कल कब से शुरू हो रहा श्राद्ध पितृपक्ष, ऐसे करें तर्पण, सही तिथि के साथ सटीक जानकारी - Pitru Paksha 2024 - PITRU PAKSHA 2024

पितृ पक्ष की शुरुआत 17 सितंबर से हो गई है. सनातन धर्म में पितृ पक्ष के दिनों को बहुत खास माना जाता है. क्यों कि इन दिनों में लोग अपने पितरों की शांति के लिए दान और धर्म करते हैं. उनकी शांति और प्रसन्नता के लिए जल अर्पित किया जाता है. श्राद्ध कर्म करते समय इन खास बातों का ध्यान रखें.

PITRU PAKSHA 2024
पितृ पक्ष में पितरों में ऐसे करें जल अर्पित (ETV Bharat)

By ETV Bharat Madhya Pradesh Team

Published : Sep 17, 2024, 9:34 PM IST

Pitru Paksha 2024: पंचांग के अनुसार पितृ पक्ष यानि जब श्राद्ध पक्ष की शुरुआत होती है, तो लोग अपने पितरों के तर्पण के लिए तरह-तरह की पूजा पाठ करते हैं. पितृ पक्ष या श्राद्ध पक्ष का आरंभ कुमार कृष्ण पक्ष प्रतिपदा से लेकर के अमावस्या के बीच में जो 15 तिथियां होती हैं. उस बीच में होता है. इस बार पितृ पक्ष को लेकर लोगों में अजब गजब कंफ्यूजन है कि पितृ पक्ष 17 सितंबर को मनाया जाएगा या 18 सितंबर को.

पितृपक्ष कब से?

ज्योतिष आचार्य पंडित सुशील शुक्ला शास्त्री बताते हैं कि "इस बार जो पितृ पक्ष पड़ रहा है. वो 17 सितंबर से लेकर 2 अक्टूबर तक रहेगा. जिनका स्वर्गवास पूर्णमासी को हुआ है, वो पूर्णमासी के दिन ही तर्पण करेंगे. इस तरह से पूर्णमासी से लेकर अमावस्या के बीच में 16 तिथियां होती हैं. इसी बीच में 16 श्राद्ध प्रशस्त किए गए हैं."

17 सितंबर से शुरू हो रहे पितृ पक्ष

ज्योतिष आचार्य बताते हैं कि "पूर्णिमा तिथि का श्राद्ध 17 सितंबर को रहेगा. क्योंकि श्राद्ध कर्म दोपहर में किए जाते हैं. पूर्णिमा तिथि दोपहर 11.44 से प्रारंभ हो रही है, लेकिन पूर्णिमा का स्नान और दान अगले दिन सुबह होगा. तिथि के अनुसार पूर्णिमा 18 सितंबर को है, लेकिन श्राद्ध कर्म 17 तारीख को ही मध्यकाल में होगा. यानी इस वर्ष पितृ पक्ष 17 सितंबर 2024 मंगलवार से शुरू हो रहे हैं और इसका समापन 2 अक्टूबर 2024 को अश्विन मास की कृष्ण पक्ष की अमावस तिथि पर होगा."

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तर्पण करते समय करें ये काम

तर्पण करने के लिए अगर नदी तालाब मिल जाए, तो बहुत अच्छी बात है. नदी तालाब में स्नान कर लें और वहां पर विधि विधान से तर्पण करें. या फिर जिसके पास ये सुविधा नहीं है, तो घर में एक बड़ा सा परात रख लें, जो बड़ा सा बर्तन होता है. तैयारी करने के बाद दक्षिण दिशा में घूम कर बैठ जाएं और सामग्री रख लें, जैसे तेल, जौ, चावल, सफेद फूल आदि. पहले दक्षिण दिशा की ओर घूम करके तिल से तीन बार पितरों का तर्पण करें, फिर पूर्व की ओर घूम करके चावल से देवताओं का तर्पण करें. फिर उत्तर दिशा की ओर घूम करके जौ लेकर के ऋषियों का तर्पण करें. तीन-तीन अंजुली लेकर के तर्पण करें और पितरों का जिनका नाम याद है उनका नाम लेकर के उनके गोत्र का नाम और उसके जातक का नाम लेकर के तर्पण करें. जिनका नाम मालूम नहीं है, बस उन्हें याद करके सबको याद करके तर्पण करें. जिससे पितृ प्रसन्न होते हैं और घर में शुभ आशीर्वाद देते हैं.

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